प्रश्न–हाल ही में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए एक निर्णय के अनुसार किसी युगल का लंबे समय तक साथ रहना विवाह समान माना गया। उपर्युक्त निर्णय के अनुसार कोई महिला अपराध प्रक्रिया संहिता की किस धारा के तहत रख–रखाव का दावा कर सकती है?
(a) धारा-125
(b) धारा-225
(c) धारा-135
(d) धारा-142
उत्तर-(a)
संबंधित तथ्य
- 24 अक्टूबर, 2018 को उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक फैसले के खिलाफ एक महिला की अपील पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि कोई युगल पति और पत्नी के रूप में एक साथ रहता है कानूनी रूप से विवाहित होता है और ऐसी स्थिति में महिला अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत वह रख-रखाव का दावा कर सकती है।
- न्यायाधीश आर. भानुमति और इंदिरा बैनर्जी की खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा कि -ऐसे मामलों में जहां एक पुरुष एक महिला के साथ लंबी अवधि तक साथ रहता है, भले ही उसके लिए वैध विवाह की कानूनी आवश्यकता न हो, यदि वह उसे छोड़ देता है तो भी उसे महिला के रख-रखाव के लिए उत्तरदायी बनाया जाना चाहिए।
- निर्णय में यह भी कहा गया कि किसी भी व्यक्ति को कर्तव्यों और दायित्वों से रहित किसी वास्तविक शादी जैसे फायदे का आनंद उठाकर कानून की कमी का लाभ उठाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
लेखक-प्रकाश चंद्र पाण्डेय
संबंधित लिंक…
https://www.livelaw.in/strict-proof-of-marriage-not-needed-for-maintenance-proceedings-under-sec-125-crpc-reiterates-sc-read-judgment/
https://www.sci.gov.in/judgments