परिसीमन आयोग द्वारा जम्मू और कश्मीर के लिए परिसीमन आदेश को अंतिम रूप

प्रश्न-5 मई‚ 2022 को परिसीमन आयोग द्वारा जम्मू और कश्मीर के लिए परिसीमन आदेश को अंतिम रूप दिया गया। इससे संबंधित निम्न कथनों पर विचार कीजिए-
(i) परिसीमन आयोग का गठन भारत सरकार द्वारा परिसीमन अधिनियम‚ 2002 के तहत केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में विधान सभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के उद्देश्य से किया गया था।
(ii) उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई इस आयोग की अध्यक्ष रहीं।
(iii) आयोग ने कश्मीरी प्रवासियों और पीओजेके से विस्थापित व्यक्तियों के लिए विधानसभा में अतिरिक्त सीटों की सिफारिश की है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन/सा/से कथन सही हैं?
(a) केवल (i) एवं (iii)
(b) केवल (i) एवं (ii)
(c) केवल (i) एवं (ii)
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर—(d)
संबंधित तथ्य

  • 5 मई‚ 2022 को परिसीमन आयोग द्वारा केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के लिए परिसीमन आदेश को अंतिम रूप दिया गया।
  • अंतिम परिसीमन आदेश के अनुसार‚ यह नियम केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित की जाने वाली तिथि से लागू हो जाएंगे।
  • इसके लिए राजपत्र अधिसूचना भी आज प्रकाशित की गई है।
  • गौरतलब है कि परिसीमन आयोग का गठन भारत सरकार द्वारा परिसीमन अधिनियम‚ 2002 की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के उद्देश्य से किया गया था।
  • उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में इस आयोग का गठन किया गया था।
  • जिसके पदेन सदस्य मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के राज्य चुनाव आयुक्त के.के. शर्मा रहे।
  • आयोग द्वारा अपने काम के लिए केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर से निर्वचित लोकसभा के 5 सदस्यों को जोड़ा गया था।
  • इन सहायक सदस्यों को लोकसभा अध्यक्ष द्वारा नामित किया गया था।
  • परिसीमन आयोग को वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर तथा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम‚ 2019 के भाग-5 एवं परिसीमन अधिनियम‚ 2002 के प्रावधानों के अनुरूप जम्मू और कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन का काम सौंपा गया था।
  • अंतिम परिसीमन आदेश के प्रमुख तथ्य-
  • परिसीमन अधिनियम‚ 2002 की धारा 9 (1) (ए) तथा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम‚ 2019 की धारा 60 (2) (बी) के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र के 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 43 जम्मू क्षेत्र का हिस्सा होंगे और 47 कश्मीर क्षेत्र के तहत होंगे।
  • सहयोगी सदस्यों‚ राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों‚ नागरिकों‚ नागरिक समाज समूहों के परामर्श के बाद‚ 9 विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किए गए हैं‚ जिनमें से 6 जम्मू क्षेत्र में और 3 विधानसभा क्षेत्र कश्मीर घाटी में हैं।
  • क्षेत्र में पांच संसदीय क्षेत्र हैं।
  • परिसीमन आयोग ने जम्मू और कश्मीर क्षेत्र को एक एकल केंद्रशासित प्रदेश के रूप में माना है।
  • इसलिए‚ घाटी में अनंतनाग क्षेत्र और जम्मू क्षेत्र के राजौरी तथा पुंछ को मिलाकर एक संसदीय क्षेत्र बनाया गया है।
  • इस पुनर्गठन के बाद प्रत्येक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में समान संख्या में विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र होंगे।
  • प्रत्येक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में 18 विधानसभा क्षेत्र होंगे।
  • स्थानीय प्रतिनिधियों की मांग को ध्यान में रखते हुए कुछ विधानसभा क्षेत्रों के नाम भी बदल दिए गए हैं।
  • संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों (अनुच्छेद 330 और अनुच्छेद 332) तथा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम‚ 2019 की धारा 14 की उप-धारा (6) और (7) को ध्यान में रखते हुए‚ केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की विधानसभा में अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी)के लिए आरक्षित की जाने वाली सीटों की संख्या की गणना 2011 की जनगणना के आधार पर की गई है।
  • तदनुसार‚ परिसीमन आयोग ने पहली बार एसटी के लिए 09 विधान सभा क्षेत्र और एससी के लिए 07 विधानसभा क्षेत्र आरक्षित किए हैं।
  • परिसीमन आयोग ने केंद्र सरकार को निम्नलिखित सिफारिशें की हैं:
  1. विधानसभा में कश्मीरी प्रवासियों के समुदाय से कम से कम दो सदस्यों (उनमें से एक महिला होनी चाहिए) का प्रावधान और ऐसे सदस्यों को केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी की विधान सभा के मनोनीत सदस्यों की शक्ति के समान शक्ति दी जा सकती है।
    2.केंद्र सरकार पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर से विस्थापित व्यक्तियों के प्रतिनिधियों के नामांकन के माध्यम से पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर से विस्थापित व्यक्तियों को जम्मू और कश्मीर विधान सभा में कुछ प्रतिनिधित्व देने पर विचार कर सकती है।
  • पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य से जम्मू और कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश को संसद द्वारा पारित जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम‚ 2019 (2019 का 34) के माध्यम से गठित किया गया था।
  • तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन; जम्मू और कश्मीर राज्य के संविधान तथा जम्मू और कश्मीर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1957 द्वारा शासित था
  • पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर में विधानसभा सीटों का अंतिम रूप से परिसीमन 1981 की जनगणना के आधार 1995 में किया गया था।

लेखक-विवेक कुमार त्रिपाठी

संबंधित लिंक भी देखें…

https://www.newindianexpress.com/nation/2022/may/05/delimitation-panel-signs-final-order-for-redrawing-assembly-seats-in-jammu-and-kashmir-2450046.html