नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र अध्यादेश, 2019

प्रश्न-राष्ट्रपति द्वारा ‘नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र अध्यादेश, 2019’ कब प्रख्यापित किया गया था?
(a) 2 मार्च, 2019
(b) 3 मार्च, 2019
(c) 4 मार्च, 2019
(d) 5 मार्च, 2019
उत्तर-(a)
संबंधित तथ्य

  • 12 जून, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘नई दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (NDIAC) विधेयक, 2019 को संसद में पेश करने की मंजूरी प्रदान की।
  • यह विधेयक 2 मार्च, 2019 को राष्ट्रपति द्वारा प्रख्यापित ‘नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र अध्यादेश, 2019 का स्थान लेगा।
  • पृष्ठभूमि
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 2017 में केंद्र सरकार ने वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) व्यवस्था के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय एवं घरेलू वाणिज्यिक विवादों को तेजी से निपटाने के लिए एक स्वतंत्र एवं स्वायत्त संस्थान की स्थापना से संबंधित सुझाव देने के लिए न्यायमूर्ति बी. एन. श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था।
  • उक्त समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15 दिसंबर, 2019 को ‘नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र विधेयक, 2018’ को मंजूरी दी थी।
  • यह विधेयक 4 जनवरी, 2018 को लोक सभा में पेश किया गया था और 4 जनवरी, 2019 को लोक सभा द्वारा यह विधेयक पारित हुआ।
  • परंतु 16वीं लोक सभा के विघटन होने के कारण यह विधेयक समाप्त (Lapse) हो गया था।
  • 2 मार्च, 2019 को राष्ट्रपति ने भारत को संस्थागत मध्यस्थता का केंद्र बनाने की विशेष अहमियत तथा भारत में ‘कारोबार करने में और सुगमता’ सुनिश्चित करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र अध्यादेश, 2019 प्रख्यापित किया।
  • संविधान के अनुच्छेद 107 (5) और अनुच्छेद 123 (2) के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए ‘नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र अध्यादेश, 2019’ को जारी किया गया।
  • नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र
  • नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र का प्रमुख एक चेयरपर्सन होगा।
  • चेयरपर्सन वह व्यक्ति होगा जो उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय का न्यायाधीश रहा हो या ऐसा कोई प्रख्यात व्यक्ति हो, जिसे मध्यस्थता के प्रशासन, कानून या प्रबंधन आयोजित करने का अनुभव हो।
  • केंद्र सरकार द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से चेयरपर्सन को नियुक्त किया जाएगा।
  • अंतरराष्ट्रीय एवं घरेलू दोनों स्तरों पर संस्थागत मध्यस्थता की पर्याप्त जानकारी और अनुभव रखने वाले प्रख्यात व्यक्तियों में से दो पूर्णकालिक या अशंकालिक सदस्यों को भी इसमें शामिल किया जाएगा।
  • वाणिज्य एवं उद्योग की मान्यता प्राप्त निकाय के एक सदस्य को भी अंशकालिक सदस्य के रूप में बारी-बारी से नामांकित किया जाएगा।
  • विधि एवं न्याय मंत्रालय के कानूनी मामलों के विभाग के सचिव, वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग द्वारा नामांकित वित्तीय सलाहकार और नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र के मुख्य कार्यकारी इसके पदेन सदस्य होंगे।
  • अंतरराष्ट्रीय और घरेलू मध्यस्थता के संचालन के लिए एक प्रमुख संस्थान के रूप में ‘नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र को स्थापित करने के लिए लक्षित सुधार लाना।
  • समझौता मध्यस्थता और पंचायती प्रक्रियाओं के लिए सुविधाएं तथा प्रशासनिक सहायता उपलब्ध कराना।
  • अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त पंचों, समझौता कराने वालों तथा मध्यस्थों अथवा विशेषज्ञों जैसे सर्वेक्षणकर्ताओं और जांचकर्ताओं का पैनल बनाना।
  • सर्वाधिक पेशेवर तरीके से अंतरराष्ट्रीय एवं घरेलू मध्यस्थताएं एवं समझौता कराना।
  • अंतरराष्ट्रीय एवं घरेलू स्तर पर मध्यस्थता तथा समझौता के लिए किफायती एवं समय पर सेवाएं उपलब्ध कराना।
  • वैकल्पिक विवाद समाधान एवं संबंधित मामलों के क्षेत्र में अध्ययनों को बढ़ावा देना और विवादों के निपटारे की प्रणाली में सुधारों को बढ़ावा देना।
  • वैकल्पिक विवाद समाधान को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय अन्य समुदायों, संस्थानों और संगठनों के साथ सहयोग करना।

संबंधित लिंक भी देखें… https://www.prsindia.org/sites/default/files/bill_files/The%20New%20Delhi%20International%20Arbitration%20Centre%20Ordinance%2C%202019.pdf
https://www.prsindia.org/billtrack/new-delhi-international-arbitration-centre-ordinance-2019
http://pib.nic.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=1574071