प्रश्न-हाल ही में आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति ने ‘ऋण अधारित पूंजी सब्सिडी और प्रौद्योगिकी उन्नयन योजना’ को 12वीं पंचवर्षीय योजना के बाद भी जारी रखने की स्वीकृति प्रदान की। इस अवधि में योजना के लिए कुल आवंटित धनराशि है-
(a) 2900 करोड़ रु.
(b) 2500 करोड़ रु.
(c) 1900 करोड़ रु.
(d) 3900 करोड़ रु.
उत्तर-(a)
संबंधित तथ्य
- 13 फरवरी, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति ने ‘ऋण आधारित पूंजी सब्सिडी और प्रौद्योगिकी उन्नयन योजना’ (CLCS-TUS) को 12वीं पंचवर्षीय योजना के बाद भी जारी रखने की मंजूरी दी।
- यह योजना वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20 के मध्य तीन वर्ष की अवधि में कार्यान्वित की जाएगी।
- उक्त अवधि हेतु योजना का परिव्यय 2900 करोड़ रुपए होगा।
- योजना का उद्देश्य विविध मौजूदा योजनाबद्ध हस्तक्षेपों को एकीकृत करके सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करना है।
- उक्त योजनाबद्ध हस्तक्षेपों का उद्देश्य ऋण आधारित पूंजी सब्सिडी के माध्यम से प्रौद्योगिकी उन्नयन, जीरो डिफेक्ट इफेक्ट विनिर्माण हेतु सहयोग, अपशिष्ट में कमी के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाना, क्लाउड कंप्यूटिंग आदि हैं।
- योजना में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजातियों, पूर्वोत्तर क्षेत्र, पहाड़ी राज्यों (जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड), द्वीपीय क्षेत्रों (अंडमान एवं निकोबार, लक्षद्वीप) और आकांक्षी जिलों/वामपंथ उग्रवाद प्रभावित जिलों की महिलाओं की उद्यमिता के प्रोत्साहन के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
- उक्त मामलों में सब्सिडी किसी भी प्रकार के संयंत्र एवं मशीनरी/उपकरण के अधिग्रहण/प्रतिस्थापन और प्रौद्योगिकी उन्नयन में निवेश के लिए सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
- यह योजना मांग आधारित होगी किंतु इसका आच्छादन अधिक समावेशी होगा।
- इस योजना के ‘जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट’ घटक के माध्यम से ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन स्तर में कमी की बढ़ावा मिलेगा।
- साथ ही उत्पादों की विनिर्माण प्रक्रिया के दौरान क्षति/अपव्यय में कमी के माध्यम से प्रतिस्पर्धा में सुधार होगा।
- योजना से नवाचार, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के डिजिटल सशक्तीकरण और उनके बौद्धिक संपदा के संरक्षण आदि को प्रोत्साहन प्राप्त होगा।
- योजना से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के प्रौद्योगिकी उन्नयन, उत्पाद गुणवत्ता में सुधार, उत्पादकता में वृद्धि और अपशिष्ट में कमी की सुविधा प्राप्त होगी।
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