राजस्थान तमिलनाडु और कर्नाटकः ‘नोन्यू कोल’ पॉलिसी के नए पक्षधर

Rajasthan, Tamil Nadu, Karnataka to declare 'no new coal' policy;

प्रश्न-‘नो न्यू कोल’ पॉलिसी से तात्पर्य है-
(a) भविष्य में नए तापीय विद्युत संयंत्र की स्थापना की हतोत्साहित करना
(b) भविष्य में कोयला खनन को हतोत्साहित करना
(c) कोयला निर्यात को हतोत्साहित करना
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(a)
संबंधित तथ्य

  • 5 दिसंबर, 2019 को नई दिल्ली स्थित क्लाइमेट कम्यूनिकेशन्स ऑर्गेनाइजेशन ‘क्लाइमेट ट्रेंड्स’ ने अपने एक विश्लेषण में राजस्थान, तमिलनाडु और कर्नाटक को ‘नो न्यू कोल’ पॉलिसी का नया पक्षधर बताया।
  • ध्यातव्य है कि इससे पहले गुजरात और छत्तीसगढ़ इस नीति का अनुसरण कर चुके हैं।
  • ‘नो न्यू कोल’ से तात्पर्य राज्य में नए तापीय विद्युत संयंत्रों की स्थापना की नीति को हतोत्साहित करना है।
  • साथ ही भावी ऊर्जा जरूरत को अक्षय (Renewable) और फ्लेक्सिबल ऊर्जा से पूरा करना भी इस नीति में शामिल होता है।
  • क्लाइमेट ट्रेंड्स की रिपोर्ट ‘Winds of Change: No New Coal States of India’ के अनुसार, कर्नाटक राजस्थान और तमिलनाडु देश में शीर्ष नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वाले राज्यों में शामिल हैं।
  • राजस्थान में कुल संस्थापित कोल क्षमता 11.6 गीगावॉट है, जबकि अक्षय ऊर्जा और हाइड्रो 11.1 गीगावॉट हैं।
  • कर्नाटक में अक्षय ऊर्जा और हाइड्रोजन पॉवर की संस्थापित क्षमता 17.9 गीगावॉट है, जो कुल संस्थापित क्षमता का 63 प्रतिशत है।
  • जबकि कोल कैपेसिटी केवल 9 गीगावॉट है।
  • तमिनलाडु में भी गैर-जीवाश्मीय ऊर्जा की कुछ संस्थापित क्षमता जीवाश्मीय (कोयला) ऊर्जा से अधिक है। (13.5 गीगावॉट के सापेक्ष 15.6 गीगावॉट)
  • कम उपलब्धता और उच्च परिवहन लागत के कारण इन राज्यों में कोयले से बिजली बनाना महंगा भी है।
  • अतः इन राज्यों के ‘नो न्यू कोल’ पॉलिसी के अपनाने में उपरोक्त पृष्ठभूमि का प्रबल योगदान होगा।

संबंधित लिंक भी देखें…
https://economictimes.indiatimes.com/small-biz/productline/power-generation/rajasthan-tamil-nadu-karnataka-to-declare-no-new-coal-policy-future-demands-to-be-met-by-renewable-flexible-based-energy/articleshow/72396205.cms?from=mdr
https://www.business-standard.com/article/economy-policy/tn-rajasthan-karnataka-plan-to-shut-door-on-new-coal-plants-study-119120601102_1.html