राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020

Cabinet approves National Education Policy 2020

प्रश्न-29 जुलाई, 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 को मंजूरी दी। इससे संबंधित निम्न कथनों पर विचार कीजिए-
(i) यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1976 की जगह लेगी।
(ii) राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अंतिम प्रारूप तैयार करने हेतु इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक समिति गठित हुई थी।
(iii) अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी।
(iv) एक नई एवं व्यापक स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा (NCFSE) ]2020-21, एनसीईआरटी द्वारा विकसित की जाएगी।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल (i), (ii) एवं (iii)
(b) केवल (ii), (iii) एवं (iv)
(c) केवल (iii) एवं (iv)
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(b)
संबंधित तथ्य

  • 29 जुलाई, 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 को मंजूरी दे दी।
  • यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है।
  • साथ ही यह 34 वर्ष पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 का स्थान लेगी।
  • गौरतलब है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अंतिम प्रारूप तैयार करने हेतु इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक समिति गठित हुई थी।
  • नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की महत्वपूर्ण बातें
  • इसमें मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय  कर दिया गया है।
  • स्कूली शिक्षा
  • स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर सबकी एकसमान पहुंच सुनिश्चित करना-एनईपी (NEP) 2020 स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों प्री-स्कूल से माध्यमिक स्तर तक सबके लिए एकसमान पहुंच सुनिश्चित करने पर जोर देती है।
  • एनईपी 2020 के तहत स्कूल से दूर रह रहे लगभग 2 करोड़ बच्चों को मुख्य धारा में वापस लाया जाएगा।
  • नए पाठ्यक्रम और शैक्षणिक संरचना के साथ प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा
  • बचपन की देखभाल और शिक्षा पर जोर देते स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठ्यक्रम संरचना लागू किया जाएगा जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14 और 14-18 उम्र के बच्चों के लिए है। इसमें अब तक दूर रखे गए 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है, जिसे विश्व स्तर पर बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है। नई प्रणाली में तीन साल की आंगनवाड़ी/प्री स्कूलिंग के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा होगी।
  • एनसीईआरटी 8 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (एनसीपीएफईसीसीई) के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा।
  • बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्राप्त करना
  • बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान की प्राप्ति को सही ढंग से सीखने के लिए अत्यंत जरूरी एवं पहली आवश्यकता मानते हुए ‘एनईपी 2020’ में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा ‘बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन’ की स्थापना किए जाने पर विशेष जोर दिया गया है।
  • स्कूल के पाठ्यक्रम और अध्यापन-कला में सुधार
  • स्कूल के पाठ्यक्रम और अध्यापन-कला का लक्ष्य यह होगा कि 21वीं सदी के प्रमुख कौशल या व्यावहारिक जानकारियों से विद्यार्थियों को लैस करके उनका समग्र विकास किया जाए और आवश्यक ज्ञान प्राप्ति एवं अपरिहार्य चिंतन को बढ़ाने व अनुभवात्मक शिक्षण पर अधिक फोकस करने के लिए पाठ्यक्रम को कम किया जाए।
  • स्कूलों में छठे ग्रेड से ही व्यावसायिक शिक्षा शुरू हो जाएगी और इसमें इंटर्नशिप शामिल होगी।
  • एक नई एवं व्यापक स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा ‘एनसीएफएसई      2020-21’ एनसीईआरटी द्वारा विकसित की जाएगी।
  • नीति में कम से कम ग्रेड 5 तक, अच्छा हो कि ग्रेड 8 तक और उससे आगे भी मातृभाषा/स्थानीय भाषा/क्षेत्रीय भाषा को ही शिक्षा का माध्यम रखने पर विशेष जोर दिया गया है। विद्यार्थियों को स्कूल के सभी स्तरों और उच्च शिक्षा में संस्कृत को एक विकल्प के रूप में चुनने का अवसर दिया जाएगा। त्रि-भाषा फॉर्मूले में भी यह विकल्प शामिल होगा।
  • समान और समावेशी शिक्षा
  • ‘एनईपी 2020’ का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बच्चा अपने जन्म या पृष्ठभूमि से जुड़ी परिस्थितियों के कारण ज्ञान प्राप्ति या सीखने और उत्कृष्टता प्राप्त करने के किसी भी अवसर से वंचित नहीं रह जाए।
  • शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय प्रोफेशनल मानक (एनपीएसटी)-राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2022 तक विकसित किया जाएगा, जिसके लिए एनसीईआरटी, एससीईआरटी, शिक्षकों और सभी स्तरों एवं क्षेत्रों के विशेषज्ञ संगठनों के साथ परामर्श किया जाएगा।
  • स्कूली शिक्षा के लिए मानक-निर्धारण एवं प्रत्यायन
  • एनईपी 2020 नीति निर्माण, विनियमन, प्रचालनों तथा अकादमिक मामलों के लिए एक स्पष्ट, पृथक प्रणाली की परिकल्पना करती है। राज्य/केंद्रशासित प्रदेश स्वतंत्र स्टेट स्कूल स्टैंडर्ड्स अथारिटी (एसएसएसए) का गठन करेंगे।
  • उच्चतर शिक्षा
  • 2035 तक जीईआर को बढ़ाकर 50 प्रतिशत करना।
  • एनईपी 2020 का लक्ष्य व्यावसायिक शिक्षा सहित उच्चतर शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 26.3 प्रतिशत (2018) से बढ़ाकर 2035 तक 50 प्रतिशत करना है। उच्चतर शिक्षा संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी।
  • समग्र बहुविषयक शिक्षा
  • नीति में लचीले पाठ्यक्रम, विषयों के रचनात्मक संयोजन, व्यावसायिक शिक्षा एवं उपयुक्त प्रमाणन के साथ मल्टीपल एंट्री एवं एक्जिट बिंदुओं के साथ व्यापक, बहुविषयक, समग्र अवर स्नातक शिक्षा की परिकल्पना की गई है। यूजी शिक्षा इस अवधि के भीतर विविध एक्जिट विकल्पों तथा उपयुक्त प्रमाणन के साथ 3 या 4 वर्ष की हो सकती है। उदाहरण के लिए, 1 वर्ष के बाद सर्टिफिकेट, 2 वर्षों के बाद एडवांस डिप्लोमा, 3 वर्षों के बाद स्नातक की डिग्री तथा 4 वर्षों के बाद शोध के साथ स्नातक।
  • देश में वैश्विक मानकों के सर्वश्रेष्ठ बहुविषयक शिक्षा के मॉडलों के रूप में आईआईटी, आईआईएम के समकक्ष बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय (एमईआरयू) स्थापित किए जाएंगे।
  • चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर समस्त उच्च शिक्षा के लिए एक एकल अति महत्वपूर्ण व्यापक निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) का गठन किया जाएगा
  • विवेकपूर्ण संस्थागत संरचना-
  • उच्चतर शिक्षा संस्थानों को उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षण, अनुसंधान एवं सामुदायिक भागीदारी उपलब्ध कराने के जरिये बड़े, साधन संपन्न, गतिशील बहु-विषयक संस्थानों में रूपांतरित कर दिया जाएगा। विश्वविद्यालय की परिभाषा में संस्थानों की एक विस्तृत श्रेणी होगी, जिसमें अनुसंधान केंद्रित विश्वविद्यालय से शिक्षण केंद्रित विश्वविद्यालय तथा स्वायत्तशासी डिग्री प्रदान करने वाले महाविद्यालय शामिल होंगे।
  • अध्यापक शिक्षण-
  • एनसीईआरटी के परामर्श से, एनसीटीई के द्वारा अध्यापक शिक्षण के लिए एक नया और व्यापक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा, एनसीएफटीई 2021 तैयार किया जाएगा।
  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के वैकल्पिक साधनों की तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों को ई-शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए एमएचआरडी में डिजिटल अवसंरचना, डिजिटल कंटेंट और क्षमता निर्माण के उद्देश्य से एक समर्पित इकाई बनाई जाएगी।
  • सीखने, मूल्यांकन करने, योजना बनाने, प्रशासन को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने पर विचारों का मुक्त आदान-प्रदान करने हेतु एक मंच प्रदान करने के लिए एक स्वायत्त निकाय, राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (एनईटीएफ) का निर्माण किया जाएगा।
  • सभी भारतीय भाषाओं के लिए संरक्षण, विकास और जीवंतता सुनिश्चित करने के लिए, एनईपी द्वारा पाली, फारसी और प्राकृत भाषाओं के लिए एक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रिटेशन आईआईटीआई (राष्ट्रीय संस्थान) या संस्थान (की स्थापना करने, उच्च शिक्षण संस्थानों में संस्कृत और सभी भाषा विभागों को मजबूत करने और ज्यादा से ज्यादा उच्च शिक्षण संस्थानों के कार्यक्रमों में शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा/ स्थानीय भाषा का उपयोग करने की सिफारिश की गई है।
  • शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण को संस्थागत रूप से सहयोग और छात्र और संकाय की गतिशीलता दोनों के माध्यम से सुगम बनाया जाएगा और हमारे देश में परिसरों को खोलने के लिए शीर्ष विश्व रैंकिंग रखने वाले विश्वविद्यालय के प्रवेश करने की अनुमति प्रदान की जाएगी।
  • इस नीति का लक्ष्य 2030, तक 100% युवा और प्रौढ़ साक्षरता की प्राप्ति करना है।
  • शिक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए, केंद्र और राज्य मिलकर काम करेंगे, जिससे जीडीपी में इसका योगदान जल्द से जल्द 6% (वर्तमान में GDP का लगभग 4.4% है) हो सके।

लेखक-विवेक कुमार त्रिपाठी

संबंधित लिंक भी देखें…

http://ddnews.gov.in/national/cabinet-approves-national-education-policy-2020#:~:text=The%20Union%20Cabinet%20chaired%20by,school%20and%20higher%20education%20sectors.

https://timesofindia.indiatimes.com/india/cabinet-approves-new-national-education-policy-key-points/articleshow/77241129.cms

https://www.timesnownews.com/education/article/new-national-education-policy-2020-gets-cabinet-approval-mhrd-now-ministry-of-education-live-updates/628872