राष्ट्रीय जांच एजेंसी (संशोधन) विधेयक, 2019

National Investigation Agency (Amendment) Bill, 2019
प्रश्न-हाल ही में संसद द्वारा पारित राष्ट्रीय जांच एजेंसी (संशोधन) विधेयक, 2019 के संबंध में क्या सही नहीं है?
(a) इसे लोक सभा द्वारा 15 जुलाई, 2019 को पारित कर दिया गया।
(b) इस विधेयक राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम 2012 में संशोधन प्रस्तावित करती है।
(c) इसके तहत एन.आई.ए. अधिकारियों को भारत के बाहर किए गए अनुसूचित अपराधों की जांच करने की शक्ति होगी।
(d) नई दिल्ली स्थित विशेष अदालत के पास इन मामलों पर अधिकार क्षेत्र (Jurisdiction) होग।
उत्तर-(b)
संबंधित तथ्य
  • 15 जुलाई, 2019 को लोक सभा द्वारा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (संशोधन) विधेयक, 2019 को पारित कर दिया गया।
  • इससे पूर्व 8 जुलाई, 2019 को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा इस विधेयक को लोक सभा में पेश किया गया था।
  • इस विधेयक द्वारा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अधिनियम, 2008 में संशोधन प्रस्तावित है।
  • अधिनियम, 2008 की अनुसूची उन अपराधों की एक सूची को निर्दिष्ट करती है जिनकी एन.आई.ए. द्वारा जांच और मुकदमा चलाया जाना है।
  • ये अपराध परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम, 1967 के तहत हैं।
  • यह विधेयक एन.आई.ए. को निम्न अपराधों की जांच की अनुमति प्रदान करता है-(i) मानव तस्करी, (ii) जाली मुद्रा या बैंक नोट्स से संबंधित अपराध, (iii) निषिद्ध हथियारों का निर्माण या बिक्री, (iv) साइबर आतंकवाद (v) बिस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 के तहत अपराध।
  • एन.आई.ए. अधिकारियों के पास संपूर्ण भारत में ऐसे अपराधों की जांच के संबंध में अन्य पुलिस अधिकारियों के समान शक्तियां हैं।
  • विधेयक के अनुसार एन.आई.ए. अधिकारियों को अंतरराष्ट्रीय संधियों और अन्य देशों के घरेलू कानूनों के अधीन भारत के बाहर किए गए अनुसूचित अपराधों की जांच करने की शक्ति होगी।
  • केंद्र सरकार एन.आई.ए. को निर्देश दे सकती है कि ऐसे मामलों की उसी प्रकार जांच हो जैसे कि अपराध भारत में किया गया है।
  • नई दिल्ली स्थित विशेष अदालत के पास इन मामलों पर अधिकार क्षेत्र होगा।
  • विधेयक के अनुसार केंद्र सरकार अनुसूचित अपराधों के मुकदमें के लिए सत्र न्यायालयों को विशेष न्यायालयों के रूप में नामित कर सकती है।
  • इससे पूर्व केंद्र सरकार को उस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करना आवश्यक है, जिसके अधीन सत्र न्यायालय कार्य कर रहा है।
  • इसके अतिरिक्त, राज्य सरकारें भी अनुसूचित अपराधों की सुनवाई के लिए सत्र न्यायालयों को विशेष न्यायालयों के रूप में नामित कर सकती हैं।

संबंधित लिंक भी देखें…

http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=191894