राष्ट्रीय आय के प्रथम संशोधित अनुमान

FIRST REVISED ESTIMATES OF NATIONAL INCOME 2016-17

प्रश्न-हाल ही में सीएसओ (केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय) द्वारा जारी राष्ट्रीय आय के प्रथम संशोधित अनुमानों के अनुसार वर्ष 2016-17 में देश की जीडीपी वृद्धि कितने प्रतिशत अनुमानित की गई है?
(a) 7.1 प्रतिशत
(b) 7.2 प्रतिशत
(c) 7.3 प्रतिशत
(d) 7.4 प्रतिशत
उत्तर-(a)
संबंधित तथ्य

  • 31 जनवरी, 2018 को केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने राष्ट्रीय आय के प्रथम संशोधित अनुमान जारी किए।
  • इसके अनुसार वर्ष 2015-16 की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत अनुमानित है जो वर्ष 2016-17 की तुलना में अधिक है।
  • वर्ष 2016-17 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
  • वर्ष 2015-16 में वास्तविक जीडीपी 113.86 लाख करोड़ रुपए और 2016-17 में 121.96 लाख करोड़ रुपए अनुमानित है।
  • चालू कीमतों पर जीडीपी (नॉमिनल जीडीपी) वर्ष 2016-17 में 10.8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 152.54 लाख करोड़ रुपए अनुमानित है।
  • जबकि वर्ष 2015-16 में 10.4 प्रतिशत वृद्धि के साथ इसके 137.64 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है।
  • स्थिर (2011-12) कीमतों पर जीवीए में वृद्धि वर्ष 2016-17 में 7.1 प्रतिशत रही जो वर्ष 2015-16 में 8.1 प्रतिशत थी।
  • चालू कीमतों पर वर्ष 2016-17 में जीवीए में प्राथमिक क्षेत्र का हिस्सा 20.4 प्रतिशत था।
  • जबकि द्वितीय और तृतीयक क्षेत्र की हिस्सेदारी क्रमशः 26.9 प्रतिशत एवं 52.8 प्रतिशत थी।
  • वर्ष 2016-17 के दौरान वास्तविक जीवीए वृद्धि में कमी मुख्य रूप से विनिर्माण (7.9%), निर्माण (1.3%), व्यापार, होटल व रेस्टोरेंट (8.9%), वित्तीय सेवाएं (1.3%) तथा ‘रियल स्टेट, व्यावसायिक सेवाओं व ड्वेलिंग मालिकत्व’ (8.0%) में कमी के कारण हुई।
  • चालू कीमतों पर निवल राष्ट्रीय आय 11.0 प्रतिशत की वृद्धि के साथ वर्ष 2016-17 में 134.9 लाख करोड़ रुपए रहा।
  • जो वर्ष 2015-16 में 10.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 121.5 लाख करोड़ रुपए पर था।
  • स्थिर कीमतों (2011-12) पर जीवीए में क्षेत्रवार वृद्धि वर्ष 2016-17 में क्रमशः इस प्रकार है- प्राथमिक क्षेत्र (7.4%), द्वितीयक क्षेत्र (6.1%) एवं तृतीयक क्षेत्र (7.5%)।
  • वर्ष 2015-16 में जीवीए में क्षेत्रवार वृद्धि क्रमशः इस प्रकार है-
  • प्राथमिक क्षेत्र (2.6%), द्वितीयक क्षेत्र (9.4%) एवं तृतीयक क्षेत्र (9.6%)।
  • ध्यातव्य है कि प्राथमिक क्षेत्र में कृषि, वानिकी, मात्स्यिकी एवं खनन व उत्खनन की गतिविधियां शामिल होती हैं।
  • जबकि द्वितीयक क्षेत्र में विनिर्माण, इलेक्ट्रिसिटी, गैस, जलापूर्ति व अन्य उपयोगी (यूटिलिटी) सेवाएं तथा निर्माण की गतिविधियां शामिल होती हैं।
  • तृतीयक क्षेत्र में सेवाएं (Services) शामिल होती हैं।

संबंधित लिंक
http://mospi.nic.in/sites/default/files/press_release/nad_pr_31jan18_0.pdf