वर्षांत समीक्षा, 2016 जहाजरानी मंत्रालय एवं उपलब्धियां रिपोर्ट

Ministry of Shipping: Ports & Shipping Achievements Report

प्रश्न-भारत की समुद्र तटीय लबांई कितनी है?
(a) 7517 किमी.
(b) 7075 किमी.
(c) 6075 किमी.
(d) 6075 किमी.
उत्तर-(a)
संबंधित तथ्य

  • 21 दिसंबर, 2016 को जहाजरानी मंत्रालय द्वारा ‘बंदरगाह एवं नौवहन क्षेत्र की विगति दो वर्षों की उपलब्धियां रिपोर्ट जारी की गई।
  • इससे संबंधित प्रमुख तथ्य निम्नलिखित हैं-
  • जहाजरानी उद्योग मात्रा की दृष्टि से भारत के व्यापार के 90% के लिए जिम्मेदार है।
  • भारत के समुद्र तट की लंबाई 7517 किमी. है जिसमें से 14500 किमी. में नौवहन जलमार्ग की क्षमता है।
  • भारत के तट पर 12 बड़े और 200 छोटे बंदरगाह हैं।
  • वित्त वर्ष 2016-17 (अप्रैल-अक्टूबर) के दौरान बड़े बंदरगाहों का माल वहन 6.27% बढ़कर 370.04 मिलियन टन हो गया।
  • विगत दो वर्षों में 25 हजार करोड़ रुपये मूल्य की 56 नई परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। जिससे 31.7 करोड़ टन प्रति वर्ष अतिरिक्त बंदरगाह क्षमता का सृजन होगा।
  • बंदरगाह निर्माण एवं रख-रखाव परियोजनाओं में स्वचालित मार्ग से 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है।
  • दिसंबर, 2015 में ‘जहाज निर्माण एवं जहाज मरम्मत नीति’ मंजूर की गयी थी।
  • 12 अप्रैल, 2016 को व्यापार हेतु अंतर्देशीय जलमार्ग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016’ प्रभावी हुआ।
  • इसके तहत 106 नए जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है।
  • 20 अगस्त, 2016 को ‘गोदी नीति’ (BERTHING POLICY) प्रभावी हुई।
  • 27 जुलाई, 2016 को ‘तट और संबंधित भूमि आवंटन नीति, 2016’ को मंजूरी प्रदान की गई।
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा जहाजरानी क्षेत्र को गति प्रदान करने के लिए नवंबर, 2016 में ‘व्यापारिक नौवहन विधेयक, 2016’ को मंजूरी प्रदान की गई।
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा दिसंबर, 2016 में बंदरगाह बोर्डों को और अधिक स्वायत्तता देने के लिए ‘प्रमुख बंदरगाह विधेयक, 2016’ को मंजूरी प्रदान की गई।
  • विगत दो वर्षों (अप्रैल, 2014 से सितंबर, 2016) में समुद्री परिवहन एवं बंदरगाह क्षेत्र में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 1.07 बिलियन यूएस डॉलर था।
  • मई, 2016 में शिपयार्ड को आधारभूत संरचना का दर्जा प्रदान किया गया जिससे भारतीय जहाज निर्माण एवं जहाज मरम्मत उद्योग लम्बी अवधि के सस्ते ऋण प्राप्त करने में सक्षम हो जाएंगे।
  • महत्वाकांक्षी ‘सागरमाला परियोजना’ के तहत बंदरगाह आधारित अर्थव्यवस्था की परिकल्पना की गई है जिसमें शामिल हैं-बंदरगाहों में आधारभूत संरचना का विकास एवं विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) से बंदरगाहों को जोड़ना, बंदरगाह आधारित स्मार्ट शहर, औद्योगिक पार्क, भंडारगृह, परिवहन कॉरीडोर आदि।
  • वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान सागरमाला कार्यक्रम की राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (NPP) के तहत अनुमानित 4 लाख करोड़ रु. की 173 परियोजनाओं की पहचान की गई है।
  • 400 मिलियन टन प्रतिवर्ष (MTPA) माल वहन क्षमता जोड़ने के लिए छः नए बंदरगाहों की पहचान की गई है।
  • ये नए बंदरगाह हैं-वधावन (महाराष्ट्र) एनायम (तमिलनाडु), कुडाकोर/सिकाझी (तमिलनाडु), पारादीप साउथ सैटेलाइट पोर्ट (ओडिशा), सागर (प.बंगाल) और मछलीपट्टनम/वोडारेवू (आंध्र प्रदेश)।
  • सौराष्ट्र (गुजरात) और चेन्नई (तमिलनाडु) की पहचान मेरीटाइम क्लस्टर की स्थापना के लिए की गई है।
  • अंडमान एवं निकोबार की पहचान समुद्री पर्यटन एवं मरम्मत, रख-रखाव तथा संचालन (MRO) क्लस्टर के लिए की गई है।
  • 26 बंदरगाह रेल संपर्क परियोजनाओं की पहचान एनपीपी के भाग के रूप में की गई है।
  • जवाहर लाल नेहरु पोर्ट ट्रस्ट (JNPT) बंदरगाह पर 4 हजार करोड़ रुपये की लागत से ‘बंदरगाह आधारित विशेष आर्थिक क्षेत्र’ की स्थापना की जा रही है।
  • अक्टूबर, 2014 में भारत एवं म्यांमार के मध्य चेन्नई बंदरगाह पर सीधी कंटेनर सेवा का शुभारंभ किया गया।
  • 14-16 अप्रैल, 2016 के मध्य मुंबई में जहाजरानी मंत्रालय द्वारा ‘मैरीटाइम इंडिया समिट, 2016’ का आयोजन किया गया।
  • इस सम्मेलन का उद्देश्य भारतीय समुद्री क्षेत्र की अप्रयुक्त क्षमता के विषय में जागरूकता पैदा करना और निवेश अवसरों को प्रदर्शित करना था।
  • सागरमाला परियोजना के भाग के रूप में 7 लाख करोड़ रुपये की 400 परियोजनाओं की पहचान की गई है।
  • 31 अगस्त, 2016 को सागरमाला विकास कंपनी (SDC) को निगमित किया गया।

संबंधित लिंक
http://pibphoto.nic.in/documents/rlink/2016/dec/p2016122201.pdf
http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=155754