ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजीज स्टडी (1990-2017) रिपोर्ट

the Global Burden of Disease Study
प्रश्न-किस पत्रिका द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चे अभी भी कुपोषित हैं?
(a) लैंसेट चाइल्ड एंड एडोलेसेंट हेल्थ
(b) टाइम
(c) फोर्ब्स
(d) आईसीएमआर
उत्तर-(a)
संबंधित तथ्य
  • सितंबर, 2019 में लैंसेट चाइल्ड एंड एडोलेसेंट हेल्थ नामक पत्रिका में ‘‘भारत के राज्यों में बच्चों और मातृ कुपोषण का बोझ और उसके संकेतकों का रुझान : ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजीज स्टडी 1990-2017)’’ नामक एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2017 में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में से 2/3 बच्चों की कुपोषण के कारण मृत्यु हुई।
  • वर्ष 1991 में 5 वर्ष से कम आयु के 70.4 प्रतिशत बच्चों की कुपोषण से मृत्यु हुई, जबकि वर्ष 2017 में 68.2 प्रतिशत बच्चों की कुपोषण से मृत्यु हुई।
  • रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न राज्यों में कुपोषण से संबंधित विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (DALY) की दर में बहुत असमानता है।
  • यह दर राजस्थान उत्तर प्रदेश, बिहार और असम में सर्वाधिक है, इसके बाद मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओड़िशा, नगालैंड और त्रिपुरा का स्थान आता है।
  • वर्ष 2017 में जन्म के समय कम वजन (Low birth weight) का प्रसार 21.4 प्रतिशत था, जो मिजोरम में सबसे कम 8.7 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 24.2 प्रतिशत था।
  • वर्ष 2017 में बच्चों के कम विकास का प्रसार 39 प्रतिशत था, जो उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 49 प्रतिशत और गोवा में सबसे कम 21 प्रतिशत था।
  • बच्चों में कम वजन का प्रसार 32.7 प्रतिशत था, जो मणिपुर में सबसे कम 16.2 प्रतिशत और सबसे अधिक 42.2 प्रतिशत झारखंड में था।
  • बच्चों में एनीमिया की व्यापकता 59.7 प्रतिशत थी, जो मिजोरम में सबसे कम 21 प्रतिशत और सबसे अधिक हरियाणा में 74 प्रतिशत भी।
  • रिपोर्ट के अनुसार 11.5 प्रतिशत बच्चे अधिक वजन की समस्या से पीड़ित हैं।
  • महिलाओं में एनीमिया का प्रसार 54.4 प्रतिशत था, जो सबसे अधिक 65 प्रतिशत हरियाणा में और सबसे कम 28 प्रतिशत मिजोरम में था।
  • भारत में स्तनपान का प्रसार 53.3 प्रतिशत था, जो छत्तीसगढ़ में अधिकतम 74 प्रतिशत और मेघालय में न्यूनतम 34 प्रतिशत पाया गया।
  • भारत में कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए राष्ट्रीय पोषण मिशन चलाया जा रहा है।
  • इसके तहत सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सम्मिलित किया गया है।
  • वर्ष 2022 तक कुपोषण से संबंधित विभिन्न संकेतकों जैसे जन्म के समय कम वजन, विकास अवरुद्ध होना और महिलाओं में एनीमिया के स्तर में कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है।

लेखक-राजेश त्रिपाठी

संबंधित लिंक भी देखें…

https://www.thelancet.com/action/showPdf?pii=S2352-4642%2819%2930273-1

a