प्रश्न-अनुसूचित जातियां/जनजातियां (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक, 2018 से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(i) आरोपी व्यक्ति की गिरफ्तारी से पूर्व अन्वेषक अधिकारी को किसी अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी।
(ii) किसी व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिक जांच रिपोर्ट (FIR) दर्ज करने के लिए शुरुआती जांच की आवश्कता नहीं होगी।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल (i)
(b) केवल (ii)
(c) (i) एवं (ii) दोनों
(d) (i) एवं (ii) दोनों ही नहीं
उत्तर-(c)
संबंधित तथ्य
- 9 अगस्त, 2018 को राज्य सभा द्वारा ‘अनुसूचित जातियां/जनजातियां (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक, 2018’ पारित किया गया।
- यह विधेयक 6 अगस्त, 2018 को लोक सभा द्वारा पारित हुआ था।
- 3 अगस्त, 2018 को केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने यह विधेयक लोक सभा में पेश किया था।
- विधेयक द्वारा अनुसूचित जातियां/जनजातियां (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 में संशोधन किया जाएगा।
- विधेयक में निहित प्रावधान के अनुसार किसी व्यक्ति के विरुद्ध प्राथमिक जांच रिपोर्ट (FIR) दर्ज करने के लिए शुरुआती जांच की आवश्यकता नहीं होगी।
- आरोपित व्यक्ति की गिरफ्तारी से पूर्व अन्वेषक अधिकारी को किसी अनुमोदन की आवयकता नहीं होगी।
- ध्यातव्य है कि मार्च, 2018 में अपने एक निर्णय में उच्चतम न्यायालय द्वारा ‘अनुसूचित जातियां/ जनजातियां (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत प्राथमिकी दर्ज करने हेतु शुरुआती जांच और आरोपी व्यक्ति की गिरफ्तारी से पहले वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से अनुमोदन का निर्देश दिया गया था।
- इसके अतिरिक्त उच्चतम न्यायालय आरोपी व्यक्ति के लिए अग्रिम जमानत का भी निर्देश दिया गया था, जबकि अधिनियम में अग्रिम जमानत का निषेध किया गया है।
- विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि किसी न्यायालय के किसी निर्णय या आदेश-निर्देश के होते हुए भी अधिनियम के अग्रिम जमानत के निषेध के प्रावधान को बरकरार रखा जाएगा।
संबंधित लिंक…
http://pib.nic.in/newsite/PrintHindiRelease.aspx?relid=73719
https://navbharattimes.indiatimes.com/india/bill-to-restore-original-sc/st-atrocity-law-passed-by-lok-sabha/articleshow/65298196.cms