प्रश्न-प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं नियोजन प्राधिकरण के पास उपलब्ध धनराशि को खर्च किया जाना प्रस्तावित है-
(a) वनभूमि के परिवर्तन के कारण उत्पन्न दबाव को कम करने हेतु
(b) गांवों में लाभकर संपत्तियों के सृजन हेतु
(c) पिछड़े आदिवासी क्षेत्रों में रोजगार सृजन हेतु
(d) उपर्युक्त सभी के लिए।
उत्तर-(d)
संबंधित तथ्य
- 20 अप्रैल, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ‘प्रतिपूरक वनरोपण निधि विधेयक, 2015’ में आधिकारिक संशोधन किए जाने की स्वीकृति प्रदान की गयी।
- यह विधेयक ‘प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं नियोजन प्राधिकरण (CAMPA) के पास संचित अव्ययित धनराशि के सक्षम एवं पारदर्शी तरीके से शीघ्र उपयोग सुनिश्चित करेगा।
- उल्लेखनीय है कि प्राधिकरण के पास 40 हजार करोड़ रुपये की अव्ययित संचित धनराशि और प्रतिवर्ष लगभग 6 हजार करोड़ रुपये के संचित अव्ययित शेष पर प्रतिपूरक करारोपण एवं ब्याज का नवीन संग्रहण उपलब्ध है।
- उपर्युक्त राशियों का उपयोग वनभूमि परिवर्तन की वजह से उत्पन्न दबाव को कम करने, गांवों में लाभकर संपत्तियों का सृजन करने और विशेष रूप से पिछड़े आदिवासी क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए किया जाएगा।
- विधेयक में निम्नलिखित संशोधन प्रस्तावित हैं-
- विधेयक के उपवाक्य 2 (e) में किए गए संशोधन से पर्यावरण संबंधी सेवाओं की सूची को समावेशी बनाना एवं कुछ ऐसी पर्यावरण संबंधी सेवाओं को हटाया जाना जिनके मौद्रिक मूल्य का कोई विश्वसनीय मॉडल उपलब्ध नहीं है।
- विधेयक के उपवाक्य 2 (1), एवं 30 (1) में संशोधन राज्य सरकारों से नए विधेयक के अनुसार नियम बनाने के लिए पूर्वगामी परामर्श की व्यवस्था करेगा।
- विधेयक के उपवाक्य 6 (d) में संशोधन संरक्षित क्षेत्रों में स्वैच्छिक पुनर्स्थापन के लिए संरक्षित क्षेत्रों की वनभूमि को परिवर्तित करने के एवज में उपयोगकर्ता एजेंसियों से प्राप्त धन के उपयोग का अधिकार प्रदान करेगा।
- विधेयक के उपवाक्य 8(4) (ii) में संशोधन अंतरिक्ष एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालयों के सचिवों को राष्ट्रीय प्राधिकरण के प्रबंध निकाय में बतौर सदस्य लिए जाने की व्यवस्था करेगा।
- विधेयक के उपवाक्य 8 (4) (×) में संशोधन से राष्ट्रीय प्राधिकरण के प्रबंध निकाय में विशेषज्ञ सदस्यों की संख्या दो से बढ़ाकर पांच किया जाएगा।
- विधेयक के उपवाक्य 9(2) (IX) में संशोधन के माध्यम से राष्ट्रीय प्राधिकरण की कार्यकारी समिति में विशेषज्ञ सदस्यों की संख्या दो से बढ़ाकर तीन किया जाएगा।
- विधेयक के उपवाक्य 11(2) एवं 11 (3) में संशोधन के द्वारा किसी राज्य प्राधिकरण की कार्यकारी एवं संचालन समितियों में आदिवासी मामलों के विशेषज्ञ या आदिवासी समाज के प्रतिनिधि शामिल किए जाने की व्यवस्था की जाएगी, आदि।
- ध्यातव्य है कि यह विधेयक 13 मई, 2015 को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और वन एवं पर्यावरण विभाग संबंधी समिति को भेजा गया था। जिसकी रिपोर्ट समिति ने 26 फरवरी, 2016 को संसद को सौंप दी। सरकार ने इस रिपोर्ट के आधार पर विधेयक में संशोधन किए हैं।
संबंधित लिंक भी देखें…
http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=139016
http://pib.nic.in/newsite/hindirelease.aspx?relid=47369
http://pmindia.gov.in/en/news_updates/amendments-in-the-compensatory-afforestation-fund-bill-2015/?comment=disable