सेबी : बायबैक नियमों में ढील

प्रश्न-सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा शेयरों के बायबैक हेतु अपने मानदंडों को सेबी ने सुगम्य बनाया है, विशेषकर-
(a) उन कंपनियों के लिए जिनकी सहयोगी इकाइयां ऑटो सेक्टर में हों
(b) उन कंपनियों के लिए जिनकी सहयोगी इकाइयां इस्पात सेक्टर में हों
(c) उन कंपनियों के लिए जिनकी सहयोगी इकाइयां पॉवर सेक्टर में हों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(d)
संबंधित तथ्य

  • सितंबर, 2019 में पूंजी बाजार नियामक सेबी ने एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत शेयरों के बायबैक नियमों को पहले से भी सुगम्य बना दिया।
  • बायबैक नियमों में की गई यह सरलता विशेषकर उन कंपनियों के लिए है, जिनकी सहायक इकाइयां हाउसिंग फाइनेंस और NBFC भी हैं।
  • ध्यातव्य है कि सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा शेयरों की पुनर्खरीद को सेबी के बायबैक विनियमों के साथ-साथ कंपनी अधिनियम द्वारा भी नियंत्रित किया जाता है।
  • बायबैक ऑफर कंपनी की कुल चुकता पूंजी और फ्री रिज़र्व का 25 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है।
  • साथ ही बायबैक आकार के 10 प्रतिशत से अधिक होने की स्थिति में एक विशेष संकल्प के माध्यम से शेयरधारकों की मंजूरी लेना आवश्यक होगा।
  • इसके अलावा बायबैक की अनुमति केवल तभी दी जाती है, जब बायबैक के बाद कंपनी पर बकाया कुल सुरक्षित और असुरक्षित ऋणों का अनुपात कंपनी की चुकता पूंजी और फ्री रिजर्व के दोगुने से ज्यादा न हो।
  • बायबैक संबंधी नियमों में ढिलाई कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के उस अधिसूचना के बाद दी गई है, जिसमें सरकारी कंपनियों (NBFC व हाउसिंग फाइनेंस में भी संलग्नरत सहायक कंपनियां वाली) को बायबैक करने की अनुमति दी गई है।

लेखक-पंकज पाण्डेय

संबंधित लिंक भी देखें…
https://economictimes.indiatimes.com/markets/stocks/news/sebi-eases-buyback-norms-for-companies-with-housing-finance-nbfc-arms/articleshow/70774605.cms