केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनियमित जमा योजना और चिट फंडों (संशोधन) पर प्रतिबंध लगाने के नए विधेयक, 2018 को मंजूरी

प्रश्न-हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक, 2018 को संसद में पेश करने की मंजूरी दी। इसका उद्देश्य है-
(a) देश में गैर-कानूनी जमा राशि से जुड़ी समस्याओं से निपटना
(b) निवेशकों की बचतों की रक्षा करना
(c) (a) और (b) दोनों
(d) नियामकीय ढांचा बनाना
उत्तर-(c)
संबंधित तथ्य

  • 20 फरवरी, 2018 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने निवेशकों की बचतों की रक्षा करने के लिए एक प्रमुख नीतिगत पहल करते हुए निम्नलिखित विधेयकों को संसद में पेश करने की मंजूरी दे दी है-
    (1) अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक, 2018 और
    (2) चिट फंड (संशोधन) विधेयक, 2018
  • अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक, 2018 का उद्देश्य देश में गैर-कानूनी जमा राशि से जुड़ी समस्याओं से निपटना है।
  • यह विधेयक देश में गैर-कानूनी बचत योजनाओं से जुड़ी बुराई से निपटने के लिए एक विस्तृत कानून इस प्रकार प्रदान करेगा-
    (i) अनियमित जमा राशि से संबंधित गतिविधियों पर पूर्ण रोक
    (ii) अनियमित जमा राशि लेने वाली योजना को बढ़ावा देने अथवा उनके संचालन के लिए सजा
    (iii) जमाकर्ताओं को अदायगी करते समय धांधली के लिए कड़ी सजा
    (iv) जमा करने वाले प्रतिष्ठानों द्वारा चूक की स्थिति में जमा राशि की अदायगी सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा एक सक्षम प्राधिकरण की नियुक्ति
    (v) चूक करने वाले प्रतिष्ठान की संपत्ति कुर्क करने के लिए अधिकार देने सहित सक्षम प्राधिकार की शक्तियों और कामकाज
    (vi) जमाकर्ताओं की अदायगी की निगरानी और अधिनियम के अंतर्गत अपराधों पर कार्यवाही करने के लिए अदालतों का गठन और
    (vii) विधेयक में नियमित जमा योजनाओं को सूचीबद्ध करना, जिसमें सूची का विस्तार करने अथवा काट-छांट करने के लिए केंद्र सरकार को सक्षम बनाने का खंड हो।
    चिट फंड (संशोधन) विधेयक, 2018
  • चिट फंड क्षेत्र की सुव्यवस्थित वृद्धि और चिट फंड उद्योग के रास्ते में आने वाली अड़चनों को समाप्त करने के लिए, साथ ही अन्य वित्तीय उत्पादों तक लोगों की अधिक वित्तीय पहुंच सुनिश्चित करने के लिए, चिट फंड कानून, 1982 में निम्नलिखित संशोधनों का प्रस्ताव किया गया है-
  • चिट फंड कानून, 1982 के अनुच्छेद 2 (बी) और 11(1) के अंतर्गत चिट व्यवसाय के लिए ‘‘बंधुत्व कोष’’ शब्द का इस्तेमाल उसकी अंतर्निहित प्रकृति को स्पष्ट करने और एक अलग कानून के अंतर्गत प्रतिबंधित ‘‘प्राइज चिट’’ से उसके कामकाज को अलग करना है।
  • चिट का ड्रॉ कराने के लिए कम से कम दो ग्राहकों की जरूरत को बरकरार रखते हुए और कार्यवाही अधिकृत रिपोर्ट तैयार करने के लिए, चिट फंड (संशोधन) विधेयक, 2018 में यह इजाजत देने का प्रस्ताव है कि वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए कम से कम दो ग्राहक शामिल हों, जिसकी रिकॉर्डिंग चिट के अंतिम चरणों की दिशा में ग्राहकों की मौजूदगी के रूप में फोरमैन द्वारा की जाए। फोरमैन के पास कार्यवाही की अधिकृत रिपोर्ट होगी, जिस पर कार्यवाही के दो दिन के अंदर ऐसे ग्राहकों के हस्ताक्षर होंगे।
  • फोरमैन के कमीशन की अंतिम सीमा अधिकतम 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत करना, क्योंकि कानून के लागू होने तक दर अपरिवर्तनीय है, जबकि ऊपरी खर्चों और अन्य खर्चों में कई गुना वृद्धि हुई है।
  • फोरमैन को यह अधिकार दिया जाएगा कि वह ग्राहकों से बकाये की राशि ले ताकि उन ग्राहकों के लिए चिट कंपनी द्वारा मुआवजे की इजाजत दी जा सके, जिन्होंने पहले से ही धनराशि निकाल ली है ताकि उनके द्वारा धांधली को रोका जा सके, और
  • चिट फंड कानून, 1982 के अनुच्छेद 85 (ख) में संशोधन ताकि चिट फंड कानून तैयार करते समय 1982 में निर्धारित सौ रुपये की सीमा को समाप्त किया जा सके, जो अपना महत्व खो चुकी है। राज्य सरकारों को सीलिंग निर्धारित करने और उसमें समय-समय पर वृद्धि करने की इजाजत देने का प्रस्ताव किया गया है।

संबंधित लिंक
http://pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=1521027