नासा के एस्ट्रोबी रोबोट की अंतरिक्ष में पहली उड़ान

प्रश्न-नासा के एस्ट्रोबी रोबोटों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है?
(a) इन रोबोटों का आकार घनाकार है।
(b) मई, 2019 में दो एस्ट्रोबी रोबोट अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजे गए थे।
(c) अपनी ऊर्जा से पहली बार अंतरिक्ष में उड़ने वाले एस्ट्रोबी रोबोट का नाम बम्बल है।
(d) तीसरा एस्ट्रोबी रोबोट जुलाई, 2019 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए भेजा जाएगा।
उत्तर-(b)

अथवा

प्रश्न-अंतरिक्ष में पहली बार अपनी स्वयं की ऊर्जा से उड़ान भरने वाले नासा के रोबोट का नाम है-
(a) बी (Bee)
(b) हनी (Honey)
(c) क्वीन (Queen)
(d) बम्बल (Bumble)
उत्तर-(d)
संबंधित तथ्य

  • 14 जून, 2019 को नासा के एस्ट्रोबी (Astrobee) रोबोट ‘बम्बल’ (Bumble) ने अपनी ऊर्जा का प्रयोग करते हुए पहली बार अंतरिक्ष में उड़ान भरी।
  • बम्बल को दूसरे एस्ट्रोबी रोबोट ‘हनी’ (Honey) के साथ 17 अप्रैल, 2019 को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए पुनःआपूर्ति मिशन के साथ प्रक्षेपित किया गया था।
  • नासा द्वारा विकसित एस्ट्रोबी प्रणाली में तीन घनाकार (1 फीट ×1 फीट ×1 फीट) रोबोट सॉफ्टवेयर तथा इनरोवोटो की रीचार्जिंग हेतु डॉकिंग स्टेशन शामिल है।
  • एस्ट्रोबी प्रणाली के डॉकिंग स्टेशन को नवंबर, 2018 में ही आईएसएस पर भेजा गया था, जिसे आईएसएस के जापानी परीक्षण मॉड्यूल में फरवरी, 2019 में स्थापित किया गया।
  • तीसरा एस्ट्रोबी रोबोट ‘क्वीन’ (Queen) जुलाई, 2019 में आईएसएस पर भेजा जाएगा।
  • मुक्त रूप से उड़ने या नैविगेट करने में सक्षम ये रोबोट आईएसएस के वैज्ञानिकों को सूक्ष्म-गुरुत्व (Microgravity) परिस्थितियों में नई रोबोटिक तकनीकों के परीक्षण में सहायता प्रदान करने के साथ उनके नित्य कार्यों में लगने वाले समय को भी बचाएंगे।
  • ये रोबोट स्वायत्त रूप से अथवा रिमोट नियंत्रण के माध्यम से अपने कैमरों के द्वारा वैज्ञानिकों के प्रयोगों को रिकॉर्ड करने एवं स्टॉक सूची तैयार करने के साथ अंतरिक्ष स्टेशन में सामानों को अपेक्षित स्थान तक पहुंचाने जैसे कार्य करने में सक्षम है।
  • एस्ट्रोबी रोबोट बैटरी से ऊर्जा प्राप्त करते हैं तथा आवश्यकता पड़ने पर ये अपने डॉकिंग स्टेशन पर उतरकर अपनी बैटरी चार्ज कर सकते हैं।
  • ये प्रणोदन प्रणाली के रूप में छोटे विद्युत पंखों के प्रयोग से अंतरिक्ष स्टेशन के सूक्ष्म-गुरुत्व वातावरण में मुक्त रूप से उड़ या तैर सकते हैं तथा ये अपने कैमरों और सेंसर की सहायता से नैविगेशन करते हैं।
  • इन रोबोटों के साथ एक पर्चिंग आर्म भी संलग्न है, जिसकी सहायता से ये वस्तुओं को पकड़ने के साथ अपनी ऊर्जा के संरक्षण के लिए अंतरिक्ष स्टेशन की हैंडरेलों को पकड़कर रुक सकते हैं।
  • नासा का मानना है कि भविष्य में ऐसे रोबोट उसके भावी लूनर गेटवे (Lunar Gateway) की देखभाल कर सकने के साथ चंद्रमा और मंगल ग्रह के भावी अन्वेषण मिशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
  • सिलिकॉन वैली (कैलिफोर्निया, यूएसए) स्थित नासा के एमीस (Ames) रिसर्च सेंटर द्वारा एस्ट्रोबी प्रणाली का विकास नासा की ‘ह्यूमन एक्सप्लोरेशन टेलीरोबोटिक्स 2’ परियोजना के तहत किया गया है।
  • एस्ट्रोबी प्रणाली का निर्माण आईएसएस पर एक दशक से अधिक समय से संचालित ‘स्फीयर्स’ (SPHERES : Sydronised Position Hold, Engage, Reorient, Experimental Satellite) नामक रोबोटिक प्रणाली से प्राप्त तकनीकी अनुभवों के आधार पर किया गया है।
  • एस्ट्रोबी प्रणाली के पूर्णतः परिचालित हो जाने पर यह आईएसएस की रोबोटिक परीक्षण फैसिलिटी के रूप में स्फीयर्स प्रणाली का स्थान लेगी।

लेखक-आशुतोष श्रीवास्तव

संबंधित लिंक भी देखें…
https://www.nasa.gov/image-feature/ames/look-no-hands-nasa-s-first-astrobee-robot-bumble-starts-flying-in-space
https://www.indiatoday.in/science/story/nasa-bumble-robot-astrobee-first-fly-in-space-international-space-station-1553397-2019-06-21