भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा जल के शोधन हेतु नये बायोपॉलीमर की खोज

Indian Scientists develop biopolymer for water purification

प्रश्न-इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन सांइस एंड टेक्नोलॉजी (IASST) स्थित है-
(a) लखनऊ में
(b) गुवाहाटी में
(c) मुंबई में
(d) चेन्नई में
उत्तर-(b)
संबंधित तथ्य

  • 30, मार्च, 2016 को प्रकाशित पत्रिका नैनो स्केल (Nanoscale) के अनुसार भारतीय वैज्ञानिकों ने नैनो तकनीक पर आधारित पानी को शोधन करने वाले बायोपॉलीमर का विकास किया है।
  • इस बायोपॉलीमर के विकास में इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (IASST) गुवाहाटी (असम) के वैज्ञानिकों का योगदान है।
  • इसके विकास में संलग्न प्रमुख वैज्ञानिक आई.एस.एस.टी की उपमा बरुआ तथा अच्युत कुंवर हैं।
  • इन दोनों ने प्राकृतिक रूप से उपलब्ध पदार्थ चिटोसन (Chitosan) को इस बायोपॉलीमर के विकास में प्रयुक्त किया है।
  • चिटोसन (Chitosan) शंख के सख्त कंकाल, केकड़ा तथा झींगा आदि जलीय जीवों से प्राप्त किया जाता है। चिटोसन कार्बन नैनो कणों के स्थिरीकरण हेतु एक आधार-भूत पदार्थ है।
  • बायोपॉलीमर में नैनो कण क्रियात्मक भाग होते हैं जो आयन-विनिमय के माध्यम से जल के कठोरता कारी कैल्शियम और मैग्नीशियम यौगिकों को अलग कर देते हैं।

संबंधित लिंक भी देखें…
http://pubs.rsc.org/en/content/articlelanding/2016/nr/c6nr01129b#!divAbstract
http://timesofindia.indiatimes.com/city/kolkata/Scientists-develop-green-technology-for-water-purification/articleshow/51673978.cms
https://en.wikipedia.org/wiki/Chitosan