भारतीय रिजर्व बैंक ने जून 2016 की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट जारी की

भारतीय रिजर्व बैंक ने जून 2016 की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट जारी की

प्रश्न-भारतीय रिजर्व बैंक ने जून 2016 की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट जारी की। यह इस शृंखला का कौन-सा प्रकाशन है?
(a)13वां
(b)12वां
(c)11वां
(d)10वां
उत्तर-(a)
संबंधित तथ्य

  • 28 जून, 2016 को भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) जून 2016 (छमाही प्रकाशन) जारी की।
  • यह इस शृंखला का तेरहवाँ प्रकाशन है।
  • रिपोर्ट का विषय ‘वित्तीय प्रणाली की आदर्श संरचना-बैंक बनाम बाजार’ है।
  • एफएसआर-जून 2016 के मुख्य अंश निम्न हैं:
  • वैश्विक अनिश्चिता और बदलते भौगोलिक राजनीतिक जोखिम के बीच भारतीय वित्तीय प्रणाली स्थिर है। हालांकि बैंकिंग क्षेत्र चुनौतियों का सामना कर रहा हैं।
  • लगातार अच्छी घरेलू नीतियां और संरचनागत सुधार आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण बने हुए हैं।
  • कमजोर और असमान वृद्धि विश्व व्यापार में मंदी तथा वित्तीय और पण्य-वस्तु बाजारों में व्याप्त अनिश्चिता के कारण वैश्विक सुधार कमजोर बना हुआ है।
  • उन्नत अर्थव्यवस्थाओं द्वारा अपनाई जा रही आसान मौद्रिक नीतियों के दुष्प्रभाव स्पष्ट हो रहे हैं।
  • वृद्धि और निवेश की संभावना के मामले में भारतीय अर्थव्यवस्था महत्वपूर्ण बनी हुई है।
  • स्थायी पूंजी निर्माण में प्रोत्साहन के लिए राजस्व घाटे को नियन्त्रित रखने और आर्थिक सहायता के प्रयासों को युक्तिसंगत बनाने और मजबूती देने की आवश्यकता है।
  • भारत के बाह्य क्षेत्र के संकेतक तुलनात्मक रूप से मजबूत स्थित दर्शा रहे हैं।
  • हाल के वर्षों में भारत के तेल आयात में तेज वृद्धि से यह आवश्यक हो गया है कि पण्य वस्तुओं के चक्रीय प्रत्यावर्तन के जोखिमों के लिए सतर्क रहे।
  • सामान्य मानसून की भविष्यवाणी से वर्ष 2016-17 में कृषि क्षेत्र में वृद्धि की संभावना है।
  • राजनीतिक अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव के चलते कृषि क्षेत्र के लिए स्पष्ट नीतिगत उपायों की आवश्यकता है जिससे कि धारणीय खाद्य मूल्य दबावों और समग्र ग्रामीण दबाव का समाधान किया जा सके।
  • वर्ष 2015-16 के दौरान अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) का कारोबार मंद रहा।
  • सकल अनर्जक अग्रिमों (जीएनपीए) का अनुपात सितंबर, 2015 से मार्च, 2016 के बीच 5.1 प्रतिशत से बढ़कर 7.6 प्रतिशत हो गया जो आस्ति गुणवत्ता समीक्षा (एक्यूआर) के कारण पुनर्संरचित मानक अग्रिमों को अनर्जक आस्तियों के रूप में पुनर्वर्गीकृत करने के कारण हुआ।
  • पुनर्सरचित मानक अग्रिमों के अनुपात में गिरावट आई किंतु समग्र दबाव वाले अग्रिमों के अनुपात में सितंबर, 2015 के 11.3% से मार्च 2016 में 11.5 प्रतिशत की थोड़ी सी वृद्धि हुई।
  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का जोखिम भारित आस्ति पूंजी अनुपात (सीआरआर) में बैंक समूहों में कुछ सुधार देखा गया।
  • तथापि, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की लाभप्रदत्ता में कमी आयी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 2015-16 के दौरान हानि दर्ज की।
  • अनुसूचित शहरी सहकारी बैंकों (एसयूसीबी) और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की आस्ति गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
  • सामान्य रूप से एनबीएफसी क्षेत्र का कार्यनिष्पादन तुलनात्मक रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से बेहतर रहा है।
  • ध्यातव्य है कि एफएसआर भारत की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता और वैश्विक तथा घरेलू कारकों से उत्पन्न जोखिमों के प्रति इसके लचीलेपन का समग्र आकलन करती है।
  • इसके अतिरिक्त, इस रिपोर्ट में वित्तीय क्षेत्र के विकास और विनियमन से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की जाती है।

संबंधित लिंक भी देखें…
https://www.rbi.org.in/hindi/Scripts/PressReleases.aspx?ID=29103
https://www.rbi.org.in/Scripts/BS_PressReleaseDisplay.aspx?prid=37342
http://indianexpress.com/article/business/banking-and-finance/raghuram-rajan-ebi-non-performing-assets-npas-banks-2881685/