प्रश्न-हाल ही में किस अनुसंधान केंद्र ने क्रोमियम से होने वाले जल प्रदूषण की जांच के लिए एक पोर्टेबल किट का आविष्कार किया?
(a) भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र
(b) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद
(c) टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल
(d) भारतीय विज्ञान संस्थान
उत्तर-(a)
संबंधित तथ्य
- 17 अगस्त, 2016 को परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) ने क्रोमियम से होने वाले जल प्रदूषण की जांच के लिए एक पोर्टेबल किट का आविष्कार किया है।
- गौरतलब है कि क्रोमियम का इस्तेमाल चमड़ा, इस्पात क्रोम प्लेटिंग, पेंट विनिर्माण लकड़ी संरक्षण आदि विभिन्न उद्योगों में व्यापक रूप से किया जाता है।
- इन उद्योगों से निकलने वाला गैर-उपचारित कचरा कई भागों में बड़े पैमाने पर जल को प्रदूषित करता है।
- क्रोमियम वातावरण में मुख्य रूप से ट्रिवैलैंट क्रोमियम Cr (III) और हेक्सावैलेंट क्रोमियम Cr (VI) के रूप में विद्यमान रहता है।
- जिनमें से हेक्सावैलेंट क्रोमियम Cr (VI) जहरीला होता है और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे कैंसर उत्पन्न करने वाले पदार्थ (Carcinogenic) की श्रेणी में वर्गीकृत किया है।
- जिससे पेट में अल्सर और कैंसर हो सकता है तथा किडनी और लीवर को क्षति पहुंच सकती है।
- बार्क ने क्रोमियम (VI) की जांच के लिए एक आसान, इस्तेमालकर्ता अनुकूल और कम लागत वाली किट का विकास किया है, जो आईएसओ 500 और अमेरिकी पर्यावरण एजेंसी के मानदंड पूरे करती है।
- पेयजल संबंधी भारतीय मानक आईएसओ 500 के अनुसार पेयजल में कार्सोजेनिक की न्यूनतम स्वीकार्य सीमा 50 माइक्रोग्राम प्रतिलीटर है।
- जबकि अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण विभाग इससे भी कम यानि मात्र 10 माइक्रोग्राम प्रतिलीटर संक्रेदित की सिफारिश करता है।
- यह किट पेयजल और टैप वाटर, झीलों और नदियों तथा भूमिगत जल में क्रोमियम से होने वाले प्रदूषण की जांच के लिए एक आवश्यक समाधान प्रस्तुत करता है।
- तत्संबंधी प्रक्रिया के अंतर्गत जल के नमूनों में एक विशेष रीएजेंट मिलाया जाता है और उससे अभिकर्मक (Reagent) विकसित रंग की पहचान की जाती है।
- यह रंग पांच मिनट में विकसित हो जाता है और इसे बिना किसी सहायक उपकरण के सामान्य आंखों से देखा जा सकता है।
- आसानी से तुलना के लिए किट के साथ एक रंग चार्ट उपलब्ध कराया जाता है।
- जल के नमूनों को आसानी से निर्धारित किया जा सकता है कि वे क्रोमियम (VI) की दृष्टि से कितने सुरक्षित हैं।
- इस किट के इस्तेमाल के अनेक फायदे हैं।
- इससे अधिक महंगे और अत्याधुनिक उपकरणों की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
- इससे स्थल पर परीक्षण करने और शीघ्र परिणाम ज्ञात करने में मदद मिलती है।
- क्रोमियम (VI) की जांच के लिए वर्तमान किट (Existing Kit) आयात करनी पड़ती है और उससे जांच की लागत प्रति नमूना 100 रुपये आती है।
- जबकि बार्क द्वारा विकसित किट से मात्र 16 रुपये प्रति नमूना लागत आती है।
- यह भारत सरकार के मेक इन इंडिया अभियान की दिशा में बार्क की एक और उपलब्धि है।
- क्रोमियम (VI) की जांच के लिए बार्क किट से संबंधी प्रौद्योगिकी मैसर्स एलटीईके उद्योग (M/s LTEK Industries नागपुर को सौंप दी गई है।
संबंधित लिंक भी देखें…
http://pib.nic.in/newsite/hindirelease.aspx?relid=53650
http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=148984
http://www.thehindubusinessline.com/news/science/barc-develops-portable-kit-to-detect-chromium-in-water/article9002655.ece