जल्लीकट्टू पर अध्यादेश को केंद्र की मंजूरी

Jallikattu: Centre clears Ordinance

प्रश्न-जल्लीकट्टू उत्सव किस राज्य में मनाया जाता है?
(a) तमिलनाडु
(b) आंध प्रदेश
(c) कर्नाटक
(d) महाराष्ट्र
उत्तर-(a)
संबंधित तथ्य

  • 20 जनवरी, 2017 को केंद्रीय कानून और पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जल्लीकट्टू पर तमिलनाडु सरकार के अध्यादेश मसौदे को मंजूरी प्रदान की गई।
  • उच्चतम न्यायालय द्वारा भी केंद्र सरकार के अनुरोध पर इस मामले में निर्णय एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया है।
  • उच्चतम न्यायालय ने मई 2014 में इसपर यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया था कि साड़ों का इस्तेमाल खेलों के लिए नहीं हो सकता है।
  • केंद्र ने 8 जनवरी, 2016 को एक अध्यादेश जारी कर कुछ प्रतिबंधों के साथ तमिलनाडु में जल्लीकट्टू से प्रतिबंध हटा लिया था।
  • जल्लीकट्टू साड़ों को काबू में करने का एक लोकप्रिय खेल है जो वर्षों से पोंगल के दौरान तमिलनाडु में प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।
  • ‘जल्लीकट्टू’ एक तमिल शब्द है, जिसकी उत्पत्ति ‘कालीकट्टू’ से हुई है।
  • ‘काली’ का अर्थ कॉइन (Coin) अर्थात सिक्का से है और ‘कट्टू’ का तात्पर्य उपहारस्वरूप (Package) प्रदान किए जाने से है।
  • प्राचीन तमिल परंपरा में लोग ‘सांड़’ की भगवान शिव के वाहन के रूप में पूजा करते हुए और उन्हें गले लगाते हुए उनके सींगों में ‘सोने-चांदी’ के सिक्के पहनाते थे, जिसे तब ‘कालीकट्टू’ और बाद में ‘जल्लीकट्टू’ कहा जाने लगा।
  • पहले यह भी प्रथा थी कि जो व्यक्ति सांड़ की इस प्रकार पूजा करता था, वह उस सांड़ के मालिक से अपनी पुत्री का विवाह भी कर देता था।
  • तमिलनाडु में प्रारंभ में यह प्रथा फसलों के पकने के अवसर पर प्रायः जनवरी-फरवरी के महीने में अथवा किसी त्योहार के अवसर पर मंदिरों के सामने संपन्न होती थी और आज भी हो रही है।
  • जल्लीकट्टू की प्राचीन प्रथा अब खेल एवं मनोरंजन के रूप में परिवर्तित हो चुकी है जिसे तमिलनाडु राज्य द्वारा जल्लीकट्टू विनियमन अधिनियम, 2009 पारित करके एक कानूनी मान्यता दे दी गई थी।
  • ‘जल्लीकट्टू’ जैसी प्रथा मुख्यतः ‘वन्य-जीवों’ के अधिकारों को प्रभावित करती है, भले ही उसका ‘प्रारूप’ अलग हो परंतु इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ‘पशु अत्याचार’ की श्रेणी में माना जाता है।
  • पशु अत्याचार के निवारण के लिए सर्वमान्य किसी अंतर्राष्ट्रीय प्रसंविदा का अभाव है, किंतु वन्य- प्राणियों के वर्ग विशेष पर कुछ अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन संपन्न हुए, जिनमें पक्षियों के संरक्षण के लिए घोषणा (1875), ह्वेल (मछली) के संरक्षण के कन्वेंशन (1931 एवं संशोधित कन्वेंशन 1946), वन्य-प्राणी से संबंधित कन्वेंशन (1990) तथा जैवविविधता पर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण संरक्षण कन्वेंशन (1992) मुख्य हैं।
  • जर्मनी विश्व का संभवतः पहला देश है जिसने वर्ष 2002 में अपने संविधान में मानव के बाद ‘और पशुओं’(and animals) शब्द जोड़कर मानव के साथ-साथ पशुओं को गरिमा (Animal Dignity) को प्रदान करना राज्य का कर्त्तव्य नियत किया है।
  • ब्रिटेन (2006) और ऑस्ट्रिया (2010) ने भी इस विषय पर कानून बनाए हैं।

संबंधित लिंक
http://indianexpress.com/article/india/centre-clears-jallikattu-ordinance-4484186/
http://www.hindustantimes.com/india-news/jallikattu-ordinance-cleared-by-law-environment-ministries-sent-to-president-pranab-mukherjee/story-XoIVU7JVkzcRcEBFubSzOI.html
http://www.thehindubusinessline.com/news/national/jallikattu-centre-clears-ordinance/article9493593.ece