राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम अधिसूचित

प्रश्न- हाल ही में अधिसूचित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम से संबंधित निम्नलिखित तथ्यों पर विचार कीजिए-
(i) राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक-2014 के साथ 121वां संविधान संशोधन विधेयक,
2014 अगस्त, 2014 में लोकसभा और राज्यसभा से सर्वसम्मति से पारित हो गए थे।
(ii) इन दोनों विधेयकों को राष्ट्रपति ने 31 दिसंबर, 2014 को मंजूरी प्रदान की।
(iii) 99वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2014 और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति अधिनियम, 2014 दोनों 13 अप्रैल, 2015 से लागू हो गए हैं।
(iv) इन दोनों अधिनियमों के द्वारा उच्च न्यायालयों एवं उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति की संवैधानिक व्यवस्था स्थापित की गई।
उपर्युक्त कथनों पर विचार कीजिए और निम्नलिखित कूटों का प्रयोग करते हुए सही उत्तर दीजिए-
कूटः
(a) केवल (i)
(b) केवल (i) व (ii)
(c) केवल (i),(ii) व (iii)
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर-(d)
संबंधित तथ्य

  • केंन्द्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली में बदलाव लाने के लिए 13 अप्रैल, 2015 को राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 और 99वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2014 को अधिसूचित किया।
  • ध्यातव्य है कि इन दोनों अधिनियमों से संबंधित दो विधेयक क्रमशः राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक 2014 और 121वां संविधान संशोधन विधेयक, 2014 लोक सभा में 13 अगस्त, 2014 को और राज्यसभा में 14 अगस्त, 2014 को सर्वसम्मति से पारित हो गए थे।
  • संविधान के अनुच्छेद 368 (2) के तहत निर्धारित आधे से अधिक राज्य विधानसभाओं के अनुमोदन मिलने के बाद 31 दिसंबर, 2014 को राष्ट्रपति ने इन दोनों विधेयकों को मंजूरी प्रदान की।
  • राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद 121वां संविधान संशोधन विधेयक, 2014, 99वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2014 के रूप में और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक, 2014 राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 के रूप में 31 दिसंबर, 2014 को ही राजपत्र में प्रकाशित किया गया था।
  • राजपत्र में प्रकाशित इन दोनों अधिनियमों में उल्लिखित है कि ये अधिनियम उस दिन से प्रभावी होंगे जिस दिन केंद्र सरकार उन्हें सरकारी राजपत्र में अधिसूचित करेगी।
  • तद्नुसार, केंद्र सरकार ने 13 अप्रैल, 2015 को इन अधिनियमों के प्रभावी होने की तिथि निर्धारित कर दी है। अर्थात ये दोनों अधिनियम अब 13 अप्रैल, 2015 से प्रभावी हो गए हैं।
  • 99वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2014
    यह अधिनियम प्रस्तावित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी-NJAC) की संरचना एवं कामकाज हेतु संविधान की विभिन्न धाराओं में संशोधन से संबंधित है।
  • इस अधिनियम के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 124 (2), 127 (1) 128, 217(1) व (2) और 224 क में संशोधन किया गया है।
  • इसके अलावा इस अधिनियम के द्वारा तीन नए अनुच्छेद 124 क, 124 ख और 124 ग जोड़े गए हैं और अनुच्छेद 231 (2) (क) को विलोपित किया गया है।
  • अभी तक (13 अप्रैल, 2015 से पूर्व) उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति स्वयं राष्ट्रपति के द्वारा अनुच्छेद 124 (2) के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय के और राज्यों के उच्च न्यायालयों के ऐसे न्यायाधीशों से ‘परामर्श’ के बाद की जाती थी, जिन्हें राष्ट्रपति आवश्यक समझता था, किन्तु इस संविधान संशोधन के बाद यह ‘परामर्श’ अब ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ से ली जाएगी।
  • ध्यातव्य है कि इसी‘परामर्श’शब्द की व्याख्या करते हुए उच्चतम न्यायालय ने सर्वप्रथम सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकार्ड एसोसिएशन बनाम भारत संघ (Supreme Court Advocates on-records Association vs Union of India), 1993 के मामले में ‘कॉलेजियम’ (उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति एवं चार अन्य न्यायाधीशों की समिति) व्यवस्था स्थापित करके निर्णीत किया था कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति संबंधी परामर्श इसी समिति के द्वारा किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग की स्थापना के लिए संविधान में नया अनुच्छेद 124 क जोड़ा गया है।
  • इस अनुच्छेद के अनुसार, राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के नाम से ज्ञात एक आयोग होगा, जिसका अध्यक्ष भारत का मुख्य न्यायमूर्ति होगा।
  • इसके अलावा उच्चतम न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश, केंद्रीय विधि और न्यायमंत्री तथा दो प्रबुद्ध /विख्यात व्यक्ति इसके सदस्य होंगे।
  • इस प्रकार यह आयोग 6 सदस्यीय होगा।
  • उल्लेखनीय है कि दो प्रबुद्ध/विख्यात (Eminent) व्यक्तियों का चयन प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायमूर्ति और लोकसभा में विपक्ष के नेता या सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता से मिलकर बनने वाली समिति द्वारा किया जाएगा।
  • इन दो प्रबुद्ध/विख्यात व्यक्तियों में एक व्यक्ति का अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों, अल्संख्यकों के व्यक्तियों या महिलाओं में से नाम निर्दिष्ट किए जाएंगे।
  • प्रबुद्ध/विख्यात व्यक्तियों की नियुक्ति केवल 3 वर्ष के लिए की जाएगी जबकि शेष सदस्य पदेन अर्थात अपने-अपने कार्यकाल की अवधि तक आयोग के सदस्य बने रहेंगे।
  • प्रबुद्ध/विख्यात व्यक्तियों को दोबारा सदस्य के रूप में नियुक्त नहीं किया जाएगा।
  • अनुच्छेद 124 ख के अनुसार, इस आयोग के निम्नलिखित तीन कार्य निर्धारित किए गए हैं-
    (क) भारत के मुख्य न्यायमूर्ति, उच्चतम न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायमूर्तियों और अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए व्यक्तियों की सिफारिश करना;
    (ख) एक उच्च न्यायालय से किसी अन्य उच्च न्यायालय में उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायमूर्तियों और अन्य न्यायाधीशों के स्थानांतरण की सिफारिश करना; और
    (ग) यह सुनिश्चित करना कि सिफारिश किया गया व्यक्ति सक्षम और सत्यनिष्ठ है।
  • इस संशोधन अधिनियम द्वारा अंतःस्थापित होने वाले तीसरे अनुच्छेद 124ग में उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया विनियमित करने की शक्ति संसद को दी गई है।
  • साथ ही इसी अनुच्छेद के द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के कृत्यों के निर्वहन, नियुक्ति के लिए व्यक्तियों के चयन की रीति और ऐसे अन्य आवश्यक विषयों की प्रक्रिया अधिकथित करने की शक्ति भी संसद को प्रदान की गई है।
  • उपर्युक्त के अलावा अनुच्छेद 127 (1), 128, 217 (1), 222 (1), 224 (1) व (2) और 224 क में, जहां कहीं भी न्यायिक नियुक्तियों के मामले में मुख्य न्यायमूर्ति से ‘परामर्श’ लिए जाने की संवैधानिक व्यवस्था थी, अब इस संशोधन अधिनियम द्वारा उसके स्थान पर ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ शब्द रख दिए गए हैं अर्थात अब इस संबंध में देश के मुख्य न्यायमूर्ति या राज्यों के उच्च-न्यायालयों के न्यायाधीश से ऐसी नियुक्ति में ‘परामर्श’ लेने की व्यवस्था हमेशा के लिए समाप्त कर दी गई है।

राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014

  • 99वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2014 के द्वारा संविधान में अंतःस्थापित अनुच्छेद 124 ग के द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 को पारित किया गया है।
  • इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य भारत के मुख्य न्यायमूर्ति और उच्चतम न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों तथा उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायमूर्तियों और अन्य न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति और उनके स्थानांतरण के लिए गठित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को विनियमित करना है।
  • इस अधिनियम में कुल 14 धाराएं हैं।
  • धारा 3 के अनुसार राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग का मुख्यालय दिल्ली में होगा।
  • धारा 4 के अनुसार, इस अधिनियम के लागू होने के 30 दिन के अंदर केंद्र सरकार उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के खाली (रिक्त) पदों के बारे में आयोग को इन रिक्त पदों को भरने के लिए अपनी सिफारिशें करने हेतु संसूचित करेगी।
  • उसके बाद 6 महीने के भीतर आयोग अपनी सिफारिश केंद्र सरकार को देगा और उसके एक महीने के भीतर न्यायाधीशों की नियुक्ति कर दी जाएगी।
  • न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए निर्धारित योग्यता का निर्धारण संविधान के अनुच्छेद 124 (3) एवं अनुच्छेद 217 (2) और न्यायिक नियुक्ति आयोग नियमावली, 2014 (निर्माणाधीन) के अधीन होगा।
  • अधिनियम की धारा 5 (2) में यह प्रावधान किया गया है कि यदि 6 सदस्यीय राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के कोई दो सदस्य किसी व्यक्ति की न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति का विरोध करते हैं, तो उस व्यक्ति के नाम की सिफारिश आयोग के द्वारा नहीं की जाएगी।
  • ध्यातव्य है कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 और 99वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2014 से जुड़े मामले उच्चतम न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ के अधीन सुनवाई के लिए विचाराधीन थे, जिसे 7 अप्रैल, 2015 को सुनवाई के लिए संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया गया है।
  • अब इस मामले पर सुनवाई संवैधानिक पीठ के द्वारा की जाएगी।

संबंधित लिंक भी देखें…
http://rajyasabha.nic.in/rsnew/bill/ls_bill_debate/121-Hindi.pdf
http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=118224
http://www.prsindia.org/billtrack/the-national-judicial-appointments-commission-bill-2014-3359/