प्रश्न-2 जनवरी, 2017 को केंद्र सरकार ने निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स (संशोधन) विधेयक, 2017 लोकसभा में पेश किया। इससे संबंधित निम्न कथनों पर विचार कीजिए-
(i) प्रस्तावित विधेयक में चेक बाउंस मामले के निस्तारण में होने वाली अनावश्यक देरी को दूर करने का प्रावधान किया गया है।
(ii) प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, संबंधित अदालत चेक जारीकर्ता से शिकायकर्ता को अंतरिम मुआवजा देने का आदेश दे सकती है।
(iii) अंतरिम मुआवजा राशि जारी चेक की राशि का 30 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही हैं?
(a) केवल (i)
(b) (i) एवं (ii)
(c) (i) एवं (iii)
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(b)
संबंधित तथ्य
- 2 जनवरी, 2017 को केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली की ओर से वित्त राज्यमंत्री शिव प्रसाद शुक्ला ने निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स (संशोधन) विधेयक, 2017 लोकसभा में पेश किया।
- इसमें चेक बाउंस मामले के निस्तारण में होने वाली अनावश्यक देरी को दूर करने का प्रावधान किया गया है।
- निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 में संशोधन के लिए लाए गए विधेयक के अनुसार, संबंधित न्यायालय चेक जारीकर्ता से शिकायतकर्ता को अंतरिम मुआवजा देने का आदेश जारी कर सकती है।
- संबंधित न्यायालय चेक जारीकर्ता द्वारा खुद के निर्दोष होने का अभिवाक किये जाने के बावजूद संक्षिप्त सुनवाई एवं समन मामले में अंतरिम मुआवजे का आदेश दे सकती है।
- अंतरिम मुआवजा राशि चेक की राशि के 20 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकती।
- यदि जारीकर्ता मामले में बरी हो जाता है तो अदालत शिकायतकर्ता को अंतरिम मुआवजा में मिली राशि ब्याज के साथ लौटाने के लिए कह सकती है।
संबंधित लिंक
http://www.prsindia.org/uploads/media/Negotiable%20instrument/Negotiable%20Instruments%20Amendment%20Bill%202017.pdf
http://www.thehindubusinessline.com/economy/policy/chequebounce-case-new-bill-in-lok-sabha-to-provide-for-interim-compensation/article10009079.ece
http://www.prsindia.org/billtrack/the-negotiable-instruments-amendment-bill-2017-5026/