आंशिक ऋण गारंटी योजना 2.0

प्रश्न-केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा संशोधित आंशिक ऋण गारंटी योजना (PCGS) 2.0 के तहत पोर्टफोलियो बढ़ाने के लिए कितना अतिरिक्त समय दिया गया है?
(a) 3 माह
(b) 4 माह
(c) 5 माह
(d) 6 माह
उत्तर-(a)
संबंधित तथ्य

  • 17 अगस्त, 2020 को वित्त मंत्रालय द्वारा आंशिक ऋण गारंटी योजना 2.0 में संशोधन का निर्णय लिया गया।
  • ध्यातव्य है कि 20 मई, 2020 को ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के भाग के रूप में ‘आंशिक ऋण गारंटी योजना 2.0’ का शुभारंभ किया गया था।
  • योजना का उद्देश्य गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC)/आवास वित्त कंपनियों/सूक्ष्म वित्त संस्थानों (MFI) द्वारा जारी ‘एप’ और उससे कम रेटिंग वालों बांडों या कामर्शियल पेपरों को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PCB) द्वारा खरीदने पर पोर्टफोलियो गारंटी प्रदान करना था।
  • योजना के तहत 45000 करोड़ रुपये के बांड/कामर्शियल पेपर खरीदे जाने की परिकल्पना की गई थी।
  • इसमें एए/एए रेटिंग वाले बांडों/ कामर्शियल पेपरों को कुल पोर्टफोलियो का अधिकतम 25% (11250 करोड़ रुपये) को ही खरीदने की अनुमति थी।
  • v इसके अलावा सरकार ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों/आवास वित्त कंपनियों द्वारा जारी कामर्शियल पेपरों और गैर-परिवर्तनीय डिबेंचरों (NCD) की खरीद के लिए अलग से ‘विशेष तरलता योजना’ (SLS) की घोषणा की थी।
  • इस योजना की अवधि 3 माह थी, जिसे 3 महीने तक की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता था।
  • इसके अंतर्गत अधिकतम 30000 करोड़ रुपये तक की खरीद की जा सकती थी जिसमें जरूरत के अनुरूप आवश्यक धनराशि की वृद्धि की जा सकती थी।
  • आंशिक ऋण गारंटी योजना 2.0 के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 28 निकायों द्वारा जारी ‘एए/एए-रेटिंग वाले बांडों/कामर्शियल पेपरों और 62 निकायों द्वारा जारी ‘एए’ से कम रेटिंग वाले बांडों/कामर्शियल पेपरों के खरीद की मंजूदी दी।
  • उपर्युक्त खरीद का कुल मूल्य 21262 करोड़ रुपये है।
  • उल्लेखनीय है कि ‘एए’ से कम रेटिंग वाले बांडों/कामर्शियल पेपरों का औसत आकार ‘एए/एए’ रेटिंग वाले बांडों/कामर्शियल पेपरों के औसत आकार की तुलना में कम होता है।
  • विशेष तरलता योजना के तहत 7464 करोड़ रुपये के खरीद के प्रस्तावों की स्वीकृति दी गई है।
  • संशोधित आंशिक ऋण गारंटी योजना 2.0 में पोर्टफोलियो को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त 3 मास का समय दिया गया है।
  • योजना के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा खरीदे गए बांड/कामर्शियल पेपर कुल पोर्टफोलियो के 50% (पूर्व में 25% निर्धारित) से अधिक नहीं होने चाहिए।

संबंधित लिंक भी देखें…

https://pib.gov.in/Pressreleaseshare.aspx?PRID=1646496