प्रश्न-हाल ही में किस देश ने विश्व का पहला तैरता परमाणु संयंत्र समुद्र में उतारा है?
(a) चीन
(b) ईरान
(c) रूस
(d) यू.एस.ए.
उत्तर-(c)
संबंधित तथ्य
(a) चीन
(b) ईरान
(c) रूस
(d) यू.एस.ए.
उत्तर-(c)
संबंधित तथ्य
- 23 अगस्त, 2019 को रूस ने ‘एकेडमिक लोमोनोसोव’ (Akademik Lomonosov) नामक विश्व का पहला तैरता परमाणु संयंत्र समुद्र में उतारा।
- आर्कटिक महासागर में रूस द्वारा उतारा गया यह परमाणु संयंत्र रूस के मुरमैनस्क बंदरगाह से अपनी यात्रा आरंभ करके अपने गंतव्य स्थल उत्तर-पूर्वी साइबेरिया की ओर निकल पड़ा है।
- यह संयंत्र साइबेरिया क्षेत्र के एक शहर पेवेक में एक बंद कोयला संयंत्र का स्थान लेकर क्षेत्र की बिजली आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायता करेगा।
- रूस की एक परमाणु एजेंसी रोसाटॉम के अनुसार, इस प्रकार के संयंत्र से, सदैव बर्फ से ढके रहने वाले स्थानों में ऊर्जा उपलब्धता की सुगमता प्रदान की जा सकती है।
- इस प्रकार के संयंत्रों के उपयोग द्वारा रूस अपनी आर्कटिक क्षेत्र की बड़ी बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं, खनिज तेल और हाइड्रोकार्बन की खोज कार्यों के लिए आवश्यक ऊर्जा की पूर्ति करना चाहता है।
- पर्यावरण पहलू
- पर्यावरणविदों ने इस तैरते परमाणु संयंत्र के प्रयोग के प्रति चेतावनियां भी जताई हैं।
- पर्यावरणविदों के अनुसार, परमाणु संयंत्रों से रेडियोधर्मी पदार्थों की उत्पत्ति होती है, जो इसके जल में तैरने के कारण खतरनाक रूप धारण कर सकती है।
- ग्रीनपीस के अनुसार, अकादमिक लोमोनोसोव समुद्री तूफानों से यदि क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो इस पर रखे रेडियोधर्मी कचरे का रिसाव जल में हो सकता है।
- संयंत्र से संबद्ध वैज्ञानिकों का तर्क
- संयंत्र से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि रेडियोधर्मी कचरे से जुड़ी चिंताएं उतनी बड़ी नहीं हैं जितना कि इन्हें तूल दिया जा रहा है क्योंकि इस प्रकार के संयंत्रों से संबंधित सभी सुरक्षा मानकों को पूरा करने के पश्चात ही इनका संचालन प्रारंभ किया जाता है।
- इन वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तैरते संयंत्र में उत्पन्न होने वाले रेडियोधर्मी अपशिष्ट को जहाज पर ही सीलबंद डिब्बों में रखा जाएगा जिनके पानी में गिरने की स्थिति में भी खुलने की संभावना नहीं है।
लेखक-राजेश त्रिपाठी
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