नई उत्तर प्रदेश सूचना प्रौद्योगिकी एवं स्टार्ट अप नीति, 2016

New UP Information Technology and Startup Policy 2016 approved

प्रश्न-हाल ही में उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद ने ‘नई उत्तर प्रदेश सूचना प्रौद्योगिकी एवं स्टार्ट अप नीति, 2016’ को कब अनुमोदित किया?
(a) 30 मार्च, 2016
(b) 31 मार्च, 2016
(c) 1 अप्रैल, 2016
(d) 28 मार्च, 2016
उत्तर-(a)
संबंधित तथ्य

  • 30 मार्च, 2016 को उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद ने ‘नई उत्तर प्रदेश सूचना प्रौद्योगिकी एवं स्टार्ट अप नीति, 2016’ को अनुमोदित किया।
  • यह नीति सूचना प्रौद्योगिकी नीति उत्तर प्रदेश 2012 में विद्यमान प्राविधानों के पुनरीक्षण एवं संशोधन के बाद प्रख्यायित की गई है।
  • जिसके तहत ई-गवर्नेन्स एवं एम-गवर्नेन्स मॉडल को माध्यम बनाते हुए नागरिक सेवाओं में वृद्धि तथा स्टार्ट अप के माध्यम से नवोदित उद्यमियों को मौका प्रदान करने एवं शिक्षित युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार सृजन करने पर बल दिया गया है।
  • नई नीति नोएडा, ग्रेटर नोएडा एवं ट्रांस यमुना क्षेत्र सहित संपूर्ण प्रदेश के लिए प्रभावी होगा।
  • जिसके तहत सूचना प्रौद्योगिकी/सूचना प्रौद्योगिकी जनित सेवा इकाइयों को 31 मार्च, 2020 को समाप्त होने वाली अवधि हेतु कुछ प्रमुख निम्नलिखित प्रोत्साहन की व्यवस्था की गई हैं-
  • बैंकों/वित्तीय संस्थानों से लिये गये ऋण पर अदा किये गये ब्याज पर 5 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज उपादान की प्रतिपूर्ति 7 वर्ष की अवधि हेतु की जायेगी जिसकी अधिकतम सीमा प्रति वर्ष प्रति इकाई रु 1.00 करोड़ होगी।
  • परिचालन आरंभ होने के पश्चात, उत्तर प्रदेश प्रदेश के मूल निवासी एवं निरंतर एक वर्ष तक रोजगार में रहे सूचना प्रौद्योगिकी/सू.प्रौ. जनित सेवा क्षेत्र के कार्यरत पेशेवरों के लिए अदा की गई कुल भविष्य निधि धनराशि की 5 वर्षों तक शत प्रतिशत प्रतिपूर्ति, जिसकी अधिकतम सीमा रु. 20 लाख प्रतिवर्ष प्रति इकाई होगी।
  • रु. 100 करोड़ अथवा इससे अधिक का व्यवसाय करने वाली वर्तमान इकाइयों द्वारा यदि 02 वर्षों की अवधि में 25 प्रतिशत अथवा अधिक क्षमता विस्तार हेतु अतिरिक्त पूंजीगत निवेश किया जाता है तो उन्हें नई इकाइयों को अनुमन्य प्रोत्साहनों (राज्य अभिकरणों से क्रय की गई भूमि पर छूट का छोड़कर) के 50 प्रतिशत के समतुल्य औद्योगिक प्रोत्साहन उपादान अनुमन्य होगा।
  • ऐसी सूचना प्रौद्योगिकी/बी.पी.ओ. इकाइयों जिनमें कम से कम 20 तथा अधिकतम 50 व्यक्ति काम करते हों मास्टर प्लान अथवा भूमि-उपयोग वर्गीकरण के बावजूद, सार्वजनिक, अर्द्ध-सार्वजनिक सुविधाओं, यातायात एवं परिवहन, पार्क एवं खुले क्षेत्र, हरित पट्टी तथा कृषि भू-उपयोग को छोड़कर, कहीं भी स्थापित की जा सकेंगी।
  • रु. 200 करोड़ रु. से अधिक के प्रस्तावित निवेश वाली सूचना प्रौद्योगिकी/सू.प्रौ. जनित सेवा मेगा निवेश परियोजनाओं को विशेष प्रोत्साहन प्रदान किये जाने पर विचार किया जायेगा।
  • सूचना प्रौद्योगिकी/सू.प्रौ. जनित सेवा उद्योग हेतु 25 केवीए से कम क्षमता के विद्युत जनरेटर सेट्स उ.प्र. प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम की परिधि से मुक्त होंगे।
  • सभी सूचना प्रौद्योगिकी/सू.प्रौ. जनित सेवा इकाइयों पर इस नीति की प्रभावी तिथि से औद्योगिक पावर टैरिक अनुमन्य होंगे।
  • उत्तर प्रदेश में इन्क्यूबेटर्स को बढ़ावा देने तथा स्टार्ट-अप्स को संगठित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चरणों में रु.100 करोड़ से एक प्रारंभिक निधि (Seed Fund) बनाई जायेगी।
  • ऋण/ईक्विटी के रूप में स्टार्ट-अप्स से प्राप्त होने वाला प्रतिलाभ, वापस निधि में सम्मिलित किया जायेगा। निधि तथा राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त कोष के प्रबंधन हेतु एक स्थायी निधि-प्रबंधक नामित/नियुक्त किया जायेगा।
  • मेजबान संस्थानों को रु. 25 लाख की अधिकतम सीमा सहित, आईटी इन्फास्ट्रक्चर सेट-अप के लिए 50 प्रतिशत तक पूंजीगत अनुदान प्रदान किया जायेगा।
  • यही सीमा वर्तमान क्षमता के दो वर्ष तक विस्तार के प्रतिबंध के साथ, मौजूदा इन्क्यूबेटर्स को भी उनके सुदृढ़ीकरण हेतु उपलब्ध होगी। मेजबान संस्थानों द्वारा इन्क्यूबेटर्स स्थापित किये जाने हेतु रु. 25 लाख से अधिक धनराशि की मांग पर केस-टू-केस बेसिस पर सशक्त समिति द्वारा विचार किया जायेगा।

संबंधित लिंक भी देखें…
http://information.up.nic.in/View_Hindinews.aspx?id=2707