कंपनी कानून समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत

Company Law Committee bats for decriminalising provisions of Companies Act
प्रश्न-18 नवंबर, 2019 को किसकी अध्यक्षता में गठित कंपनी कानून, समिति ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण को सौंपी?
(a) टी.के. विश्वनाथन
(b) इंजेती श्रीनिवास
(c) उदय कोटक
(d) जी. रामास्वामी
उत्तर-(b)
संबंधित तथ्य
  • 18 नवंबर, 2019 को कंपनी कानून समिति ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण को सौंपी।
  • गौरतलब है कि कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने सितंबर, 2019 में कंपनी कानून समिति का गठन किया था।
  • इस समिति को कंपनी अधिनियम, 2013 के विभिन्न प्रावधानों की गंभीरता के आधार पर उनका गैर-अपराधीकरण करने और देश में कंपनियों के लिए कारोबारी माहौल को और भी अधिक आसान बनाने के लिए अन्य संबंधित उपाय सुझाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थीं।
  • कॉरपोरेट मंत्रालय में सचिव इंजेती श्रीनिवास इस समिति के अध्यक्ष थे।
  • समिति की मुख्य सिफारिशे निम्नलिखित हैं-
  • समिति ने 46 दंडात्मक प्रावधानों में संशोधन करने की सिफारिश की है, ताकि या तो आपराधिकता को दूर किया जा सके अथवा दंड को केवल जुर्माने तक ही सीमित किया जा सके या वैकल्पिक तरीकों के जरिए चूक में सुधार करने की अनुमति दी जा सके।
  • अधिनियम के तहत 66 शेष संयोजनीय मामलों में से 23 अपराधों को फिर से वर्गीकृत करें, इनका निपटारा आंतरिक अधिनिर्णय व्यवस्था के तहत हो और इसके तहत इस तरह की चूक (डिफॉल्ट) के लिए निर्णयन अधिकारी जुर्माना लगाए।
  • सेबी के साथ सलाह-मशविरा कर विशेषकर बाँन्ड प्रतिभूतियों की सूचीबद्धता के लिए कंपनियों की विशेष श्रेणी को ‘सूचीबद्ध कंपनी’ की परिभाषा के दायरे से बाहर करने का अधिकार दिया जाए।
  • किसी कंपनी के अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा उसकी संपत्ति को गलत ढंग से अपने कब्जे में रखने के लिए धारा 452 के तहत संबंधित अपराध के स्थान के आधार पर ट्रॉयल कोर्ट के क्षेत्राधिकार के बारे में स्पष्टीकरण दिया जाए।
  • कंपनी अधिनियम, 1956 के पार्ट IXए (उत्पादक कंपनियां) के प्रावधानों को कंपनी अधिनियम, 2013 में शामिल  करें।
  • राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण की बेंच गठित करें।
  • मुनाफे के अपर्याप्त होने की स्थिति में गैर-कार्यकारी निर्देशकों को पर्याप्त पारिश्रमिक का भुगतान करने की अनुमति  देने के लिए प्रावधान करें, इसके लिए इन्हें उन प्रावधानों के साथ रखें, जो इस तरह के मामलों में कार्यकारी निर्देशकों को दिए जाने वाले पारिश्रमिक से संबंधित हैं।
  • धारा 403(1) के तीसरे प्रावधान के तहत अतिरिक्त उच्च शुल्क लगाने से संबंधित प्रावधानों में ढील दें।
  • धारा 446बी (छोटी कंपनियों और एक व्यक्ति वाली कंपनी के लिए अपेक्षाकृत कम पेनाल्टी) को उन सभी प्रावधानों पर लागू करें, जिनके तहत मौद्रिक पेनाल्टी लगाई और स्टार्ट-अप्स को भी दें।
  • धारा 62 के तहत राइट्स इश्यू में तेजी लाने के लिए समय सीमा कम करें।
  • भारतीय रिजर्व बैंक के साथ सलाह-मशविरा कर धारा 117 के तहत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की विशेष श्रेणियों को भी कुछ विशिष्ट प्रस्तावों को दाखिल करने से छूट दें।

लेखक-विवेक कुमार त्रिपाठी

संबंधित लिंक भी देखें…

https://www.business-standard.com/article/news-ani/company-law-committee-bats-for-decriminalising-provisions-of-companies-act-119111900100_1.html

http://www.mca.gov.in/Ministry/pdf/CLCReport_18112019.pdf

https://aninews.in/news/national/general-news/company-law-committee-bats-for-decriminalising-provisions-of-companies-act20191119055043/

https://pib.gov.in/newsite/hindirelease.aspx