दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता संशोधन अध्यादेश

Ordinance to amend the Insolvency and Bankruptcy Code, 2016

प्रश्न-भारत सरकार ‘दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता’ संशोधन अध्यादेश कब जारी किया गया?
(a) 23 नवंबर, 2017 को
(b) 24 नवंबर, 2017 को
(c) 25 नवंबर, 2017 को
(d) 26 नवंबर, 2017 को
उत्तर-(a)
संबंधित तथ्य

  • 23 नवंबर, 2017 को भारत सरकार द्वारा ‘दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता संशोधन अध्यादेश जारी किया गया।
  • इसके पहले भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अध्यादेश को अपनी स्वीकृति प्रदान की थी।
  • अध्यादेश का उद्देश्य अवांछनीय एवं बेईमान लोगों को उपर्युक्त संहिता के प्रावधानों का दुरुपयोग करने अथवा उन्हें निष्प्रभावी बनाने से रोकने के लिए आवश्यक सुरक्षात्मक उपाय करना है।
  • संशोधन का उद्देश्य ऐसे व्यक्तियों को बाहर करना है जिन्होंने जानबूझकर डिफॉल्ट किया है, जो गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) से संबंधित हैं अथवा जिन्हें नियमों का अनुपालन करने की आदत है और इस तरह जो किसी कंपनी के दिवाला संबंधी विवादों के सफल समाधान में बाधक हैं।
  • भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) को अतिरिक्त अधिकार दिए गए हैं।
  • अध्यादेश के माध्यम से दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 की धारा 2,5,25,30,35 एवं 240 में संशोधन किए गए हैं और संहिता में 29A एवं 235A नई धाराएं जोड़ी गई हैं।
  • संहिता की धारा 2 के अनुच्छेद (E) को तीन अनुच्छेदों द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है।
  • इसके व्यक्तियों और भागीदारी कंपनियों से संबंधित संहिता के भाग III को विभिन्न चरणों में शुरू करने में मदद मिलेगी।
  • संहिता की धारा 5 के अनुच्छेद-25 एवं 26 ‘जो समाधान संबंधित आवेदक’ को परिभाषित करते हैं, को संशोधित किया गया है।
  • संहिता की धारा 25 (2) (एच) में संशोधन किया गया है ताकि ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) से मंजूरी मिलने के बाद समाधान संबंधी पेशेवर अर्हता की शर्तें निर्दिष्ट की जा सकें।
  • धारा 29A एक नई धारा है जिसके माध्यम से कुछ विशेष व्यक्तियों को समाधान आवेदक बनने के अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
  • धारा 30 (4) में संशोधन किया गया है कि ताकि सीओसी अपनी मंजूरी देने से पहले आईबीबीआई द्वारा निर्दिष्ट शर्तों के अलावा किसी समाधान योजना की संभाव्यता एवं लाभप्रदत्ता पर विचार करने के लिए बाध्य होगी।
  • ऐसे व्यक्ति की संपत्ति की बिक्री पर धारा 35 (1) (F) में संशोधन के माध्यम से रोक लगा दी गई जिन्हें धारा 29A के तहत कोई भी समाधान पेश करने के अयोग्य घोषित कर दिया गया है।
  • संहिता के प्रावधानों के साथ-साथ निर्धारित नियम-कायदों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए नई धारा 235A के तहत ऐसे मामलों में संबंधित प्रावधानों के दुरूपयोग हेतु दंड का प्रावधान किया गया है जिनमें किसी विशेष पेनाल्टी या दंड का प्रावधान नहीं था।
  • संहिता की धारा 240 जिसमें आईबीबीआई द्वारा नियम-कायदे बनाने का अधिकार दिया गया है, में अनुवर्ती संशोधन किए गए हैं, ताकि धारा 25 (2) (एच) और 30 (4) के तहत अधिकारों का नियमन किया जा सके।

संबंधित लिंक
http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=173771