दंड प्रक्रिया (शनाख्त) अधिनियम‚ 2022

प्रश्न-दंड प्रक्रिया (शनाख्त) अधिनियम‚ 2022 के संबंध में विकल्प में कौन-सा तथ्य सही नहीं है?
(a) 6 अप्रैल‚ 2022 को राज्यसभा द्वारा यह अधिनियम पारित किया गया।
(b) यह अधिनियम बंदी शनाख्त अधिनियम‚ 1960 की जगह लेगा।
(c) इस अधिनियम में अपराधियों की पहचान और आपराधिक मामलों की छानबीन तथा अपराध से जुड़े मामलों के रिकॉर्ड रखने का प्रावधान किया गया है।
(d) अधिनियम पुलिस और जेल अधिकारियों को कानूनी रूप से दोषी लोगों के रेटिना और आईरिश स्कैन सहित भौतिक व जैविक नमूनों को एकत्र करने‚ संग्रहित करने और विश्लेषण करने की अनुमति प्रदान करता है।
उत्तर—(b)
संबंधित तथ्य

  • 18 अप्रैल‚ 2022 को राष्ट्रपति द्वारा दंड प्रक्रिया (शनाख्त) अधिनियम‚ 2022 पारित किया गया।
  • यह विधेयक लोकसभा द्वारा 4 अप्रैल‚ 2022 तथा राज्य सभा द्वारा 6 अप्रैल‚ 2022 को पारित किया जा चुका है।
  • यह अधिनियम बंदी शनाख्त अधिनियम‚ 1920 की जगह लेगा।
  • इस अधिनियम में अपराधियों की पहचान और आपराधिक मामलों की छानबीन तथा अपराध से जुड़े मामलों के रिकॉर्ड रखने का प्रावधान किया गया है।
  • इस अधिनियम के अंतर्गत उन व्यक्तियों की पहचान से जुड़े उपयुक्त उपायों को कानूनी स्वीकृति प्रदान करने का प्रावधान है‚ जिनमें अंगुलियों के निशान‚ हाथ की छाप‚ पंजों के निशान‚ फोटो‚ आंख की पुतली और रेटिना का रिकॉर्ड‚ शारीरिक जैविक नमूने तथा उनका विश्लेषण आदि शामिल है।
  • इस अधिनियम में राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो को यह रिकॉर्ड एकत्रित करने‚ सुरक्षित रखने और इन्हें साझा करने और नष्ट करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
  • इस अधिनियम के अनुसार यदि कोई व्यक्ति मामले में दोषी पाया जाता है‚ उसे गिरफ्तार किया जाता है या हिरासत में लिय जाता है तो उसे पुलिस को व्यवहार संबंधी रिकॉर्ड देना आवश्यक होगा।
  • यह अधिनियम पुलिस और जेल अधिकारियों को कानूनी रूप से दोषी लोगों के रेटिना और आईरिस स्कैन सहित भौतिक व जैविक नमूनों को एकत्र करने‚ संग्रहीत करने और विश्लेषण करने की अनुमति प्रदान करता है।
  • माप के अभिलेखों को माप का संग्रहण करने की तारीख से 75 वर्ष की अवधि के लिए डिजिटल या इलैक्ट्रॉनिकी रूप में प्रतिधारित किया जाएगा।
  • इस अधिनियम के अधीन माप लेने का विरोध करना या इंकार करना भारतीय दंड सहिता की धारा 186 के अधीन एक अपराध माना जाएगा।
  • ऐसे व्यक्ति जिन्हें महिलाओं या बच्चों के विरूद्ध अपराधों के लिए दोषी या गिरफ्तार नहीं किया गया है‚ या ऐसे व्यक्ति जिन्हें सात वर्ष से कम की अवधि के लिए दंडनीय अपराध हेतु हिरासत में लिया गया है‚ उन्हें अपने जैविक नमूने देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।
  • मजिस्ट्रेट को किसी व्यक्ति को माप देने के लिए आदेश देने की शक्ति प्रदान की गई है।
  • इस अधिनियम में दोषियों के दंड प्रक्रिया संहिता‚ 1973 की धारा 53 या धारा 53 (क) के तहत माप के अंतर्गत अगुंलिचिह्न‚ हथेली-छाप चिह्न‚ पद-छाप चिह्न‚ फोटो‚ पुतली और दृष्टिपटल स्कैन‚ शारीरिक या जैविक नमूने और उनका विश्लेषण‚ व्यवहार संबंधी विशेषताएं‚ जिसके अंतर्गत हस्ताक्षर‚ लिखावट या कोई अन्य जांच के कानूनी संग्रह का प्रस्ताव है।
  • इन प्रावधानों का उपयोग केवल जघन्य अपराधों के मामलों में ही किया जाएगा।

लेखक-विजय प्रताप सिंह

संबंधित लिंक भी देखें…

https://www.thehindu.com/news/national/president-gives-assent-to-criminal-procedure-identification-bill/article65335826.ece