कॉल ड्रॉप पर छतिपूर्ति

Call On Compensate

प्रश्न-भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण में कॉल ड्रॉप होने की स्थिति में सेवा प्रदाताओं से उपभोक्ताओं को छतिपूर्ति दिलाने का प्रावधान किया गया है। यह प्रावधान कब से लागू होगा?
(a) 1 नवम्बर, 2015
(b) 1 दिसम्बर, 2015
(c) 1 जनवरी, 2016
(d) 1 अप्रैल,2016
उत्तर-(c)
संबंधित तथ्य

  • भारतीय दूर संचार विनियामक प्राधिकरण कॉल ड्रॉप के लिए अधिकतम 2% का मानक रखता है।
  • व्यवहार में कई कंपनियों द्वारा इस मानक के उल्लंघन किया जा रहा है जिससे उपभोक्ताओं को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
  • उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण हेतु ट्राई ने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 की धारा 11 के उपधारा 1 के खंड (ख) के उपखंड (i) एवं (v) के साथ पठित धारा 36 के अंतर्गत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए ‘दूर संचार उपभोक्ता संरक्षण (नौवां संशोधन) विनियमन 2015’ विनियमित किया।
  • ये विनियम 1 जनवरी, 2016 से लागू होंगे।
  • विनियम के अंतर्गत मोबाइल टेलीफोन सेवा प्रदान करने वाली कंपनी को प्रत्येक ड्रॉप कॉल के लिए कालिंग उपभोक्ता के खाते में (बैलेंस में) एक रुपया क्रेडिट (जमा) करना होगा।
  • यह क्रेडिट उपभोक्ता के एकाउंट में दिन भर (00:00:00-23:59:59 बजे तक) में अधिकतम तीन ड्रॉप हुए कॉलों के लिए होगा।
  • कॉल ड्रॉप होने की स्थिति में कॉलिंग उपभोक्ता के खाते में क्रेडिट की गयी राशि का विवरण उपभोक्ता को (SMS/VSSD) के माध्यम से चार घंटे के अंदर सूचित करना अनिवार्य है।
  • पोस्टपेड उपभोक्ताओं को क्रेडिट का विवरण अगले बिल में उपलब्ध कराया जाएगा।
  • ट्राई कंपनियों के कॉल ड्रॉप की समस्या को न्यूनतम करने हेतु उठाये गये कदमों की निगरानी करेगा और यदि आवश्यक हुआ तो 6 महीने बाद समीक्षा करेगा।
    सेवा प्रदाताओं का विरोध एवं तर्क
  • सेवा प्रदाता इस विनियम का विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि कॉल ड्राप की समस्या के मूल में आर्थिक कारक नहीं अपितु तकनीकी एवं राजनैतिक/प्रशासनिक कारक हैं।
  • ये कॉल ड्राप के लिए निम्न कारकों को उत्तरदायी मानते हैं-
  • निगम प्राधिकारियों द्वारा मौजूदा साइटों को सील/बंद करने की घटनायें,
  • विद्युत चुम्बकीय विकिरणों के प्रतिकूल प्रभावों के संबंध में उपभोक्ताओं की चिंता के कारण टावरों के लिए नई जगह मिलने में दिक्कत,
    स्पेक्ट्रम संबंधी मुद्दे।
  • कम्पनियों का मानना है कि आर्थिक मुआवजे से निरर्थक आर्थिक हानि होगी क्योंकि कॉल ड्रॉप का बड़ा हिस्सा उनके नियंत्रण से बाहर है।
  • कॉल ड्रॉप प्रारंभिक नेटवर्क, अंतिम नेटवर्क तथा उपभोक्ता के मोबाइल में से किसी में भी समस्या से हो सकती है। परंतु, भुगतान सेवा प्रदाता को करना होगा जो उसके व्यावसायिक हितों के प्रतिकूल होगा।
  • कंपनियों की चिंता इस बात को लेकर भी है कि उपभोक्ता आर्थिक लाभ हेतु जानबूझ कर कॉल ड्रॉप को अंजाम दे सकते हैं।
  • कॉल ड्रॉप की समस्या के समाधान के लिए कंपनियां ट्राई तथा केन्द्र एवं राज्य सरकारों के ठोस एवं सतत समर्थन की आवश्यकता पर बल देती हैं।
  • उनकी मांग है कि घोषणाओं यथा सरकारी भवनों पर टेलीकॉम टावर लगाने की अनुमति, प्रशासनिक पारदर्शिता, तकनीकी सहयोग आदि का तीव्र क्रियान्वयन किया जाय।

संबंधित लिंक भी देखें…
http://www.trai.gov.in/WriteReadData/PressRealease/Document/PR-591610_2015.pdf