प्रश्न-9-15 अक्टूबर, 2019 के मध्य वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर-भारत और उत्तर प्रदेश वन विभाग द्वारा ऊपरी गंगा खंड में गंगा नदी डॉल्फिन की वार्षिक जनगणना की गई। इस संबंध में विकल्प में कौन-सा तथ्य सही नहीं है?
(a) यह जनगणना ऊपरी गंगा नदी के लगभग 250 किमी. क्षेत्र में हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य और नरौरा रामसर साइट के बीच की गई।
(b) जनगणना हेतु प्रत्यक्ष गणना पद्धति का उपयोग किया गया।
(c) इस जनगणना के अनुसार इस वर्ष गंगा डॉल्फिन की आबादी वर्ष 2018 के 33 से बढ़कर 36 हो गई है।
(d) हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य साइट में 31 और नरौरा रामसर साइट में 5 डॉल्फिन पाई गईं।
उत्तर-(b)
संबंधित तथ्य
(a) यह जनगणना ऊपरी गंगा नदी के लगभग 250 किमी. क्षेत्र में हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य और नरौरा रामसर साइट के बीच की गई।
(b) जनगणना हेतु प्रत्यक्ष गणना पद्धति का उपयोग किया गया।
(c) इस जनगणना के अनुसार इस वर्ष गंगा डॉल्फिन की आबादी वर्ष 2018 के 33 से बढ़कर 36 हो गई है।
(d) हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य साइट में 31 और नरौरा रामसर साइट में 5 डॉल्फिन पाई गईं।
उत्तर-(b)
संबंधित तथ्य
- 9-15 अक्टूबर, 2019 के मध्य वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (World Wide Fund for Nature) भारत और उत्तर प्रदेश वन विभाग द्वारा ऊपरी गंगा खंड में गंगा नदी डॉल्फिन की वार्षिक जनगणना की गई।
- यह जनगणना ऊपरी गंगा नदी के लगभग 250 किमी. क्षेत्र में हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य और नरौरा रामसर साइट के बीच की गई।
- जनगणना की शुरुआत बिजनौर से हुई।
- डॉल्फिन की गणना हेतु प्रतिवर्ष प्रत्यक्ष गणना पद्धति का उपयोग किया जाता था, किन्तु इस वर्ष की जनगणना में अग्रानुक्रम नाव सर्वेक्षण (Tandem Boat Survey) पद्धति का उपयोग किया गया।
- इस जनगणना के अनुसार इस वर्ष गंगा डॉल्फिन की आबादी वर्ष 2018 के 33 से बढ़कर 36 हो गई है।
- हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य साइट में 31 और नरौरा रामसर साइट पर 5 डॉल्फिन पाई गईं।
- गंगा नदी डॉल्फिन को सुसू (Susu) भी कहा जाता है।
- इस डॉल्फिन का वैज्ञानिक नाम ‘प्लाटानिस्टा गंगेटिका’ (Platanista Gangetica) है।
- गंगा नदी डॉल्फिन भारत का राष्ट्रीय जलीय पशु है।
- गंगा नदी डॉल्फिन की प्रजाति भारत, नेपाल, बांग्लादेश तथा पाकिस्तान की सिंधु में (सिंधु डॉल्फिन) पाई जाती है।
- अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN-International Union for Conservation of Nature) द्वारा डॉल्फिन को विलुप्त प्राप्त जीव घोषित किया गया है।
लेखक-विजय प्रताप सिंह
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