आई.आई.ए. के वैज्ञानिकों द्वारा हीलियम संविर्धित तारों की खोज

IIA scientists discover He-enhanced cool bright stars among the metal-rich parts

प्रश्न-हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों ने निम्नलिखित में से किस ग्लोबुलर क्लस्टर (तारा प्रणाली) में हीलियम संवर्धित तारों की खोज की है?
(a) M2
(b) ओमेगा सेंटौरी
(c) M67
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-(b)
संबंधित तथ्य

  • भारतीय तारा भौतिकी संस्थान (Indian Institute of Astrophysics) के वैज्ञानिकों ने ओमेगा सेंटॉरी तारा समूह (Globular Cluster) में हीलियम संवर्धित चमकीले तारों की खोज की है।
  • ये तारे वैज्ञानिकों को हमारी आकाश गंगा (Miky Way) में स्थित एक ग्लोबुलर क्लस्टर ओमेगा सेंटॉरी के धातु समृद्ध (Metal Rich) भाग में मिले हैं।
  • इस संबंध में संयुक्त अनुसंधान डॉ. बी.पी. हेमा और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान बंगलुरू के प्रो. गजेंद्र पांडे ने साथ मिलकर किया है।
  • उन्होंने ओमेगा सेंटौरी के इन ठंडे चमकीले तारों में हीलियम की मात्रा को मापने के लिए, दक्षिणी अफ्रीकी लार्ज टेलीस्कोप (SALT) से प्राप्त उच्च रिजॉल्यूशन स्पेक्ट्रा का उपयोग किया है।
  • यह अध्ययन The Astrophysical Journal के जून, 2020 अंक में प्रकाशित हुआ था।
  • ग्लोबुलर क्लस्टरः
  • ग्लोबुलर क्लस्टर तारों का एक ऐसा सघन समूह है, जो अंतरिक्ष में एक ही गैसीय बादल से निर्मित होता है।
  • अतः यह माना जाता है कि एक ही ग्लोबुलर क्लस्टर के सभी तारे मौलिक रूप से समान तात्विक संगठन (Elemental Composition) वाले होने चाहिए।
  • लेकिन ऐसे भी क्लस्टर हैं, जिनमें यह नियम आवश्यक रूप से लागू नहीं होता।
  • ओमेगा सेंटौरी भी एक ऐसा ही क्लस्टर है।
  • ओमेगा सेंटौरी के विभिन्न तारों में एक ही प्रकार धातु सामग्री नहीं पाई गई है।
  • ज्ञातव्य हो कि किसी भी मुख्य शृंखला तारे में प्रारंभिक अवस्था में हाइड्रोजन (H) की मात्रा सर्वाधिक होती है जो कि नाभिकीय संलयन की क्रिया द्वारा हीलियम में बदलती जाती है।
  • अतः हीलियम की प्रचुरता वाले तारों की सहायता से किसी तारा प्रणाली (Globolar Cluster) की आयु निर्धारित की जा सकती है।

लेखक-राजेश कुमार त्रिपाठी

संबंधित लिंक भी देखें…

https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1645697

https://iopscience.iop.org/article/10.3847/1538-4357/ab93bd