प्रश्न-केरल राज्य में बाढ़, वर्षा और भूस्खलन से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए किसकी अध्यक्षता में अंतर-मंत्रालयी टीम गठित की गई?
(a) प्रधानमंत्री
(b) गृह मंत्री
(c) ए.वी. धर्म रेड्डी
(d) ए. सूर्य प्रकाश
उत्तर-(c)
संबंधित तथ्य
- जुलाई माह में केरल राज्य में सामान्य से ढाई गुना अधिक वर्षा दर्ज की गई, जिसकी वजह से भयानक बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति उत्पन्न हो गई।
- राज्य में बाढ़ से 400 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई तथा 10 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए।
- राहत एवं सहायता
- राज्य के सभी 14 जिलों में सेना, नौसेना तथा वायु सेना के राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) लगातार बचाव और राहत कार्य में लगे हैं तथा आपात स्थिति के लिए देश का शीर्ष निकाय राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति बाढ़ की स्थिति की निगरानी कर रही है।
- केंद्र सरकार ने बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव ए.वी. धर्म रेड्डी के नेतृत्व में एक अंतर मंत्रालयी टीम गठित की, जिसने 8 अगस्त को राज्य का पहला दौरा किया।
- एक आपदा राहत निधि स्थापित की गई जिसमें 3 : 1 के अनुपात में केंद्र और राज्य सहायता राशि प्रदान करेंगे।
- 12 अगस्त को केंद्रीय गृह मंत्री एवं 16 अगस्त को प्रधानमंत्री द्वारा राज्य का दौरा करने के बाद क्रमशः 100 करोड़ एवं 500 करोड़ सहायता राशि प्रदान करने की घोषणा की गई।
- राष्ट्रीय आपदा क्यों नहीं/गंभीरतम् प्राकृतिक आपदा
- राज्य में बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए केरल हाईकोर्ट में दायर याचिका पर शपथ-पत्र के माध्यम से केंद्र सरकार ने बताया कि आपदाओं को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए कोई विधि या नियमावली नहीं है।
- राज्य में आपदा को केंद्र सरकार द्वारा L3 स्तर की गंभीर प्राकृतिक आपदा घोषित किया गया।
- उल्लेखनीय है कि सर्वप्रथम दसवें वित्त आयोग (1995-2000) ने प्रस्ताव किया कि राज्य में एक-तिहाई आबादी को प्रभावित करने वाली आपदा को ‘दुर्लभ गंभीरता की राष्ट्रीय आपदा’ कहा जाए।
- वर्ष 1999 में जे.सी. पंत की अध्यक्षता वाली एक समिति ने आपदा प्रबंधन पर दिशा निर्देशों की सिफारिश की।
- वर्ष 2001 में गृह मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन किया गया, जिसमें पंत समिति की सिफारिशों का समावेश किया गया।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के तहत आपदा प्रबंधन योजना के अंतर्गत आपदाओं को 4 स्तरों में वर्गीकृत किया गया है।
- L1 श्रेणी ऐसी आपदा को दर्शाता है, जिसे जिला स्तर पर प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सके।
- L2 श्रेणी की आपदा में राज्यस्तरीय सहायता एवं सक्रिय सह-भागिता की आवश्यकता होती है जिससे बचाव कार्य पूरा किया जा सके।
- L3 श्रेणी की आपदा से निपटने के लिए राज्य के पास पर्याप्त साधन नहीं होते जिसके परिणामस्वरूप स्थिति को नियंत्रित करने के लिए केंद्र की सहायता की आवश्यकता होती है।
- जिले की L2 श्रेणी की आपदा राज्य स्तर पर L1 श्रेणी की आपदा मानी जाती है तथा जिले की L3 श्रेणी की आपदा राज्य स्तर पर L2 श्रेणी की आपदा मानी जाती है।
- राज्य स्तर पर L3 श्रेणी की आपदा केंद्र की L1 श्रेणी की आपदा होगी, जबकि L0 को जिले की L1 से पहले की प्रारंभिक श्रेणी के रूप में नामित किया गया है।
संबंधित लिंक…
https://www.thehindubusinessline.com/news/national/kerala-floods-declared-calamity-of-severe-nature/article24738335.ece
https://indianexpress.com/article/india/govt-assures-flood-hit-kerala-no-discrimination-5276415/
http://nidm.gov.in/PDF/guidelines/sdmp.pdf
https://en.wikipedia.org/wiki/2018_Kerala_floods
https://indianexpress.com/article/explained/what-is-a-national-disaster-kerala-floods-5314793/