सीसीईए द्वारा ‘कपड़ा क्षेत्र में क्षमता निर्माण योजना’ को मंजूरी

Scheme for Capacity Building in Textiles Sector (SCBTS)

प्रश्न- हाल ही में आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने किस अवधि के लिए ‘कपड़ा क्षेत्र में क्षमता निर्माण योजना’ को मंजूरी दी?
(a) वर्ष 2017-18 से 2019-20
(b) वर्ष 2018-19 से 2020-21
(c) वर्ष 2017-18 से 2021-22
(d) वर्ष 2019-20 से 2021-22
उत्तर-(a)
संबंधित तथ्य

  • 20 दिसंबर, 2017 को आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने संगठित क्षेत्र में कताई और बुनाई को छोड़कर कपड़ा क्षेत्र की समूची मूल्य शृंखला को शामिल करते हुए एक नई कौशल विकास योजना को मंजूरी दी।
  • इसे ‘कपड़ा क्षेत्र में क्षमता निर्माण योजना’ (SCBTS) नाम दिया गया है।
  • इस योजना को 1300 करोड़ रुपये की लागत खर्च के साथ वर्ष 2017-18 से लेकर वर्ष 2019-20 तक की अवधि के लिए स्वीकार किया गया है।
  • इस योजना में कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के सामान्य मानकों के आधार पर राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क के अनुरूप प्रशिक्षण पाठ्यक्रम होंगे।
  • योजना का उद्देश्य संगठित कपड़ा क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने के संबंध में उद्योग के प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए मांग आधारित, प्लेसमेंट संबंधी कौशल कार्यक्रम, कपड़ा मंत्रालय के संबंधित संगठनों के माध्यम से कौशल विकास और कौशल उन्नयन को प्रोत्साहन देना तथा देशभर के हर वर्ग को आजीविका प्रदान करना है।
  • कौशल कार्यक्रम का क्रियान्वयन इस प्रकार किया जाएगा-
    (i) श्रम शक्ति की घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए कपड़ा उद्योग/इकाई द्वारा,
    (ii) कपड़ा उद्योग/इकाइयों के साथ रोजगार समझौते के तहत प्रतिष्ठित प्रशिक्षण संस्थान द्वारा, और
    (iii) कपड़ा उद्योग/इकाइयों के साथ रोजगार समझौते के संबंध में कपड़ा मंत्रालय/राज्य सरकारों के संस्थानों द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा।
  • योजना के तहत निम्नलिखित रणनीति अपनाई जाएगी-
    1. संबंधित कार्य को ध्यान में रखते हुए कौशल लक्ष्य के विभिन्न स्तरों यानी प्रवेश स्तर के पाठ्यक्रम, कौशल उन्नयन, निरीक्षण, प्रबंधन प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए उन्नत पाठ्यक्रम सहित कौशल विकास, प्रशिक्षण, उद्यमशीलता विकास के आधार पर रणनीति अपनाई जाएगी।
    2. उद्योग के साथ सम्मति लेकर समय-समय पर कौशल की आवश्यकताओं का मूल्यांकन किया जाएगा।
    3. कार्यक्रम के क्रियान्वयन के हर पक्ष के संचालन के लिए वेब आधारित निगरानी की जाएगी।
    4. हथकरघा, हस्तशिल्प, पटसन, रेशम इत्यादि जैसे परंपरागत क्षेत्रों की कौशल संबंधी जरूरतों पर संबंधित क्षेत्रीय उपखंडों/संगठनों के जरिए विशेष परियोजनाओं के स्वरूप पर विचार किया जाएगा।
    5. इसके अलावा, ‘मुद्रा’ ऋणों के प्रावधानों के जरिए उद्यमशीलता के विकास के संबंध में कौशल उन्नयन को समर्थन दिया जाएगा।
  • यह योजना देश भर में समाज के सभी वर्गों के लाभ के लिए लागू की जाएगी।
  • जिसमें ग्रामीण, दूर-दराज के इलाके, वामपंथ उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र, पूर्वोत्तर तथा जम्मू-कश्मीर शामिल हैं।

संबंधित लिंक
http://pib.nic.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=1513467