जापान और दक्षिण कोरिया को लौह अयस्क की आपूर्ति हेतु दीर्घावधि समझौते को मंजूरी

प्रश्न-हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा एमएमटीसी लिमिटेड के माध्यम से जापान की इस्पात मिलों और दक्षिण कोरिया की पोस्को लौह अयस्क की आपूर्ति करने हेतु दीर्घावधि समझौते को मंजूरी प्रदान की गई। इस संबंध में विकल्प में कौन-सा तथ्य सही नहीं है?
(a) इनको 64 प्रतिशत से अधिक लौह सामग्री की किस्म के लौह अयस्कों की आपूर्ति पांच और वर्षों तक करने हेतु मंजूरी दी गई है।
(b) यह नवीनीकृत दीर्घावधि समझौता 1 अप्रैल, 2018 से 31 मार्च 2023 तक मान्य होगा।
(c) प्रतिवर्ष निर्यातक लौह अयस्क की मात्रा 3.50 मिलियन टन (न्यूनतम) होगी।
(d) बैलाडीला गोले (लम्प) के निर्यात की मात्रात्मक सीमा 1.81 मिलियन टन वार्षिक होगी।
उत्तर-(c)
संबंधित तथ्य

  • 25 अप्रैल, 2018 की केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा एमएमटीसी लिमिटेड के माध्यम से जापान की इस्पात मिलों (JSM) और दक्षिण कोरिया की पोस्को को 64 प्रतिशत से अधिक लौह सामग्री की किस्त के लौह अयस्क (गोला एवं बारीक) को आपूर्ति पांच और वर्षों तक करने हेतु दीर्घावधि समझौतों के नवीनीकरण को मंजूरी प्रदान की गई।
  • जापान की इस्पात मिलों और दक्षिण कोरिया की पोस्को के साथ नवीनीकृत दीर्घावधि समझौता 1 अप्रैल, 2018 से 31 मार्च, 2023 तक मान्य होगा।
  • दीर्घावधि समझौते के तहत प्रतिवर्ष निर्यातक लौह अयस्क की मात्रा 3.80 मिलियन टन (न्यूनतम) वार्षिक से लेकर 5.50 मिलियन टन (अधिकतम) वार्षिक होगी।
  • बैलाडीला गोले (लम्प) के निर्यात की मात्रात्मक सीमा 1.81 मिलियन टन वार्षिक और बैलाडीला बारीक (फाइन) के निर्यात की मात्रा सीमा 2.71 मिलियन टन वार्षिक होगी।
  • एफओबी मूल्य के 2.8 प्रतिशत कारोबारी मार्जिन के साथ एमएमटीसी के माध्यम से एकल एजेंसी परिचालन और निर्यात की वर्तमान नीति आगे भी प्रक्रियागत रहेगी।
  • उपर्युक्त समझौते से भारत को अपने अयस्कों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार हासिल करने और स्थिर आर्थिक परितंत्र सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी जो खनन, लॉजिस्टिक्स संबंधित क्षेत्रों में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रोजगार उपलब्ध कराता है।
  • एमएमटीसी द्वारा वर्ष 1963 से जापान की इस्पात मिलों को तथा वर्ष 1973 से दक्षिण कोरिया को लौह अयस्क की आपूर्ति की जा रही है।

संबंधित लिंक
http://www.pib.nic.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=1530152