भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते से जुड़े मुद्दे सार्वजनिक

प्रश्न- हाल ही में विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के द्वारा भारत-अमेरिका परमाणु करार को आगे बढ़ाने से जुड़े मुद्दों पर सहमति से संबद्ध स्पष्टीकरण सार्वजनिक किया गया है। इसके अनुसार कौन-सा कथन सही नहीं है?
(a) भारत-यूएस के बीच परमाणु करार को आगे बढ़ाने पर सहमति तीन बैठकों के बाद बनी।
(b) यह सहमति उत्तरदायित्व हेतु समग्र जोखिम प्रबंधन के अंग के रूप में एक भारतीय परमाणु बीमा पूल बनाने के प्रस्ताव पर हुई।
(c) यह बीमा पूल भारतीय जीवन बीमा निगम और चार अन्य पीएसयू द्वारा निर्मित एक जोखिम तंत्र है।(d) इस बीमा पूल के तहत तीन तरह की बीमा पॉलिसी का प्रावधान किया गया है।
उत्तर-(c)
संबंधित तथ्य

  • 8 फरवरी, 2015 को भारतीय विदेश मंत्रालय ने भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते से संबंधित परमाणु क्षति हेतु नागरिक उत्तरदायित्व अधिनियम, 2010 से जुड़े मुद्दों को सार्वजनिक किया।
  • उल्लेखनीय है कि जनवरी, 2015 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान परमाणु क्षति हेतु नागरिक उत्तरदायित्व अधिनियम, 2010 से संबंधित मुद्दों पर भारत और अमेरिका के बीच सहमति बनी।
  • इस सहमति में सितंबर, 2008 के भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते से जुड़े द्विपक्षीय कुल 123 करार को लागू करने के लिए प्रशासनिक व्यवस्था के पाठ को अंतिम रूप दिया गया।
  • इस मुद्दे पर सहमति कैसे हुई? के संदर्भ में बताया गया है कि
    1. सितंबर, 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूएस यात्रा के दौरान दोनों नेताओं द्वारा परमाणु ऊर्जा सहयोग के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने के लिए एक संपर्क समूह गठित किया गया।
    2. इस संपर्क समूह में यूएस सरकार के प्रतिनिधियों के अलावा भारतीय विदेश मंत्रालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, न्यूक्लियर पॉवर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCIL) वित्त मंत्रालय, विधि एवं न्याय मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल थे। साथ ही भारत की ओर से एनपीसीआईएल (NPCIL) और यूएस की ओर से वैस्टिंग हाउस एवं जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी के साथ भी अंतरफलक (Interface) हुआ था।
    3. संपर्क समूह की तीन बैठकें-नई दिल्ली (16-17 सितंबर, 2014), वियना (6-7 जनवरी, 2015) और लंदन (21-22 जनवरी, 2015) में संपन्न हुई थीं।
    4. इन बैठकों में की गई चर्चाओं के आधार पर असैन्य परमाणु सहयोग पर दो बकाया मुद्दों पर यूएस के साथ सहमति बनी जिसकी पृष्टि 25 जनवरी, 2015 को की गई थी।
    5. ये दो बकाया मुद्दे थे-1. परमाणु क्षति हेतु नागरिक उत्तरदायित्व (CLND) अधिनियम, 2010 तथा 2. परमाणु क्षति हेतु पूरक क्षतिपूर्ति अभिसमय (Convention on Supplementary Compensation for Nuclear Damage CSC)
    6. उत्तरदायित्व के लिए समग्र जोखिम प्रबंधन के अंग के रूप में भारतीय परमाणु बीमा पूल का प्रस्ताव भी यूएस पक्ष के समक्ष रखा गया और इस पर सहमति बनी।
  • भारतीय परमाणु बीमा पूल जीआईसी रे (GIC Re) और चार अन्य पीएसयू (PSU) द्वारा निर्मित एक जोखिम अंतरण तंत्र है। जो कुल 1500 करोड़ रुपये में से 750 करोड़ रुपये की क्षमता के साथ मिलकर योगदान करेंगे। शेष क्षमता का योगदान सरकार द्वारा टेपरिंग आधार पर किया जाएगा।
  • यह पूल परमाणु क्षति हेतु नागरिक उत्तरदायित्व अधिनियम, 2010 की धारा 6 (2) के तहत परमाणु ऑपरेटर और आपूर्तिकर्त्ता की बाध्यता के जोखिम को धारा 17 के अंतर्गत कवर करेगा।
  • भारतीय परमाणु बीमा पूल के तहत तीन तरह की पॉलिसी की परिकल्पना की गई है-
  • टियर-1 : ऑपरेटरों के लिए
  • टियर-2 : ‘टर्नकी’ के आपूर्तिकर्ताओं के लिए, और
  • टियर-3 : ‘टर्नकी’ आपूर्तिकर्ताओं से भिन्न आपूर्तिकर्ताओं के लिए।

संबंधित लिंक भी देखें…
http://www.mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/24766/Frequently_Asked_Questions_and_Answers_on_Civil_Liability_for_Nuclear_Damage_Act_2010_and_related_issues
http://mea.gov.in/press-releases-hi.htm?dtl/24766/Frequently+Asked+Questions+and+Answers+on+Civil+Liability+for+Nuclear+Damage+Act+2010+and+related+issues