उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक-2017

UPCOCA bill to combat organised crime introduced in Uttar Pradesh

प्रश्न-उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक-2017 के संबंध में कौन-सा तथ्य सही नही हैं?
(a) इस अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत होने वाले अभियोग मंडलायुक्त तथा परिक्षेत्रीय पुलिस उपमहानिरीक्षक की दो सदस्यीय समिति के अनुमोदनोंपरांत ही पंजाकृत होंगे।
(b) अधिनियम के तहत पंजीकृत होने वाले अभियोगों की विवेचना के उपरांत आरोप-पत्र निर्गत करने से पूर्व जोनल पुलिस महानिरीक्षक की अनुमति लेना अनिवार्य है।
(c) अधिनियम अंतर्गत पंजीकृत सभी अभियोगों की सुनवाई हेतु विशेष न्यायालय के गठन का प्रावधान है।
(d) इस अधिनियम में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में ‘अपीलीय न्यायाधिकरण’ का प्रावधान है।
उत्तर-(d)
संबंधित तथ्य

  • 13 दिसंबर, 2017 को संपन्न उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में संगठित अपराधियों की गतिविधियों पर नियंत्रण हेतु ‘उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक-2017’ को विधान-मंडल के अगामी सत्र में प्रस्तुत एवं पारित कराने से संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई।
  • इस अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत होने वाले अभियोग मंडलायुक्त तथा परिक्षेत्रीय पुलिस उपमहानिरीक्षक की दो सदस्यीय समिति के अनुमोदनोपरांत ही पंजीकृत किए जाएंगे।
  • अधिनियम के तहत पंजीकृत होने वाले अभियोगों की विवेचना के उपरांत आरोप-पत्र निर्गत करने से पूर्व जोनल पुलिस महानिरीक्षक की अनुमति लेना अनिवार्य है।
  • इस अधिनियम में संगठित अपराधों के माध्यम से अपराधियों द्वारा अर्जित की गई संपत्ति को विवेचना के दौरान संबंधित न्यायालय की अनुमति प्राप्त कर राज्य सरकार द्वारा अपने अधीन कर लिया जाएगा, प्रस्तावित है।
  • अभियोग में माननीय न्यायालय द्वारा दंडित होने के उपरांत संगठित अपराधियों द्वारा अर्जित संपत्ति राज्य के पक्ष में जब्त कर लिए जाने का भी प्रावधान किया गया है।
  • अधिनियम अंतर्गत पंजीकृत सभी अभियोगों की सुनवाई हेतु विशेष न्यायालय के गठन का प्रावधान।
  • पूरे प्रदेश में संगठित अपराध करने वाले गिरोहों पर नियंत्रण एवं उनकी गतिविधियों पर निगरानी हेतु प्रमुख सचिव, गृह की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय ‘संगठित अपराध नियंत्रण प्राधिकरण’ की स्थापना का प्रावधान।
  • इस अधिनियम में माननीय उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में ‘अपीलीय प्राधिकरण’ के गठन का भी प्रावधान किया गया है।
  • विभिन्न सरकारी/अर्द्धसरकारी/सार्वजनिक उपक्रमों आदि की निविदा वेबसाइट पर अनिवार्य रूप से प्रकाशित किए जाने तथा निविदा फार्म भरने की सुविधा भी इंटरनेट के माध्यम से किए जाने की व्यवस्था भी इस अधिनियम में प्राविधानित है।
  • प्रस्तावित अधिनियम में प्राविधानित है कि कोई भी संगठित अपराध करने वाला अपराधी सरकारी सुरक्षा नहीं प्राप्त कर सकेगा।
  • निविदा खोले जाते समय संबंधित कक्ष में किसी निविदादाता को अस्त्र-शस्त्र के साथ प्रवेश करने से प्रतिबंधित करने की व्यवस्था की गई है।
  • प्रस्तावित अधिनियम में बाहुबली, संगठित अपराध में लिप्त अपराधियों के विरुद्ध गवाही देने वालों को सुरक्षा प्रदान करने तथा आवश्यकतानुसार उनकी गवाही बंद कमरे में लेने का प्रावधान किया गया है।

संबंधित लिंक
http://information.up.nic.in/View_Hindinews.aspx?id=836