प्रश्न-हाल ही में उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति-2017 जारी की गई। इस नीति के तहत मैन्युफैक्चरिंग जोन घोषित किया गया है-
(a) नोएडा, कानपुर, ग्रेटर नोएडा
(b) नोएडा, ग्रेटर नोएडा, आगरा एक्सप्रेस-वे
(c) नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेस-वे
(d) नोएडा, आगरा, कानपुर
उत्तर-(c)
संबंधित तथ्य
- 1 जनवरी, 2018 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम को गति प्रदान करने हेतु ‘उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति-2017’ जारी की गई।
- इस नीति के तहत नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा यमुना एक्सप्रेस वे को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग जोन घोषित किया गया है।
- यू.पी. इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति के समस्त लाभ एवं प्रोत्साहन इस उद्घोषित क्षेत्र में स्थापित होने वाली समस्त इकाइयों के लिए अनुमन्य होगा।
- इस नीति का लक्ष्य उत्तर प्रदेश को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है।
- इसके अलावा प्रदेश में अनुकूल परिवेश प्रदान कर राज्य को देश में सर्वाधिक वरीयता वाले निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करना, इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को प्रोत्साहन प्रदान करना, इकाइयों को सिंगल विंडो सिस्टम प्रदान करना तथा इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में जनशक्ति हेतु कौशल विकास को बढ़ावा देना है।
- ई.एस.डी.एम. क्षेत्र में 20,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करना तथा वर्ष 2022 तक तीन लाख रोजगार का सृजन करना है।
- इस नीति का मुख्य उद्देश्य राज्य में मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स/ई.एस.डी.एम. पार्क्स की स्थापना, अधिकतम निवेश को आकर्षित करना, फैब इकाई की स्थापना पर बल देना तथा प्रादेशिक सकल घरेलू उत्पाद (जी.एस.डी.पी.) में वृद्धि करना है।
- इस नीति के अनुसार राज्य में व्यावसायिक इकाइयों की स्थापना के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण संकुल/ई.एस.डी.एम. पार्कों की स्थापना पर बल दिया जाएगा।
- यह पार्क ज्ञान आधारित नव प्रयोगों एवं प्रतिस्पर्धी व्यावसायिक क्षेत्रों के सृजन, पर्यावरण संबंधी बिंदुओं के अनुश्रवण व प्रबंधन की उच्च क्षमता, नगरीय परिवहन में सुधार, भूमि, गुणवत्तायुक्त 24 घंटे अनवरत विद्युत आपूर्ति, पानी, सड़क आदि जैसी आधारभूत अवस्थापना सुविधा प्रदत्त करने में सहायक होंगे।
- इस नीति के तहत वैश्विक व्यवस्था के अनुरूप हानिकारक पदार्थों के उपयोग पर प्रतिबंध सहित राज्य में उत्पन्न ई-अपशिष्ट के लिए ई-अपशिष्ट पुनर्चक्रण उद्योग को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
- इस नीति के सफल क्रियान्वयन हेतु एक इलेक्ट्रॉनिक्स मिशन निदेशालय होगा।
- मिशन निदेशालय निवेशकों से वार्ता करेगा तथा निवेशकों द्वारा प्रस्तुत निवेश प्रस्तावों को नीति क्रियान्वयन इकाई के अनुमोदन के अनुरूप मिशन निदेशक द्वारा वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
- निवेशकों को आकर्षित करने हेतु मिशन निदेशालय द्वारा समय-समय पर इवेंट, कार्यशाला एवं कॉन्फ्रेंस में प्रतिभाग किया जाएगा।
- निवेश प्रस्ताव पर सक्षम स्तर से अनुमोदन के पश्चात लेटर ऑफ कंफर्ट जारी किया जायेगा।
- राज्य में नीति के क्रियान्वयन एवं उसके सफल निष्पादन का अनुश्रवण मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय सशक्त समिति द्वारा किया जाएगा।
- पी.आई.यू. 200 करोड़ रुपये से अधिक के संभावित निवेश वाले प्रस्तावों का परीक्षण कर इम्पॉवर्ड कमेटी के समक्ष प्रस्तुत करेगी।
- यह कमेटी केस-टू-केस आधार पर विचार करके मंत्रिपरिषद के अनुमोदन हेतु अनुशंसा करेगी।
- पी.आई.यू. 200 करोड़ से कम पूंजी निवेश वाली परियोजनाओं को अनुमोदन प्रदान करेगी।
- नीति अंतर्गत भूमि के अतिरिक्त स्थित पूंजी पर 5 करोड़ रुपये की अधिकतम सीमा सहित 15 प्रतिशत पूंजी उपादान अनुमन्य होगा।
- बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों से लिए गए ऋण पर अदा किए गए ब्याज की दर 5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज उपादान की प्रतिपूर्ति 7 वर्ष तक की जाएगी, जिसकी अधिकतम सीमा प्रतिवर्ष इकाई 1 करोड़ रुपये होगी।
- इकाइयों की स्थापना हेतु भूमिक्रय करने अथवा पट्टे पर लेने पर स्टॉम्प शुल्क में शत-प्रतिशत छूट प्राप्त होगी।
- भूमि को छोड़कर अन्य स्थिर पूंजी निवेश के अधिकतम 100 प्रतिशत की सीमा सहित 10 वर्षों की अवधि तक, जो भी पहले हो, राज्य जी.एस.टी. की शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति की जाएगी।
- इलेक्ट्रॉनिक इकाइयों को सरकार अभिकरणों से क्रय की जाने वाली भूमि पर 25 प्रतिशत की छूट अनुमन्य होगी।
- 200 करोड़ रुपये से अधिक निवेश वाली इकाइयों के लिए केस-टू-केस आधारित प्रोत्साहन की व्यवस्था की गई है।
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http://upnews360.in/newsdetail/100075/hi