उच्चतम न्यायालय द्वारा निजता का अधिकार मौलिक अधिकार घोषित

SC declares Right to Privacy as a fundamental right

प्रश्न-24 अगस्त, 2017 को उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली कितनी सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया?
(a) 5
(b) 8
(c) 9
(d) 6
उत्तर-(c)
संबंधित तथ्य

  • 24 अगस्त, 2017 को उच्चतम न्यायालय ने देश के प्रत्येक नागरिक को प्रभावित करने वाले अपने ऐतिहासिक फैसले में निजता के अधिकार (Right to Privacy) को भारतीय संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया।
  • मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली 9 सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मत से अपने निर्णय, में कहा कि ‘‘निजता का अधिकार’’ भारतीय संविधान के भाग तीन का स्वाभाविक अंग है जो कि अनुच्छेद 21(जीवन के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) के तहत आता है।
  • संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति जे. चेलामेशवर, न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति आर.के. अग्रवाल, न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन, न्यायमूर्ति ए.एम. सप्रे, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर शामिल हैं।
  • उल्लेखनीय है कि यह निर्णय विभिन्न जन-कल्याण कार्यक्रमों का लाभ उठाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा आधार कार्ड को अनिवार्य करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं से जुड़ा हुआ है।
  • निजता के अधिकार का मुद्दा केंद्र सरकार की तमाम समाज कल्याण योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए आधार को अनिवार्य करने संबंधी सरकार के कदम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान उठा था।
  • प्रारंभ में तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने 7 जुलाई, 2017 को कहा कि अंतिम व्यवस्था बृहद पीठ देगी और संविधान पीठ के गठन की जरूरत पर निर्णय मुख्य न्यायाधीश करेंगे।
  • इसके बाद, मुख्य न्यायाधीश के समक्ष इसका उल्लेख किया गया तो उन्होंने इस मामले में सुनवायी के लिए 5 सदस्यीय संविधान पीठ गठित की थी।
  • 18 जुलाई, 2017 को 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने उच्चतम न्यायालय की 6 और 8 सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा क्रमशः खड़क सिंह (1960) और एम.पी. शर्मा (1950) प्रकरण में दी गई व्यवस्थाओं के सही होने की विवेचना के लिए 9 सदस्यीय संविधान पीठ गठित करने का निर्णय किया था।
  • उपरोक्त दोनों प्रकरणों में हुए निर्णय के अनुसार, निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है।
  • 19 जुलाई, 2017 को केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि निजता का अधिकार पूर्ण नहीं हो सकता, इसका नियमन किया जा सकता है।
  • केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है।
  • 26 जुलाई, 2017 को कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, पंजाब और पुडुचेरी, गैर-भाजपा शासित चार राज्य निजता के अधिकार के पक्ष में न्यायालय पहुंचे।
  • 1 अगस्त, 2017 को उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सार्वजनिक मंच पर व्यक्ति की निजी सूचनाओं की सुरक्षा के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश होने चाहिए।
  • 2 अगस्त, 2017 को न्यायालय ने कहा कि प्रौद्योगिकी के दौरान निजता की सुरक्षा का सिद्धांत एक ‘हारी हुई लड़ाई’ है और फैसला सुरक्षित रखा था।

संबंधित लिंक
http://www.thehindu.com/news/national/privacy-is-a-fundamental-right-under-article-21-rules-supreme-court/article19551224.ece
http://www.bhasha.ptinews.com/news/1629454_bhasha
http://www.bhasha.ptinews.com/news/1629825_bhasha
http://www.ptinews.com/news/9011335_SC-declares-Right-to-Privacy-as-a-fundamental-right