प्रश्न-RBI ने हाल ही में शहरी सहकारी बैंकों के लिए पर्यवेक्षी ढांचे को युक्तिसंगत बनाया है, जिसके तहत किसी शहरी सहकारी बैंक की निवल गैर-निष्पादक आस्तियां (Net NPAs) उसके निवल उधारों के कितने प्रतिशत से अधिक होने पर उसे पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे के अंतर्गत लाया जा सकता है?
(a) 2 प्रतिशत
(b) 3 प्रतिशत
(c) 4 प्रतिशत
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(d)
संबंधित तथ्य
(a) 2 प्रतिशत
(b) 3 प्रतिशत
(c) 4 प्रतिशत
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(d)
संबंधित तथ्य
- जनवरी, 2020 में RBI ने शहरी सहकारी बैंकों (UCBs-Urban Co-operative Banks) के लिए पर्यवेक्षी ढांचे को युक्ति संगत बनाया।
- ऐसा UCBs में वांछित सुधार लाने तथा वित्तीय तनाव का अनुभव कर रहे बैंकों के जल्द समाधान के उद्देश्य से किया गया है।
- पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे की प्रमुख विशेषताएं-
- किसी शहरी सहकारी बैंक की निवल गैर-निष्पादक आस्तियां (Net NPAs) उसके निवल उधारों के छः प्रतिशत से अधिक होने पर उसे पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे SAF (Supervisory Action Framework) के अंतर्गत लाया जा सकता है।
- किसी UCBs को लगातार दो वित्तीय वर्षों में हानि होने पर उसे SAF (Supervisory action Frame work) ढांचे के अंतर्गत लाया जा सकता है।
- किसी UCBs का CRAR (पूंजी से रिस्क वेटेड परिसंपत्तियों का अनुपात) 9 प्रतिशत से कम होने पर भी उसे SAF ढांचे के अंतर्गत लाया जा सकता है।
- जब UCBs द्वारा सामान्य कामकाज को जारी रखने को जमाकर्ताओं/आम जनता के हित में नहीं समझा जाएगा तो RBI द्वारा बैंकिंग विनियमन अधिनियम के अंतर्गत सर्व-समावेशी निर्देश जारी करने तथा बैंकिंग लाइसेंस को निरस्त करने हेतु कारण बताओ नोटिस जारी करने जैसी कार्रवाइयों पर विचार किया जा सकता है।
- UCBs के खिलाफ पर्यवेक्षी कार्रवाई सामान्यतया सांविधिक निरीक्षण के दौरान निर्धारित उसकी वित्तीय स्थिति के आधार पर की जाएगी।
- संशोधित ‘पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे’ (SAF) को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा।
- ध्यातव्य है कि प्राथमिक सहकारी बैंकों को ही शहरी सहकारी बैंक (UCBs) भी कहते हैं।
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