हरित प्रणोदक का निर्माण

प्रश्न-इसरो द्वारा भविष्य के रॉकेटों हेतु ईंधन के रूप में प्रयोगशाला स्तर पर विकसित पर्यावरण-हितैषी ङ्खोस प्रणोदक किस पर आधारित है?
(a) ग्लाइसीडिल एजाइड पॉलिमर
(b) एजासीडिल पॉली ग्लाइमर
(c) अमोनियम पॉलिमर
(d) निट्रामाइड एजाइड
उत्तर-(a)
संबंधित तथ्य

  • इसरो द्वारा भविष्य के रॉकेटों और उपग्रह प्रणोदन प्रणालियों में उपयोग के लिए हरित प्रणोदकों का विकास किया जा रहा है।
  • इसरो द्वारा प्रयोगशाला स्तर पर ऑक्सीकारक के रूप में अमोनियम डाइ-नाइट्रामाइड (ADN) और ईंधन के रूप में ग्लाइसीडिल एजाइड पॉलीमर (GAP) पर आधारित एक पर्यावरण-हितैषी ठोस प्रणोदक का विकास किया गया है।
  • यह प्रणोदक रॉकेट की मोटरों से क्लोरीनयुक्त निकास उत्पादों के उत्सर्जन को समाप्त कर देगा।
  • इसके अतिरिक्त इसरो द्वारा हाइड्रोजन पेरॉक्साइड (H2O2), केरोसीन, तरल ऑक्सीजन (LOX), तरल मीथेन, एडीएन-मेथेनॉल-पानी, एडीएन ग्लिसरॉल-पानी आदि जैसे हरित प्रणोदक संयोजनों समेत विभिन्न प्रौद्योगिकी प्रदर्शन परियोजनाओं का कार्यान्वयन किया जा रहा है।
  • इसरो ने पहले ही प्रक्षेपण यानों के लिए तरल ऑक्सीजन (LOX)/तरल हाइड्रोजन (LH2) और तरल ऑक्सीजन/केरोसीन आधारित प्रणोदन प्रणालियों की स्वीकृति और अंतरिक्षयानों हेतु विद्युत प्रणोदन के उपयोग के साथ ही पर्यावरण हितैषी एवं हरित प्रणोदक की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
  • तरल ऑक्सीजन/तरल हाइड्रोजन संयोजन का उपयोग पहले से ही जीएसएलवी और जीएसएलवी एमके-III प्रक्षेपण यानों के क्रायोजेनिक इंजनों के ऊपरी चरणों में किया जा रहा है।
  • इसरो द्वारा सफलतापूर्वक ‘इसरोसीन’ (ISROSENE) का विकास किया गया है, जो कि केरोसीन का रॉकेट ग्रेड संस्करण है, और इसका प्रयोग परंपरागत हाइड्राजीन रॉकेट ईंधन के विकल्प के रूप में किया जा सकता है।
  • इसरो ने 5 मई, 2017 को प्रक्षेपित किए गए दक्षिण एशिया उपग्रह में स्टेशन रखरखाव संचालन के लिए सफलतापूर्वक विद्युत प्रणोदन प्रणाली का प्रदर्शन किया है।

संबंधित लिंक…
http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=181398
https://www.thehindu.com/sci-tech/science/isro-making-green-propellant/article23874464.ece