प्रश्न-सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2016 से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(I) यह विधेयक व्यावसायिक सरोगेसी को प्रतिबंधित करता है।
(II) यह विधेयक निःस्वार्थ सरोगेसी को अनुमति देता है।
(III)केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा क्रमशः राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड और राज्य सरोगेसी बोर्ड्स स्थापित किए जाएंगे।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(a) I एवं II
(b) II एवं III
(c) I एवं III
(d) I, II एवं III
उत्तर-(d)
संबंधित तथ्य
- 19 दिसंबर, 2018 को लोक सभा द्वारा सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2016 पारित किया गया।
- यह विधेयक 21 नवंबर, 2016 को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा द्वारा लोक सभा में पेश किया गया था।
- विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अगस्त, 2016 में स्वीकृति प्रदान की थी।
- विधेयक में सरोगेसी को ऐसे कार्य के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें कोई महिला किसी इच्छुक दम्पति के लिए बच्चे को जन्म देती है और जन्म के बाद उस इच्छुक दम्पति को बच्चा सौंप देती है।
- विधेयक में व्यावसायिक सरोगेसी को प्रतिबंधित किया गया है, जबकि निःस्वार्थ सरोगेसी को अनुमति प्रदान की गई है।
- निःस्वार्थ सरोगेसी में सरोगेट माता को गर्भावस्था के दौरान दिए जाने वाले मेडिकल खर्च और बीमा कवरेज के अतिरिक्त कोई मौद्रिक मुआवजा शामिल नहीं है।
- व्यावसायिक सरोगेसी में सरोगेसी या उससे संबंधित प्रक्रियाओं के लिए मेडिकल खर्च एवं बीमा कवरेज की सीमा से अधिक मौद्रिक लाभ लेना शामिल है।
- विधेयक में सरोगेसी ऐसे दम्पति के लिए स्वीकृत है जो प्रमाणित इनफर्टिलिटी से पीड़ित हों।
- इच्छुक दम्पति के पास समुचित प्राधिकारी द्वारा जारी ‘अनिवार्यता का प्रमाण-पत्र’ और ‘योग्यता का प्रमाण-पत्र’ होना चाहिए।
- इच्छुक दम्पति द्वारा निम्नलिखित शर्तें पूरी करने पर ही योग्यता प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा।
– वे भारतीय नागरिक हों और उन्हें विवाह किए हुए 5 वर्ष हो गए हों।
– उनमें से एक 23 से 50 वर्ष के बीच की महिला और दूसरा 26 से 55 वर्ष का पुरुष हो।
– उनका कोई जीवित बच्चा न हो, इसमें ऐसे बच्चे शामिल नहीं हैं, जो मानसिक या शारीरिक रूप से दिव्यांग हों या प्राणघातक बीमारी से पीड़ित हों।
- समुचित प्राधिकारी से योग्यता का प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए सरोगेट माता को निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी चाहिए-
– उसे इच्छुक दम्पति का निकट संबंधी होना चाहिए।
-उसे विवाहित होना चाहिए और उसका अपना बच्चा होना चाहिए।
-उसकी आयु 25-35 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
– उसने अपने जीवन में केवल एक बार सरोगेसी ली हो।
- विधेयक के अधिनियम बनने के 90 दिनों के भीतर केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा एक या एक से अधिक समुचित अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी।
- जो सरोगेसी क्लीनिक समुचित प्राधिकरण में पंजीकृत नहीं हैं वे सरोगेसी से संबंधित किसी कार्य-प्रक्रिया का संचालन नहीं कर सकते।
- केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा क्रमशः राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड और राज्य सरोगेसी बोर्ड्स स्थापित किए जाएंगे।
- विधेयक में व्यावसायिक सरोगेसी या उसका विज्ञापन, सरोगेसी माता का शोषण, सरोगेट बच्चे का शोषण या परित्याग और सरोगेसी हेतु मानव एंब्रायो या गैमेट्स की बिक्री या आयात को दंडनीय अपराध घोषित किया गया है।
- उक्त अपराधों हेतु न्यूनतम 10 वर्ष का कारावास और 10 लाख रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है
संबंधित लिंक भी देखें…
https://www.prsindia.org/billtrack/surrogacy-regulation-bill-2016