प्रश्न-हाल ही में वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस को बेअसर करने वाले दो एंटीबॉडी की पहचान की है। ये एंटीबॉडी कहां के स्तनधारी लामाओं से प्राप्त किए गए हैं?
(a) उत्तरी अमेरिका
(b) दक्षिणी अमेरिका
(c) पश्चिमी अफ्रीका
(d) पूर्वी अफ्रीका
उत्तर-(b)
संबंधित तथ्य
- जुलाई, 2020 में वैज्ञानिकों ने एक शोध में कोरोना वायरस को बेअसर करने वाले दो एंटीबॉर्डी की पहचान की है।
- ये एंटीबॉडी दक्षिणी अमेरिकी स्तनधारी लामाओं से प्राप्त किए गए हैं।
- यह शोध रोसालिंड फ्रैकलिन इंस्टीट्यूट, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और डायमंड लाइट सोर्स एंड पब्लिक हेल्थ, इंग्लैंड के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया।
- इन दो छोटे, स्थिर एंटीबॉडी से प्रयोगशाला-संवर्धित कोशिकाओं में कोरोना वायरस को बेअसर किया जा सकता है।
- इसे कोविड-19 के विरुद्ध एक नई चिकित्सा पद्धति को हासिल करने की दिशा में प्रगति के रूप में देखा जा रहा है।
- यह अध्ययन ‘नेचर स्ट्रक्चरल एंड मॉलिक्यूलर बायालॉजी’ नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
- इस अध्ययन के अनुसार, नैनोबॉडीज प्रोटीन एसीई 2 (ACE2) के साथ अंतःक्रिया को रोककर कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण को रोका जा सकता है।
- मौजूदा अध्ययन में वैज्ञानिकों द्वारा सार्स-सीओवी-2 को बेअसर करने में दक्षिण अमेरिकी स्तनधारी लाभाओं से प्राप्त एंटीबॉडी की क्षमता का परिक्षण किया गया।
- वैज्ञानिकों के अनुसार, अधिकांश स्तनधारियों की तरह मानव एंटीबॉडी में भी दो शृंखलाएं होती हैं-भारी और हल्की।
- किंतु लामा जैसे जीवों में एक अतिरिक्त एकल भारी शृंखला एंटीबॉडी भी होती है, जिसे नैनोबॉडी के रूप में जाना जाता है।
- वैज्ञानिकों के अनुसार, नैनोबॉडी छोटे, स्थिर और आसानी से निर्मित होते हैं और इस तरह निदान के लिए पारंपरिक एंटीबॉडी के विकल्प के रूप में काम करते हैं।
लेखक-विजय प्रताप सिंह
संबंधित लिंक भी देखें…
https://www.sciencedaily.com/releases/2020/07/200713104334.htm