वैश्विक नवाचार सूचकांक, 2018

प्रश्न-10 जुलाई, 2018 को जारी ‘वैश्विक नवाचार सूचकांक, 2018’ के अनुसार भारत का कौन-सा स्थान है?
(a) 60वां
(b) 65वां
(c) 57वां
(d) 55वां
उत्तर-(c)
संबंधित तथ्य

  • 10 जुलाई, 2018 को वैश्विक नवाचार सूचकांक (Global Innovation Index), 2018 जारी किया गया।
  • वर्ष 2007 से प्रकाशित होने वाली इस रिपोर्ट का यह 11वां संस्करण है।
  • वर्ष 2018 के वैश्विक नवाचार सूचकांक का मुख्य विषय (Theme)-“Energizing the World with Innovation” है।
  • इस रिपोर्ट के माध्यम से विश्व भर की 126 अर्थव्यवस्थाओं को रैंकिंग प्रदान की गई।
  • वैश्विक नवाचार सूचकांक, 2018 के अनुसार स्विट्जरलैंड (स्कोर-68.40) शीर्ष स्थान पर है।
  • इसके पश्चात नीदरलैंड्स (स्कोर-63.32) दूसरे, स्वीडन (स्कोर-63.08) तीसरे, यूनाइटेड किंगडम (स्कोर-60.13) चौथे तथा सिंगापुर (स्कोर-59.83) पांचवें स्थान पर है।
  • इसके अतिरिक्त अमेरिका (स्कोर-59.81) छठवें, फिनलैंड (स्कोर-59.63) सातवें, डेनमार्क (स्कोर-58.39) आठवें, जर्मनी (स्कोर-58.03) नौवें तथा आयरलैंड (स्कोर-57.19) दसवें स्थान पर है।
  • वैश्विक नवाचार सूचकांक, 2018 के अनुसार भारत का 126 देशों की सूची में 57वां स्थान (स्कोर-35.18) है।
  • जबकि गतवर्ष (2017) भारत 127 देशों की सूची में 60वें स्थान पर था।
  • उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 के वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत, ब्राजील (64वें) तथा दक्षिण अफ्रीका (58वें) को छोड़कर ‘ब्रिक्स’ (BRICS) समूह के अन्य सभी देशों से पीछे है।
  • ब्रिक्स के अन्य सदस्य देशों में चीन को 17वां तथा रूसी संघ को 46वां स्थान प्राप्त हुआ है।
  • इस सूचकांक में भारत के पड़ोसी देशों में श्रीलंका को 88वां, नेपाल को 108वां, पाकिस्तान को 109वां तथा बांग्लादेश को 116वां स्थान प्राप्त हुआ।
  • वर्ष 2018 के वैश्विक नवाचार सूचकांक में यमन सबसे निचले अर्थात 126वें स्थान पर है।
  • इसके पूर्व टोगो 125वें, बुर्किना फासो 124वें, कोटे डी आइवरी (Cote d’ Ivoire) 123वें तथा नाइजर 122वें स्थान पर रहा।
  • वैश्विक नवाचार सूचकांक, 2018 का प्रकाशन ‘विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) कॉरनेल विश्वविद्यालय तथा INSEAD : The Business School for the World द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया गया।

लेखक विवेक कुमार त्रिपाठी

संबंधित लिंक…
https://www.globalinnovationindex.org/gii-2018-report
http://www.wipo.int/pressroom/en/articles/2018/article_0005.html