डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक, 2018

प्रश्न-4 जुलाई, 2018 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक, 2018 को मंजूरी दी। इससे संबंधित निम्न कथनों पर विचार कीजिए-
(i) इस विधेयक को कानून लाए जाने का प्राथमिक उद्देश्य देश की न्यायिक प्रणाली को समर्थन देने एवं सुदृढ़ बनाने के लिए डीएनए आधारित फोरेंसिक प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग को विस्तारित करना।
(ii) इस विधेयक में डीएनए प्रयोगशालाओं का अनिवार्य प्रत्यायन एवं विनियमन का प्रावधान है।
(iii) विधेयक के प्रावधानों की सहायता से गुमशुदा व्यक्ति, अज्ञात शव तथा आपदा के शिकार व्यक्तियों की पहचान की जाएगी।
उपर्युक्त कथनों से कौन-सा/से कथन सही हैं?
(a) केवल (i)
(b) केवल (i) एवं (ii)
(c) केवल (i) एवं (iii)
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(d)
संबंधित तथ्य

  • 4 जुलाई, 2018 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक (The DNA Technology (Use and Application) Regulation Bill), 2018 को मंजूरी दी।
  • इस विधेयक को कानून बनाए जाने का प्राथमिक उद्देश्य देश की न्यायिक प्रणाली को समर्थन देने एवं सुदृढ़ बनाने के लिए डीएनए आधारित फोरेन्सिक प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग को विस्तारित करना है।
  • विधेयक में डीएनए प्रयोगशालओं के अनिवार्य प्रत्यायन एवं विनियमन का प्रावधान है।
  • विधेयक में इस बात का भी भरोसा दिलाया गया है कि डीएनए परीक्षण परिणाम भरोसेमंद हो और नागरिकों के गोपनीयता अधिकारों के लिहाज से डेटा का दुरुपयोग न हो।
  • विधेयक के प्रावधान जहां एक तरफ गुमशुदा व्यक्तियों तथा देश के विभिन्न हिस्सों में पाये जाने वाले अज्ञात शवों के परस्पर मिलान को सक्षम बनाएंगे।
  • वहीं दूसरी तरफ बड़ी आपदाओं के शिकार हुए व्यक्तियों की पहचान करने में भी यह सहायक होगा।
  • गौरतलब है कि अपराधों के समाधान एवं गुमशुदा व्यक्तियों की पहचान के लिए डीएनए आधारित प्रौद्योगिकियों की उपयोगिता विश्वभर में स्वीकृत है।
  • फोरेन्सिक डीएनए प्रोफाइलिंग का ऐसे अपराधों के समाधान में स्पष्ट महत्व है जिनमें मानव शरीर (जैसे-हत्या, दुष्कर्म, मानव तस्करी या गंभीर रूप से घायल) को प्रभावित करने वाले एवं संपत्ति (चोरी, सेंधमारी एवं डकैती सहित) की हानि से संबंधित मामले से जुड़े अपराध का समाधान किया जाता है।
  • वर्ष 2016 के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआबी) में ऐसे अपराधों की कुल संख्या प्रतिवर्ष 3 लाख से अधिक है।
  • इनमें से केवल बहुत छोटे हिस्से का ही वर्तमान में डीएनए परीक्षण किया जाता है।
  • अब इस कानून के जरिए ऐसे वर्गों में इस प्रौद्योगिकी के विस्तारित उपयोग से न केवल न्यायिक प्रक्रिया में तेजी आएगी, बल्कि सजा दिलाने की दर भी बढ़ेगी जो वर्तमान में केवल 30 प्रतिशत (वर्ष 2016 के एनसीआरबी आकड़े) है।

संबंधित लिंक…
http://www.pib.nic.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=1537550