प्रश्न-एक नए अध्ययन के अनुसार कुछ विशेष प्रकार की चट्टानें भी ग्रीन हाउस गैसों का उर्त्सजन करके ग्लोबल वार्मिंग प्रभाव पैदा कर सकती हैं।ये चट्टानें हैं-
(a) अवसादी चट्टानें
(b) रूपांतरित चट्टानें
(c) ज्वालमुखीय चट्टानें
(d) केवल (b) तथा (c)
उत्तर-(c)
संबंधित तथ्य
(a) अवसादी चट्टानें
(b) रूपांतरित चट्टानें
(c) ज्वालमुखीय चट्टानें
(d) केवल (b) तथा (c)
उत्तर-(c)
संबंधित तथ्य
- दिसंबर, 2019 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, ज्वालामुखीय चट्टानों से उत्पन्न होने वाला ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन, ग्लोबल वार्मिंग प्रभाव उत्पन्न कर सकता है।
- अध्ययन में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह प्रभाव अनुमानों से कहीं अधिक हो सकता है।
- यह अध्ययन जर्नल, नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुआ है।
- इस अध्ययन में यह भी उल्लिखित है कि ग्रह की भूगर्भीय संरचना में हुए परिवर्तनों के कारण पिछले 65 करोड़ वर्षों में सर्वाधिक अस्थाई ग्लोबल वार्मिंग हुई है।
- शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस शोध में प्रमुख रूप से ब्रिटेन के बर्मिंघम विश्वविद्यालय के शोधकर्ता भी सम्मिलित हैं।
- शोधकर्ताओं के अनुसार इस प्रकार के जलवायु परिवर्तन में विश्व के विशाल आग्नेय क्षेत्रों (Large Igneous Provinces-LIPs) की भी एक भूमिका अवश्य रही है।
- ज्वालामुखियों से निकले मैग्मा (Magma) के बहकर आने से बने चट्टानों के विशाल संचय के कारण भी Paleocene Ecocene Thermal Maximum (PETM) के दौरान कार्बन उत्सर्जन में एक बदलाव आया।
- PETM को लगभग 55 करोड़ वर्ष पहले अधिकतम तापमान के 100,000 वर्षों के अंतराल के रूप में भी समझा जा सकता है।
- शोधकर्ताओं के अनुसार उस युग में PETM प्राकृतिक रूप से जलवायु परिवर्तन की सबसे बड़ी घटना भी।
लेखक-राजेश त्रिपाठी
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