हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता विधेयक, 2019

Himachal passes Bill against ‘forced conversion’
प्रश्न-हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता विधेयक, 2019 में किसी व्यक्ति द्वारा मिथ्या निरूपण, बलपूर्वक, प्रलोभन आदि के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित करने के लिए अधिकतम कितने वर्ष के कारावास का प्रावधान किया गया है?
(a) 7 वर्ष
(b) 8 वर्ष
(c) 9 वर्ष
(d) 11 वर्ष
उत्तर-(a)
संबंधित तथ्य
  • 27 अगस्त, 2019 को हिमाचल प्रदेश विधानसभा द्वारा ‘हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता विधेयक, 2019’ पारित किया गया।
  • उक्त विधेयक ‘हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम, 2006’ का स्थान लेगा।
  • विधेयक के प्रावधानों के अनुसार कोई व्यक्ति मिथ्या निरूपण, बलपूर्वक, असम्यक असर प्रपीड़न, प्रलोभन के प्रयोग द्वारा या किसी कपटपूर्ण माध्यम द्वारा या विवाह द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को प्रत्यक्षतः एक धर्म से अन्य धर्म में परिवर्तित करने या करवाने का प्रयास नहीं करेगा।
  • विधेयक का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के लिए 2 वर्ष से 7 वर्ष तक के कारावास एवं जुर्मान के दंड का प्रावधान किया गया है।
  • यदि कोई व्यक्ति अपने मूल धर्म में वापस आए तो इस अधिनियम के अधीन यह धर्म परिवर्तन नहीं समझा जाएगा।
  • यदि कोई व्यक्ति अवयस्क, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का धर्म परिवर्तन करता या करवाता है उसे 2 वर्ष से 7 वर्ष तक कारावास एवं जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
  • धर्म परिवर्तन के उद्देश्य से किए गए विवाह को कुटुम्ब न्यायालय द्वारा अकृत और शून्य घोषित किया जा सकेगा।
  • यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से किसी अन्य धर्म में परिवर्तित होना चाहता है, तो न्यूनतम एक महीने पूर्व जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष विहित प्रारूप में उद्घोषणा करना होगा।
  • यदि कोई व्यक्ति अपने मूल धर्म में वापस आता है, तो किसी नोटिस की आवश्यकता नहीं होगी।
  • यदि किसी संस्था या संगठन द्वारा विधेयक के प्रावधानों का उल्लंघन किया जाता है, तो संस्था या संगठन किसी प्रकार देशी या विदेशी चंदा या अनुदान नहीं कर सकेंगे।

संबंधित लिंक भी देखें…

https://www.thehindu.com/news/national/other-states/himachal-passes-bill-against-forced-conversion/article29299008.ece