प्रश्न-हाल ही में बाजार नियामक सेबी ने ‘राष्ट्रीय शेयर बाजार’ (NSE) पर जुर्माना लगाया है-
(a) 625 करोड़ रुपये
(b) 500 करोड़ रुपये
(c) 400 करोड़ रुपये
(d) 300 करोड़ रुपये
उत्तर-(a)
संबंधित तथ्य
(a) 625 करोड़ रुपये
(b) 500 करोड़ रुपये
(c) 400 करोड़ रुपये
(d) 300 करोड़ रुपये
उत्तर-(a)
संबंधित तथ्य
- 30 अप्रैल, 2019 को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने राष्ट्रीय शेयर बाजार (NSE) पर 625 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।
- इसके साथ ही NSE पर 6 महीने तक डेरिवेटिव प्रोडक्ट और कोई IPO (प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम) को नहीं लाने का भी प्रतिबंध लगाया गया है।
- NSE को 624.89 करोड़ रुपये और उसके साथ उस पर 1 अप्रैल, 2014 से 12 प्रतिशत सालाना के ब्याज दर सहित पूरी राशि (लगभग 1000 करोड़ रुपये) सेबी द्वारा स्थापित निवेशक सुरक्षा और शिक्षा कोष (IPEF) में जमा करना होगा।
- NSE की, को-लोकेशन सुविधा के माध्यम से उच्च आवृत्ति वाले कारोबार में अनियमितता के आरोपों की जांच के बाद सेबी ने यह आदेश दिया है।
- ध्यातव्य है कि वर्ष 2015 में एक शिकायत के बाद NSE की ‘को-लोकेशन’ सुविधा नियामकीय जांच के घेरे में आई थी।
- शेयर बाजार में ट्रेडिंग (व्यापार) के लिए बड़े ब्रोकर्स (शेयर दलालों) ने NSE के कैंपस में इंटरनेट का तीव्र (Fast) सर्वर लगाया था।
- इससे ये ब्रोकर्स सबसे तेज सौदा कर पाते थे।
- अर्थात् शेयर खरीद और बिक्री के लिए ऑर्डर में उन्हें ही प्राथमिकता मिलती थी।
- जिससे छोटे निवेशक बड़ा मुनाफा बनाने से चूक रहे थे।
- बड़े ब्रोकर्स की इस कार्रवाई के मद्देनजर NSE को टिक-बाय-टिक (टीबीटी) डेटा रूपरेखा के संबंध में प्रयास करना चाहिए था, परंतु ऐसा नहीं हुआ।
- टीबीटी डेटा फीड ‘ऑर्डर बुक’ में हुए हर बदलाव के बारे में जानकारी देता है।
- इसे पारेषण नियंत्रण प्रोटोकॉल/इंटरनेट प्रोटोकॉल के जरिए प्रसारित किया जाता है।
- इस प्रोटोकॉल के तहत एक-एक करके सूचनाएं प्रेषित होती हैं।
- इस टीबीटी डेटा रूपरेखा को लागू करने के समय अपेक्षित परिश्रम नहीं किया गया।
- जिससे एक ऐसा कारोबारी माहौल बना, जिसमें सूचनाओं का प्रसार असमान था।
- सेबी ने इस मामले में NSE के दो पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक रवि नारायण और चित्रा रामकृष्ण को एक अवधि विशेष के दौरान प्राप्त वेतन के 25 प्रतिशत हिस्से को वापस करने के लिए भी कहा है।
- सेबी ने इन दोनों पूर्व अधिकारियों पर पांच साल तक किसी भी सूचीबद्ध कंपनी या बाजार ढांचा चलाने वाले संस्थान या बाजार में बिचौलिए का काम करने वाली इकाई के साथ काम करने पर भी रोक लगाया है।
- साथ ही दोनों को छह महीने के लिए प्रतिभूति बाजार में सीधे या परोक्ष रूप से कारोबार करने से भी रोक दिया गया है।
लेखक-पंकज पांडेय
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