जस्टिस वर्मा समिति रिपोर्ट और मी टू संदर्भ

प्रश्न-हाल ही में सोशल मीडिया पर चल रहे किस अभियान से प्रेरित होकर केंद्र सरकार ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकने हेतु कानूनी और संस्थागत ढांचे के लिए न्यायाधीशों का एक पैनल स्थापित करने की घोषणा की है?
(a) # We Too
(b) # You Too
(c) # Me Too
(d) # Men Too
उत्तर-(c)
संबंधित तथ्य

  • हाल ही में सोशल मीडिया पर चल रहे # Me Too अभियान (हैश टैग मी टू) के चलते केंद्र सरकार ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकने हेतु कानूनी और संस्थागत ढांचे की देखरेख के लिए न्यायाधीशों का एक पैनल स्थापित करने की घोषणा की है।
  • वर्ष 2013 में लैंगिक कानूनों पर प्रस्तुत महत्वपूर्ण रिपोर्ट में न्यायमूर्ति जे.एस. वर्मा समिति ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न विधेयक में बदलाव की मांग करते हुए एक आंतरिक शिकायत समिति (ICC) के स्थान पर रोजगार अधिकरण (Employment Tribunal) की स्थापना की सिफारिश की थी।
  • इस समिति का गठन वर्ष 2012 में निर्भया गैंगरेप मामले (16 दिसंबर) के बाद किया गया था तथा इसने अपनी रिपोर्ट 23 जनवरी, 2013 को सौंपी थी।
  • समिति द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के समय कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) विधेयक, लोकसभा से पारित हो चुका था तथा विधेयक पर राज्यसभा से स्वीकृति मिलनी बाकी थी। लगभग एक महीने बाद राज्यसभा ने भी इसे पारित कर दिया।
  • समिति द्वारा इस विधेयक को असंतोषजनक बताया गया था तथा यह इंगित किया कि यह विधेयक उच्चतम न्यायालय के ‘विशाखा दिशानिर्देशों’ के अनुरूप भी नहीं था।
  • समिति द्वारा प्रस्तावित रोजगार अधिकरण के सदस्यों की नियुक्ति संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली कोलेजियम द्वारा किया जाना चाहिए।
  • इस अधिकरण में दो सेवानिवृत्त न्यायाधीश, जिसमें से कम से कम एक महिला हो, दो प्रसिद्ध समाजशास्त्री और लिंग आधारित भेदभाव के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता को होना चाहिए।
  • शिकायतों के शीघ्र निपटारे के लिए न्यायमूर्ति वर्मा समिति के अनुसार, अधिकरण को सिविल कोर्ट के रूप में कार्य नहीं करना चाहिए, बल्कि अधिकरण प्रत्येक शिकायत से निपटने के लिए अपनी प्रक्रिया का चयन कर सकते हैं।
  • समिति ने महिलाओं को आगे आकर शिकायत दर्ज कराने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए कई सुझाव भी दिए। उदाहरण के लिए झूठी शिकायतों के लिए महिलाओं को दंडित किए जाने का विरोध किया और इसे कानून के उद्देश्य को खत्म करने की दृष्टि से अपमानजनक प्रावधान कहा।
  • समिति के अनुसार शिकायत दर्ज करने के लिए तीन महीने की समय सीमा को समाप्त किया जाना चाहिए और शिकायतकर्ता को उसकी सहमति के बिना स्थानांतरित नहीं किया जाना चाहिए।

लेखक-काली शंकर तिवारी

संबंधित लिंक…
https://www.thehindu.com/news/national/2013-justice-verma-panel-report-wanted-changes-to-sexual-harassment-law/article25221588.ece
http://newstime.org.in/2013-justice-verma-panel-report-wanted-changes-to-sexual-harassment-law/