समेकित सिल्क विकास योजना

प्रश्न-हाल ही में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा आगामी कितने वर्षों की अवधि हेतु केंद्रीय क्षेत्र की समेकित सिल्क उद्योग विकास योजना को मंजूरी प्रदान की गई?
(a) 2 वर्ष
(b) 3 वर्ष
(c) 5 वर्ष
(d) 6 वर्ष
उत्तर-(b)
संबंधित तथ्य

  • 21 मार्च, 2018 को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा आगामी तीन वर्षों के लिए (वर्ष 2017-18 से 2019-20 तक) केंद्रीय क्षेत्र की ‘समेकित सिल्क उद्योग विकास योजना’ को मंजूरी प्रदान की गई।
  • इस योजना के 4 घटक हैं-(i) अनुसंधान और विकास, प्रशिक्षण प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण और सूचना प्रौद्योगिकी पहल (ii) बीज संगठन और किसान विस्तार केंद्र (iii) बीज, धागा तथा रेशम उत्पादों के लिए समन्वय तथा विकास और (iv) रेशम परीक्षण सुविधाओं, खेत आधारित और कच्चे रेशम के कोवे के बाद (Post Cocoon) प्रौद्योगिकी उन्नयन और निर्यात ब्रांड का संवर्द्धन करने की श्रृंखला के अलावा गुणवत्ता प्रमाणन प्रणाली।
  • आगामी तीन वर्षों (वर्ष 2017-18 से 2019-20 तक) में इस योजना के कार्यान्वयन हेतु 2161.68 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई है।
  • वस्त्र मंत्रालय केंद्रीय रेशम बोर्ड के माध्यम से इस योजना को लागू करेगा।
  • इस योजना का उद्देश्य वर्ष 2022 तक रेशम उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करना है।
  • लक्ष्य की प्राप्ति पर वर्ष 2022 तक भारत में उच्च कोटि के रेशम का उत्पादन 20,650 मीट्रिक टन तक पहुंचने की संभावना है जो वर्तमान में 11,326 मीट्रिक टन है।
  • वर्ष 2020 तक आयात के विकल्प के रूप में प्रतिवर्ष 85,00 मीट्रिक टन बाइवोल्टाइन (Bivoltine) रेशम का उत्पादन होगा।
  • वर्ष 2019-20 की समाप्ति तक रेशम का उत्पादन वर्तमान 100 किग्रा./हेक्टेयर के स्तर से 111 किग्रा/हेक्टेयर तक लाने के लिए अनुसंधान और विकास पर बल दिया जाएगा।
  • इस योजना से महिला अधिकारिता को बढ़ावा मिलेगा और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा समाज के अन्य कमजोर वर्गों को आजीविका के अवसर प्राप्त होंगे।
  • पहली बार उच्च श्रेणी की गुणवत्ता वाले रेशम के उत्पादन में सुधार पर स्पष्ट रूप से ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • वर्ष 2020 तक 4 ‘ए’ ग्रेड के रेशम का उत्पादन शहतूत के उत्पादन का वर्तमान 15 प्रतिशत के स्तर से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया जाना प्रस्तावित है।
  • रोग प्रतिरोधक रेशम के कीड़े, जीवधारी पौध में सुधार, उत्पादकता बढ़ाने संबंधी साधनों और रीलिंग कताई के लिए सामग्री आदि से जुड़ी अनुसंधान और विकास परियोजनाओं का कार्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कृषि और मानव संसाधन विकास मंत्रालयों के सहयोग से किया जाएगा।
  • इस योजना का प्रमुख उद्देश्य अनुसंधान और विकास के माध्यम से रेशम की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार लाना है।
  • इस योजना से रेशम का उपयुक्त प्रक्रियाओं के साथ 2016-17 के 30,348 मीट्रिक टन के स्तर से बढ़कर 2019-20 की समाप्ति तक 38,500 मीट्रिक टन होने की उम्मीद है।
  • अनुसंधान और विकास का मुख्य जोर उन्नत क्रॉसब्रीड रेशम और आयात के विकल्प के रूप में बाइबोल्टाइन रेशम को बढ़ावा देना है जिससे वर्ष 2022 तक भारत रेशम उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाए।
  • तकनीकी सुधार और सस्ते मशीनीकरण पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा।
  • सीड कानून के अंतर्गत पंजीकरण प्रक्रिया और सीड उत्पादन केंद्रों द्वारा रिपोर्टिंग मूलभूत सीड फार्म, विस्तार केंद्रों को वेब आधारित सॉफ्टवेयर विकसित कर स्वचालित बनाया जाएगा।

संबंधित लिंक
https://www.narendramodi.in/cabinet-approves-central-sector-integrated-scheme-for-development-of-silk-industry-for-sericulture-sector-539396
http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=177829
http://pib.nic.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1525747
http://www.uniindia.com/cabinet-approves-central-sector-sericulture-scheme/india/news/1175595.html