प्रश्न-हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्वर्ण मौद्रीकरण योजनाओं को मंजूरी प्रदान की। इसके तहत योजना है-
(a) संशोधित स्वर्ण जमा योजना
(b) संशोधित स्वर्ण धातु ऋण योजना
(c) (a) और (b) दोनों
(d) संशोधित स्वर्ण बांड योजना
उत्तर-(c)
संबंधित तथ्य
- 9 सितंबर, 2015 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘स्वर्ण मौद्रीकरण योजनाओं’ (GMS) को मंजूरी प्रदान की।
- उल्लेखनीय है कि इसकी घोषणा केंद्रीय बजट 2015-16 में की गई थी।
- स्वर्ण मौद्रीकरण योजनाओं (GMS) के तहत देश के नागरिकों, न्यासों और विभिन्न संस्थानों के पास जो अनुपयुक्त सोना है उसे उत्पादक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
- इसका दीर्घकालिक उद्देश्य यह है कि इस तरह की व्यवस्था बनाई जाए जिसके तहत सोने के आयात पर निर्भरता कम हो ताकि घरेलू भाग को पूरा किया जा सके।
- उल्लेखनीय है कि स्वर्ण मौद्रीकरण योजनाओं से रत्न एवं आभूषण क्षेत्र को फायदा होगा।
- गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2014-15 में भारत के कुल निर्यातों में रत्नों एवं आभूषणों का 12 प्रतिशत योगदान था जिनमें अकेले स्वर्ण सामग्रियों का मूल्य 13 अरब अमेरिकी डॉलर (अनंतिम आंकड़े) से अधिक है।
- स्वर्ण मौद्रीकरण योजनाओं (GMS) में ‘संशोधित स्वर्ण जमा योजना’ (GDS) तथा ‘संशोधित स्वर्ण धातु ऋण (GML) योजना शामिल हैं।
- संशोधित स्वर्ण जमा योजना के तहत ग्राहक किसी भी समय बैंक में केवाईसी (KYC) नियमों के तहत स्वर्ण बचत खाता खोल सकते हैं।
- इस खाते में ग्राम के हिसाब से सोना रखा जाएगा।
- एक ग्राहक को सोने की न्यूनतम मात्रा लाने का प्रस्ताव है जिसे 30 तोला निर्धारित किया गया है।
- यह सोना किसी भी प्रकार (सिक्के या आभूषण) में हो सकता है।
- इस योजना के तहत सोने के संकलन और उनकी शुद्धता की जांच करने की अनुमति केवल उन्हीं केंद्रों को दी जाएगी जो भारतीय मानक ब्यूरो के मानकों के अनुरूप होंगे।
- उल्लेखनीय है कि इस समय देश के विभिन्न भागों में सोने के शुद्धिकरण और प्रमाणीकरण से संबंधित 331 केंद्र हैं।
- संकलन एवं शुद्धता जांच केंद्र सोने को शोधकों के पास भेजेंगे।
- अगर बैंक सोने को अपने पास नहीं रखते तो शोधक स्वर्ण को बैंकों से शुल्क लेकर अपने गोदामों में रखेंगे।
- इस हेतु बैंक शोधकों और संकलन एवं शुद्धता जांच केंद्रों के साथ एक त्रिपक्षीय वैधानिक समझौता करेंगे।
- बैंकों द्वारा यह समझौता उन केंद्रों और शोधकों के साथ किया जाएगा जिन्हें योजना में बैंक अपने साझीदार के रूप में चुनेंगे।
- संशोधित स्वर्ण जमा योजना के तहत स्वर्ण जमा 1 से 3 वर्ष की छोटी अवधि के लिए किया जा सकता है जिसे एक-एक वर्ष करके बढ़ाया जा सकता है।
- इसके अलावा मध्यकालीन अवधि 5 से 7 और दीर्घकालीन अवधि 12 से 15 वर्षों की होगी। इसे समय-समय पर तय किया जाएगा।
समय से पहले स्वर्ण लेने पर जुर्माना लगाया जाएगा। - छोटी अवधि की स्वर्ण जमा पर ब्याज दर बैंक निर्धारित करेगा जबकि मध्यकालीन और दीर्घकालीन जमा के संबंध में ब्याज दर सरकार तय करेगी।
- छोटी अवधि की जमा को ग्राहक के पास वापस लेने का विकल्प रहेगा।
- यह विकल्प मूल जमा और अर्जित ब्याज के संबंध में होगा जिसे नगदी या सोने के रूप में वापस लिया जा सकेगा।
- नगदी के संबंध में वापस लेने के समय सोने की जो मौजूदा कीमत होगी उसके वजन के आधार पर नगद पैसा दिया जाएगा।
- सोना लेने की स्थिति में जमाशुदा सोने के वजन के बराबर वापस दिया जाएगा।
- इसके विषय में जमा करते समय यह बताना होगा कि वापसी नगद लेनी है या सोने के रूप में।
- मध्यकालीन एवं दीर्घकालीन जमाओं के संबंध में वापसी केवल नगद में की जाएगी जो वापस लेने के समय जमाशुदा सोने की मौजूदा कीमत और वजन के अनुरूप तय होगी।
- जमाशुदा सोने पर अर्जित किया जाने वाला ब्याज सोने के मूल्य और तयशुदा ब्याज दर के आधार पर होगा।
- ‘संशोधित स्वर्ण धातु ऋण योजना’ के तहत बैंक सुनारों के लिए ‘स्वर्ण धातु ऋण खाता’ खोलेगा जो सोने के वजन ग्राम के आधार पर होंगे।
- लघुकालीन विकल्प के तहत संशोधित स्वर्ण जमा योजना के जरिए जो सोना प्राप्त किया जाएगा उसे सुनारों को उधार पर दिया जाएगा।
- इसके लिए बैंक भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुरूप शर्तें तय करेंगे।
- स्वर्ण धातु ऋण पर ब्याज दर सभी बैंक भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुरूप तय करेंगे।
- इस समय स्वर्ण धातु ऋण (GMS) की अवधि 180 दिन है।
संबंधित लिंक भी देखें…
http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=126748