भारत में निपाह वायरस संक्रमण

प्रश्न-हाल ही में चर्चा में आये निपाह वायरस संक्रमण के संबंध में क्या सही है?
(a) भारत में पहली बार इस संक्रमण के होने की पुष्टि वर्ष 2018 में केरल में की गई।
(b) विश्व में सबसे पहले निपाह वायरस की पहचान बांग्लादेश में की गई थी।
(c) यह वायरस मनुष्यों से मनुष्यों में भी फैलता है।
(d) सुअर इनके प्राकृतिक पोषक होते हैं।
उत्तर-(c)
संबंधित तथ्य

  • मई, 2018 में भारत के दक्षिणी राज्य केरल में निपाह वायरस (Nipah Virus: NiV) के संक्रमण की आधिकारिक पुष्टि की गई।
  • यह संक्रमण जानलेवा है जिसकी चपेट में अब तक कई लोग आ चुके हैं।
  • केरल के कोझिकोड जिले में इस वायरस की पुष्टि की गई।
  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाई अलर्ट घोषित करते हुए देश के कई राज्यों में संक्रमण से बचने हेतु परामर्श-पत्र जारी किया है।
  • निपाह वायरस या एनआईवी पशुओं तथा मनुष्यों दोनों के लिए जानलेवा है।
  • यह संक्रमण मुख्यतः फल खाने वाले संक्रमित चमगादड़ के खाए हुए झूठे फल से मुनष्यों तथा अन्य पशुओं में फैलता है।
  • निपाह वायरस संक्रमण से ग्रसित व्यक्तियों को प्रारंभिक अवस्था में हाथ-पैर में जलन, सांस लेने में तकलीफ तथा तेज बुखार जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। तत्पश्चात वह इंसेफलाइटिस से ग्रसित हो जाते हैं।
  • अगर सही समय पर इस बीमारी का इलाज नहीं किया गया तो रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।
  • निपाह वायरस से संक्रमित चमगादड़ जब कोई फल खाता है और वही फल कोई पशु खा ले तो वह पशु भी उस रोग की चपेट में आ जाता है।
  • पशुओं में मुख्यतः सूअर एवं कुत्तों से यह मनुष्यों में फैलता है। अगर कोई संक्रमित चमगादड़ किसी फल पर बैठ जाए और कोई मनुष्य उसे बिना धोए खा ले तो वह भी निपाह की चपेट में आ सकता है।
    भारत में निपाह वायरस-
  • निपाह वायरस का यह हमला भारत में पहली बार नहीं है। इससे पूर्व पश्चिम बंगाल में 2 बार इस वायरस के संक्रमण से कई लोगों की जानें गईं।
  • पहली बार वर्ष 2001 में सिलीगुड़ी तथा दूसरी बार वर्ष 2007 में नादिया जिले में इस वायरस का संक्रमण फैला था।
  • इससे बचने के लिए अभी तक किसी टीके का निर्माण नहीं किया जा सका है जिससे पशुओं एवं मनुष्यों को इसके संक्रमण से बचाया जा सके।
    निपाह वायरस संक्रमण-
  • निपाह वायरस संक्रमण पशुजन्य रोग है जो कि मनुष्यों एवं पशुओं में गंभीर रोग का कारण बनता है।
  • फल खाने वाले चमगादड़ इनके प्राकृतिक पोषक होते हैं। प्रारंभ में इन्हीं के माध्यम से यह वायरस एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचता है।
  • यह वायरस की सर्वप्रथम पुष्टि मलेशिया के कामपुंग सुंगई निपाह नामक स्थान पर फैली महामारी में की गई।
  • यहां के सुअर-पालकों में इस वायरस की पुष्टि की गई।
  • इस स्थान के नाम पर ही इस वायरस का नाम निपाह रखा गया।
  • इस घटना से यह भी पता चला कि चमगादड़ से मनुष्यों तक यह संक्रमण सुअरों के माध्यम से फैला।
  • वर्ष 2004 में बांग्लादेश इस वायरस की चपेट में आया जिसमें लगभग 100 लोगों की जान गई थी।
    निपाह वायरस से बचने के उपाय व सावधानियां-
  • संक्रमण प्रभावित क्षेत्रों से आने वाले फलों को अच्छी तरह धोकर खाएं। अगर फल किसी पशु द्वारा खाए हुए हों तो उन्हें न खाएं। उदाहरण केरल से मुख्यतः खजूर, केला तथा आम सभी जगह भेजा जाता है, इन फलों को अच्छी तरह धोकर ही खाएं।
  • संक्रमित सुअर तथा कुत्ते से मुख्य तौर पर दूरी बनाएं। चमगादड़ सुअरों से चिपकर उन्हें वायरस से ग्रसित कर देते हैं। सुअरों से यह अन्य पशुओं में फैलता है।
  • यह संक्रमण मनुष्यों से मनुष्यों में भी फैलता है। अतः संक्रमित व्यक्ति की देखभाल बहुत सावधानी से करें।
  • पालतू पशुओं को भी संक्रमित व्यक्ति से दूर रखना चाहिए, अन्यथा वह भी वायरस की चपेट में आ सकता है

संबंधित लिंक
http://www.bbc.com/news/world-asia-india-44193145
https://www.independent.co.uk/news/health/nipah-virus-latest-infectious-disease-outbreak-kerala-vaccine-bats-encephalitis-a8362761.html
https://medicalxpress.com/news/2018-05-medical-teams-south-india-deadly.html
http://www.who.int/csr/disease/nipah/en/
https://aajtak.intoday.in/gallery/nipah-virus-is-spreading-in-kerala-tst-3-22015.html
http://www.newindianexpress.com/specials/2018/may/21/nipah-virus-outbreak-hits-vendor-hard-sales-of-fruits-plummet-1817707.html